पहले समय के लोग बुद्धिमान थे या आजकल के-डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एमपी सिंह ने कहा कि पहले समय के लोग धोती पहनते थे जिसकी वजह से पेट में गैस नहीं बनती थी जरूरत के अनुसार फेंटा को लूज या टाइट कर लेते थे और सिलाई के पैसे भी बचा लेते थे लेकिन आजकल तो जींस की पेंट पहनते हैं जिसकी भारी-भरकम रकम अदा करनी पड़ती है और टाइटनेस की वजह से पेट से संबंधित अनेकों बीमारियां हो जाती है पहले के समय में लोग कुर्ता पहनते थे सिर पर मुंड़ीसा बांधते थे महिलाएं धोती पहनती थी पूरा बदन ढका रहता था जिसकी वजह से कोई भी महिलाओं के बदन को देख नहीं पाता था इसलिए असभ्यता और अश्लीलता भी नहीं होती थी
 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले के लोग चमड़े की जूती पहनते थे जिससे पैरों को आराम मिलता था और अनेकों बीमारियों से बचाव हो जाता था लेकिन आज प्लास्टिक के जूते और चप्पल पहनते हैं जिससे अनेकों प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाते हैं पहले लोग पैदल चलते थे जिसकी वजह से एक्यूप्रेशर होता रहता था और सारे शरीर में रक्त का प्रभाव ठीक चलता है तथा इसलिए ब्लॉकेज नहीं हो पाती और पैर भी नहीं काटने पड़ते थे डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले कपड़े के थैले लेकर बाजार जाया करते थे और जो भी सामान होता था बेकार कपड़ों से बने थैलों में लाया करते थे लेकिन आज कपड़े के थैली हाथ में लेकर चलने में हमें शर्म आती है और सभी सामान  पॉलिथन या प्लास्टिक बैग में लेकर आते हैं जिसमें अन्य गार्बेज भरकर गली मोहल्ले में डाल देते हैं जो नालियों व सीवर में जाकर सीवर लाइन को बंद कर देता है और जमीन में जाकर जमीन की उपजाऊ शक्ति को खत्म कर देता है तथा गाय भैंस के पेट में जाकर गाय भैंस को मौत के मुंह में पहुंचा देता है 
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले के लोग बिना यूरिया खाद के नेचुरल खाद से अपनी फसल पैदा करते थे और उसी का सेवन करते थे जिसकी वजह से बीमारी उनके पास भी नहीं आती थी लेकिन आज सब कुछ यूरिया खाद से तैयार किया जा रहा है जिसकी वजह से अधिकतर लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं और जितना कमा रहे हैं वह सब कुछ बीमारी पर खर्च हो रहा है
 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले  गाय भैंस का दूध पीकर तंदुरुस्त रहते हैं दिल भर कर नींद का आनंद लेते थे घूमने फिरने खेलने कूदने का पूरा समय मिलता था लेकिन आज लोगों के पास समय नहीं है और चिंता की वजह से नींद भी नहीं आती है जिससे तनाव मे रहते हैं क्रोध करते हैं अहंकार मैं गलत फैसले लेते हैं और आपसी प्यार को भी खत्म कर दिया है खून के रिश्ते को भी नहीं मानते हैं खानपान की प्रक्रिया बदल चुकी है रहन सहन का तरीका बदल गया है वातावरण दूषित हो गया है शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है जैविक खेती खत्म हो चुकी है खानपान के तरीके बदल चुके हैं मादक पदार्थों का सेवन बढ़ चुका है अधिकतर लोग शराब पीकर अपने शरीर को खराब कर रहे हैं नैतिकता का दिन प्रतिदिन पतन हो रहा है माता पिता और गुरुओं के सम्मान में दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है सही बात को कोई समझने के लिए तैयार नहीं है सच्चाई पर नहीं चल रहे हैं 
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले की महिलाएं शुद्ध खाना खाकर और शुद्ध पानी पीकर तंदुरुस्त रहते थे चेहरा लाल रहता था मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करते थे केमिकल का शैंपू नहीं लगाते थे जिसकी वजह से त्वचा खराब नहीं होती थी आजकल अधिकतर महिलाएं ब्यूटी पार्लर में जाकर अनेकों प्रकार की क्रीम लगाकर अपने चेहरे को बिगाड़ लेती हैं और वास्तविक सुंदरता को खत्म कर लेती  है जिस पर लाखों रुपए त्वचा रोग विशेषज्ञ को दे देती हैं पहले बर्तनों को साफ करने के लिए रात का प्रयोग किया जाता था बर्तन चमकते रहते थे लेकिन आज बर्तन साफ करने के लिए बीमा आदि का प्रयोग किया जाता है जो अप्रत्यक्ष रूप से मानव शरीर में जाकर बीमारी पैदा कर देता है डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले लोग लोहा तांबा कासा पीतल के बर्तनों का प्रयोग करते थे उक्त बर्तनों में भोजन बनाना तथा खना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ठीक रहता था तांबे के बर्तन में पानी पीने से अनेकों प्रकार की बीमारियां खत्म हो जाते हैं

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