विज्ञान विकास भी कर सकता है और विनाश भी - डॉ एमपी सिंह
देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने कहा कि पहले घोड़ा बाज कबूतर तोता तथा चिट्ठी पत्री के माध्यम से संदेश दिया जाता था और अखबारों के माध्यम से देश और दुनिया की खबरों का पता चलता था लेकिन आज टेलीग्राम वायरलेस कॉर्डलेस फोन मोबाइल ईमेल सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना आ गया है जिससे दुनिया में संचार क्रांति आ चुकी है जिसका परिणाम आप सभी देख और भुगत रहे हो अधिकतर अखबारों मैं और न्यूज़ चैनलों पर अपराध नारी अपमान हत्या और आतंक की खबरें देखने को मिलती है ताकि चैनलों की टीआरपी बढ़ सके सच्चाई को ना के बराबर दिखाया जा रहा है और नमक मिर्च लगाकर अत्यंत खबरों को परोसा जा रहा है इससे राष्ट्रहित होगा या नहीं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि ऐसी नकारात्मक विनाशकारी भ्रम पूर्ण खबरें पढ़कर इंसान तनाव ग्रस्त होकर परेशान हो जाता है लोग अशांत हो जाते हैं खबरें के ऐसे ढेर में अक्सर अच्छाई वाली प्रेरक समाज सेवा और राष्ट्र की खबरें दब जाती है बल्कि आज मानव की ऐसी प्रवृत्ति हो गई है कि अच्छी बात अच्छी प्रेरणा और अच्छी समाजसेवा के कार्यों के लिए उसके पास समय ही नहीं है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज मानव अंधविश्वास अंधभक्ति के आसीन होकर शॉर्टकट से काम चलाना चाहता है और अपने मुकाम को हासिल करना चाहता है लेकिन विवेक और संयम से काम नहीं लेना चाहता है सोच समझकर नहीं बोलना चाहता है जिसकी वजह से मानवता की रक्षा आज खतरे में है एक तरफ कल कारखानों से निकलने वाला प्रदूषण जानलेवा साबित हो रहा है दूसरी ओर चारित्रिक प्रदूषण ने समूची मानवता को विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आजकल धार्मिक अंधविश्वास इतना बढ़ गया है कि धर्म का मूल अर्थ समझ ही नहीं आ रहा है चारों तरफ शोषण ही शोषण हो रहा है भाई से भाई को अलग किया जा रहा जाति और धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रही है कच्चे पहाड़ों को काटा जा रहा है जल और भूमि दोहन किया जा रहा है पहले किसान बैलगाड़ी और भैंसा गाड़ी चलाकर अपनी गुजर-बसर कर देते थे किन आज यातायात के नए साधन आ गए हैं और खेती करने की भी मॉडर्न तकनीक और यंत्र आ गए हैं पहले देसी खाद डालकर फसल पैदा की जाती थी जिससे सभी लोग स्वस्थ रहते थे लेकिन आज विभिन्न प्रकार के खाद डालकर फसल पैदा की जाती है जिससे अधिकतर लोग बीमार रहते हैं खेती और यातायात में क्या क्रांति आई है और कितनी कारगर सिद्ध है आप बेहतर जानते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पहले तीर तलवार भाले लाठी आदि से युद्ध लड़ कर विजय प्राप्त कर ली जाती थी लेकिन आज बंदूक राइफल मिसाइल बम आदि होने के बावजूद भी किसी ठोस परिणाम तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है विज्ञान का प्रयोग विकास के लिए किया गया था लेकिन आजकल चारों तरफ विनाश ही विनाश नजर आ रहा है मशीनरी आने की वजह से अधिकतर लोग बेरोजगार हो गए हैं जिसकी वजह से कोर्ट केस अधिक बढ़ गए हैं अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अधिकतर लोग अपराधी बन गए हैं विज्ञान की बदौलत बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है जगह जगह पुल बनाए जा रहे हैं जहां पर प्रतिदिन पुल टूटते नजर आ रहे हैं और बहुमंजिला इमारतें धराशाई हो रही हैं आगजनी घटनाएं देखने को मिल रही है लेकिन समाधान कहीं नजर नहीं आ रहा है आज इतनी धर्म संप्रदायों को देखकर अधिकतर लोग भ्रमित हो रहे हैं जरूरत यह है कि मानव के अंदर छिपी आस्था का दोहन धर्म के नाम पर न किया जाए और मानवाधिकार हनन नहीं होना चाहिए तथा मानवता के शोषण को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि एक राष्ट्र एक ध्वज एक आत्मा का नारा होना चाहिए आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाना चाहिए सद विचार और उत्तम चरित्र पैदा करना चाहिए और सद्भावना को अपनाना चाहिए राम कृष्ण बुद्ध कबीर महावीर नानक आदि ने भी उक्त विचार कहे थे
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