प्रतिभावान, ईमानदार ,कुशल, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मपरायण, राष्ट्रवादी, समाजसेवी देशभक्तों के यथोचित सम्मान से राष्ट्र का उत्थान हो सकता है -डॉ एमपी सिंह
देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह की गहन चिंतन का निष्कर्ष यह है कि आजकल का युवा अध्यापक कम बनना चाहता है बल्कि नेता अभिनेता और खिलाड़ी ज्यादा बनना चाहता है क्यों ?
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जिस देश में युवा छात्रों के आदर्श नेता अभिनेता और खिलाड़ी होंगे उस देश में शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों ,कलाकारों ,साहित्यकारों, शोधार्थियों और समाज शास्त्रियों का क्या हाल होगा?
कारण तो स्पष्ट हैं कि आज के भौतिकवादी युग में अधिकतर लोग काल्पनिक दुनिया में रहते हैं और शॉर्टकट को अपनाकर चंद दिनों में बड़े आलीशान महलों में रहने का ख्वाब लेते हैं करोड़ों की गाड़ी में चलने का ख्वाब रखते हैं जिसको शिक्षा के माध्यम से शायद पूरा नहीं किया जा सकता है इसीलिए आनएथिकल सिद्धांतों पर चलकर अमीर बन जाते हैं यदि किसी कारणबस जेलो में जाना पड़ता है तो वहां से खलीफा की मदद से बेहतर धन कमाना लोगों का शोषण करना सीख जाते हैं और जेल में ही सुपारी लेकर जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर देते हैं जिससे कि उनका गांव और शहर में दबदबा बन जाता है जिस दबाव और प्रभाव के कारण वह राजनेताओं के खासम खास हो जाते हैं भविष्य के राजनेता भी बन जाते हैं
नई उम्र के युवा साथियों को पुराने इतिहास का पता नहीं होता है और वह चकाचौंध की दुनिया में खो जाते हैं और वह भी राजनीति के ख्वाब लेने लगते हैं पूरी जिंदगी उनका शोषण होता रहता है लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगता है और जब समझ में आता है तब सब कुछ खत्म हो जाता है
अभिनेताओं की दुनिया का सफर भी अधिकतर लोग नहीं जानते हैं सिर्फ अभिनेता बनकर अरबों खरबों कमाने को देखते हैं उनके महलों और रहन-सहन को देखकर अत्यंत प्रभावित होते हैं टेलीविजन पर उनकी एडवर्टाइजमेंट देखकर सोचते हैं कि मैं भी ऐसा कर सकता हूं मैं भी धन कमा सकता हूं मेरी भी ख्याति हो सकती है इसीलिए नई उम्र के बच्चे कम उम्र में ही नाचना गाना बजाना शुरू कर देते हैं और पढ़ाई से दूरी बना लेते हैं माता-पिता का घर और फिर बिकवा कर मुंबई पहुंच जाते हैं कुछ बहुत कोशिश करते हैं कुछ को कामयाबी मिल जाती है लेकिन अधिकतर असफल हो जाते हैं और फुटपाथ पर आ जाते हैं
ऐसा ही खिलाड़ियों के जीवन से सीख मिलती है कुछ खिलाड़ी ख्याति प्राप्त हो जाते हैं और शान शौकत की जिंदगी जीते हैं जिसको देखकर छोटे बच्चे घरवालों से जिद करके खेल की दुनिया में जाना चाहते हैं लेकिन खेलों की दुनिया में भी फिक्सिंग और लाइजनिंग रह गई है सिफारिशों का खेल चल रहा है वास्तविक प्रतिभा का सम्मान नहीं हो रहा है बहुत प्रतिभावान बच्चे ग्रामीण आंचल में होते हैं शहरों में गरीबों के बच्चे बहुत प्रतिभावान होते हैं लेकिन उनको आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है
ऐसा लगता है कि महंगे स्कूल और महंगी कोचिंग से गरीबों की शिक्षा के द्वार बंद हो गए हैं और उनको अमीरों के यहां चाकरी ही करनी पड़ेगी
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि छीन कर खाने वालों का कभी पेट नहीं भरता है लेकिन बांट कर खाने वाले कभी भूखे नहीं रहते हैं सिर्फ यह मानसिकता और संस्कारों का ही खेल होता है
आज हमारी मानसिकता दूषित हो चुकी है और हम संस्कार बिहीन हो गए हैं इसीलिए सामाजिक बौद्धिक सांस्कृतिक तरीकों में गिरावट भी आ गई है
ईमानदार कुशल कर्तव्यनिष्ठ कर्तव्यपरायण धर्मपरायण प्रतिभावान समाजसेवी जुझारू राष्ट्रवादी देशप्रेमी देशभक्तों की जरूरत है उक्त गुण वाले व्यक्तित्व की सराहना करनी चाहिए तथा उसे यथोचित स्थान व सम्मान मिलना चाहिए
लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है इसीलिए इनका जन्म नहीं हो पा रहा है या जन्म होता है तो पनपने नहीं दिया जाता है यदि अपनी काबिलियत पनप जाते हैं तो दरकिनार करके ही रखा जाता है उसको नकारा मूर्ख बेवकूफ घोषित कर दिया जाता है
वह षड्यंत्रकारी राजनेताओं का खेल होता है यह समाज और देश के लिए व्यर्थ है
आज नाचने गाने बाले नशाखोर मुनाफाखोर जलमाफिया भूमिमाफिया खनन माफिया ठेकेदार लुटेरे सट्टेबाज लॉटरीबाज कबूतरबाज गुंडे मवाली बदमाशों का बोलबाला है
आपको ही यह तय करना होगा कि आपको कैसा देश चाहिए और कैसे नागरिक चाहिए
आज भ्रष्टाचारियों और देशद्रोहियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे देश की जड़ें खोखली होती जा रही हैं
राष्ट्रवादी लोगों का जीवन दूभर होता जा रहा है
सही बोलना और लिखना खतरे से खाली नहीं है
लिखने और बोलने की संविधानिक आजादी खत्म हो चुकी है जिसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं जब तक सच को बोला नहीं जाएगा और सच को लिखा नहीं जाएगा बेहतर परिणाम नहीं आ सकता राष्ट्र की एकता अखंडता समृद्धि और मजबूती के लिए सच का उजागर होना बहुत जरूरी होता है
डॉ एमपी सिंह का मानना है कि हमें मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए तथा अपनी रूचि के क्षेत्र को अपनाना चाहिए दबाव और प्रभाव मैं फैसले नहीं लेने चाहिए दुनिया को देखकर भी फैसले नहीं लेना चाहिए सामाजिक विज्ञान और राजनीति विज्ञान पढ़नी चाहिए ताकि समाज का ज्ञान हो जाए और राजनीति की भी समझ आ जाए
पढ़े लिखे लोग ही सामंजस्य बिठाने में सक्षम होते हैं इसलिए शिक्षा के शॉर्टकट को नहीं अपनाना चाहिए शिक्षा के मायने समझना चाहिए सही तरीके से शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और सही शिक्षा से सही दिशा में काम करके खुशहाल जिंदगी जीनी चाहिए
आपसी मैत्री भाव को बनाए रखना चाहिए सामाजिक मान मर्यादा को बनाए रखना चाहिए अपने काम को ईमानदारी से करना चाहिए दूसरों के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए गरीब दलित वंचित है असहाय का शोषण नहीं करना चाहिए जिस का हक है उसे मिलना चाहिए अनावश्यक और अप्रासंगिक बातें नहीं करनी चाहिए
लेखक मनोवैज्ञानिक मोटिवेशनल स्पीकर कैरियर काउंसलर विषय विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन चीफ वार्डन सिविल डिफेंस मास्टर ट्रेनर और देश के चिंतनशील डॉ एमपी सिंह है जिनका संपर्क सूत्र 98105 66553 है उक्त विचार डॉ एमपी सिंह के अपने स्वतंत्र विचार हैं जनहित और राष्ट्रहित में अक्सर पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित करते रहते हैं
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