गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ किला ग्वालियर से श्री अकाल तख्त साहिब तक ऐतिहासिक नगर कीर्तन- डॉ एमपी सिंह
देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफसर एमपी सिंह ने बताया कि श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने 52 बंदी हिंदू राजपूत राजाओं को ग्वालियर के किले से 400 साल पहले दीपावली से 1 महीना पूर्व रिहा कराया था जिस के उपलक्ष में बंदी छोड़ दिवस 400 वार्षिक शताब्दी के रूप में गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ किला ग्वालियर मे बड़ी श्रद्धा पूर्वक मनाया जा रहा है डॉ एमपी सिंह ने बताया कि श्री गुरु गोबिंद साहिब जी ने सिखों को एक जत्थे में पिरोकर शस्त्र विद्या सिखाने का खास प्रबंध किया सिख समुदाय की फौज तैयार की गुरु साहिब जी श्री अकाल तख्त साहिब पर विराजमान होकर लोगों की परेशानियों और समस्याओं को हल करके इंसाफ देने लगे सिख संगत वीर रस भरने लगे इस पूरे व्यवहार को देखकर उस समय की हुकूमत अपनी सल्तनत के लिए बड़ी चुनौतियां महसूस करने लगे मुगल बादशाह गुरुजी के असर को देखकर हैरान और परेशान होने लगे यह कार्य सिखों की राजनीतिक स्वतंत्रता प्रभुसत्ता का प्रतीक था उस समय गुरु साहिब को जहांगीर ने ग्वालियर के किले में भेजा गुरु साहेब किले में 2 वर्ष 3 माह तक रहे ग्वालियर किले में रहते हुए गुरु जी के व्यक्तित्व और संगत से प्रभावित होकर दिल्ली में रहने वाले कई कैदी और कर्मचारी धर्मनिष्ठ बन गए उस समय जहांगीर द्वारा मानवता पर किए जा रहे अत्याचारों की कहानी लोगों तक पहुंच चुकी थी न्याय प्रिय लोग चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान ने जहांगीर की दमनकारी गतिविधियों की तीखी आलोचना की इस प्रकार जहांगीर अत्यधिक दबाव में आ गया और जहांगीर अचानक बीमार पड़ गए इसका कारण जहांगीर को सूफी संत साईं मियां मीर ने गुरु साहेब को ग्वालियर के किले में भेजना बताया था यह सुनकर जागीर बहुत घबरा गए जहांगीर ने गुरु साहेब की प्रतिष्ठा से प्रेरित होकर गुरु साहिब जी को रिहा करने का फैसला कर लिया और गुरु जी के साथ 52 हिंदू राजपूत राजाओं को कैद से रिहा कर दिया जो बादशाह के अत्याचार को लंबे समय से सहन कर रहे थे उन कैदियों को गंभीर यातनाएं दी जाती थी केवल एक निश्चित अवधि के लिए उन्हें प्रकाश देखने की अनुमति दी जाती थी दूसरी अवधि में उन्हें अस्तबल के कमरे में रखा जाता था और रोटी भी गिन कर दी जाती थी कई लोगों को हल्का-हल्का जहर हर रोज दिया जाता था वह एड़िया रगड़ रगड़ कर मरने की स्थिति में हो गए थे डॉ एमपी सिंह ने बताया कि 52 राजाओं को रिहा करवाने के बाद गुरुजी दीपावली वाले दिन श्री अमृतसर साहिब में पहुंचे वहां सिखों ने अकाल पूरख का शुक्रिया किया और देसी घी के दीए जलाकर खुशी प्रकट की उसी समय से सिखों में दीपावली के त्यौहार को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है डॉ एमपी सिंह ने बताया कि इस वर्ष श्री अकाल तख्त साहिब जी के आदेशों के अनुसार 400 साल बंदी छोड़ दिवस शताब्दी गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ किला ग्वालियर से चार पांच और 6 अक्टूबर को खालसा पंथ द्वारा बहुत ऊंचे स्तर पर अति उत्साह के साथ मनाया जा रहा है इसलिए ऐतिहासिक नगर कीर्तन की शुरुआत गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ किला ग्वालियर मध्य प्रदेश से 23 अक्टूबर को की गई यह कीर्तन आगरा फरीदाबाद दिल्ली करनाल फतेहगढ़ साहिब लुधियाना करतारपुर जालंधर आदि शहरों में पड़ाव करता हुआ 3 नवंबर शाम को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचेगा उक्त कार्यक्रम के तहत 28 अक्टूबर को फरीदाबाद स्थित सेक्टर 15 के गुरुद्वारे में नगर कीर्तन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों के लिए रात्रि ठहराव की व्यवस्था की गई और 29 अक्टूबर की सुबह सेक्टर 16 के गुरुद्वारे में जलपान की व्यवस्था की गई नगर कीर्तन का नेतृत्व करने वाले गुरुओं का गुरुद्वारा सेक्टर 16 की प्रबंधन कमेटी के सरदार टोनी पहलवान सरदार कुलदीप सिंह साहनी सरदार इन अरविंदर सिंह सरदार महेंद्र सिंह सरदार गुरमीत सिंह सरदार कल्याण सिंह सरदार सिंह अमित सिंह सरदार सुनील किनारा आदि ने सभी को सरोपा भेंट कर स्वागत व सम्मान किया इस अवसर पर चीफ वार्डन सिविल डिफेंस व कोविड-19 के कोऑर्डिनेटर डॉ एमपी सिंह ने कोरोना प्रोटोकॉल की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए शांति व्यवस्था बनाए रखने के टिप्स भी दिए इस कार्य में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन का अहम योगदान रहा
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