धर्म और मजहब के नाम पर मानवता को हिंसा की आग में झोंकना उचित नहीं है - डॉ एमपी सिंह
देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्रीय दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि हिंदू मुसलमान सिख ईसाई पारसी यहूदी आदि होने से पहले हम मानव है फिर हमारा वास्तविक धर्म क्या है इसको हम सभी को जानना और समझना चाहिए
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि धर्म और मजहब के नाम पर जिहाद धर्म युद्ध और संघर्ष का आवाहन करने वाले मानवता के दुश्मन हैं और मानवता को कलंकित कर रहे हैं ऐसे लोग धर्म के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं हमें वास्तविकता को सामने लाना चाहिए और मानवता की रक्षा करनी चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि जिस प्रकार जल को घड़ा बांधकर रखता है उसी प्रकार धर्म सब को एक सूत्र में बांधकर रखता है धर्म और मजहब कोई मूली गाजर जैसी चीज नहीं है जिसे उखाड़ कर फेंका जा सके या जिसका अस्तित्व खतरे में पड़ सके या फिर कोई वस्त्र और आभूषण जैसी भी चीज नहीं है जिसे जब चाहा पहना और जब चाहा उतार कर रख दिया वास्तव में धर्म उस परम सत्ता का नाम है जो संपूर्ण सृष्टि को बांध कर रखती है और उसका संचालन करती है वही सत्ता हमारे स्वयं के अस्तित्व का भी आधार है फिर हम चाहे किसी भी धर्म मजहब या मत के मानने वाले हो उसी एक परम सत्ता के हम सभी अंश हैं और प्राण शक्ति के रूप में उसी ने हम सब का अस्तित्व बनाए रखा है उसे ही समय के तत्वदर्शी के द्वारा जानना प्रत्येक मानव का वास्तविक धर्म मजहब या कर्तव्य होता है
महान राष्ट्रवादी अल्लामा इकबाल की कुछ पंक्तियां कठोर सच्चाई बयान करती हैं
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि धर्म की मूल शिक्षाओं को हमें ग्रहण करना चाहिए क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा द्वेष नफरत ऊंच नीच का भेदभाव नहीं सिखाता है निजी स्वार्थ के लिए हम किसी अन्य का अहित करते रहते हैं कोई भी धर्म किसी का अहित करने की अनुमति नहीं देता है
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