विश्वकर्मा पूजा का महत्वऔर इतिहास
देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि विश्वकर्मा भगवान सृजन ,निर्माण ,वास्तुकला ,औजार, शिल्पकला, मूर्तिकला, हस्तकला व सांसारिक वस्तुओं के अधिष्ठाता देवता है इनको देव शिल्पी व जगतकर्ता माना गया है इतिहास के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है विश्वकर्मा जी ने देवताओं के महल ,उड़ान रथ ,शास्त्र ,सोने की लंका, द्वारका ,हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ नगरी ,जगन्नाथ मंदिर, इंद्र का सिंहासन, विष्णु का सुदर्शन चक्र ,यमराज का काल दंड, पुष्पक विमान ,करण का कुंडल ,ऋषि दधीचि की हड्डियों से इंद्र का वज्र और अनेकों ऐतिहासिक व प्रसिद्ध भवनों का निर्माण किया था इसलिए सभी इंजीनियर, चित्रकार, मकैनिक ,आर्किटेक्ट ,वस्तुकार, लोहार, सुनार, बढ़ाई ,दर्जी, बुनकर, टेक्नीशियन, ड्राइवर, वेल्डर, शिल्पकार आदि अपना देवता मानकर पूजा करते हैं
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को देवताओं का देव बढ़ाई कहा गया है
विश्वकर्मा पूजा करने से दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होती है मशीनें खराब नहीं होती हैं व्यापार में तरक्की होती है मशीनरी दुर्घटनाएं नहीं होती हैं इसलिए हम सभी को विश्वकर्मा भगवान की पूजा सही तरीके से सभी कार्य स्थलों पर करनी चाहिए पहले कार्यस्थल को साफ सुथरा कर लेना चाहिए रंग पेंट कर लेना चाहिए और रंग-बिरंगे कागज पर गुब्बारों से सजा देना चाहिए सभी औजारों की साफ-सफाई कर लेनी चाहिए सभी लोगों को स्नान करके भगवान विश्वकर्मा का फोटो लगाकर उस पर फूल माला अर्पित करनी चाहिए धूप दीप अगरबत्ती जलाकर पूजा करनी चाहिए हाथ में फूल और अक्षर लेकर श्री विश्वकर्मा भगवान का ध्यान करना चाहिए विश्वकर्माय नमो नमः मंत्र का जाप करते हुए हवन करना चाहिए हवन के बाद आरती और बाद में प्रसाद का भोग लगाकर सभी को प्रसाद लेना चाहिए अगले दिन विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति का विसर्जन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ करना चाहिए सभी लोगों को अबीर गुलाल लगाकर खुशी का इजहार करना चाहिए और संगीतमय गाते बजाते हुए गंतव्य स्थान तक जाना चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि कुशल शिल्पी अपनी बुद्धि और विवेक से बहुमंजिला इमारतें पूल वायु यान रेल सड़क पानी के जहाज आदि बना देते हैं इसलिए हम सभी को शिल्प विद्या को अपनाना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए शिल्पकार के बिना इस संसार में कुछ भी संभव नहीं है शिल्प विद्या से ही हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं हम सभी के जीवन में शिल्पकार का अत्यधिक महत्व है कोई भी घर मकान दुकान भवन हथियार वाहन सुई से हवाई जहाज तक की नवीन रचना का काम शिल्पकार के बिना संभव नहीं हो सकता है
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