युद्ध प्रणाली जनहित और राष्ट्रहित में नहीं है डॉ एमपी सिंह

देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का मानना है की युद्ध प्रणाली के द्वारा जन और धन की हानि होती है जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ा कुप्रभाव पड़ता है इसलिए युद्ध प्रणाली को खत्म करना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का मानना है कि जितना पैसा हम युद्ध की सामग्री तोप तथा मिसाइलों पर लगाते हैं यदि उतना पैसा शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार पर खर्च करें तो समृद्धि आ सकती है और शिक्षित होकर लोग सभ्यता और अश्लीलता का परिचय नहीं देंगे लड़ाई झगड़े भी कम हो जाएंगे चोरी डकैती भी नहीं करेंगे बहन बेटियों को छेड़ना भी कम हो जाएगा आजकल महंगी पढ़ाई लिखाई होने के बावजूद रोजगार का ना मिलन अत्याचार को बढ़ाता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि भारतवर्ष के भारतीय हर देश में आजीविका कमाने के लिए गए हैं आजकल रूस और यूक्रेन के युद्ध में भारतीय लोग फंसे हुए हैं जिनके साथ अनैतिक कार्य की भी सूचना मिल रही है अनेकों वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है जिसको देखकर ऐसा लग रहा है कि उनके साथ अनर्थ और अन्याय हो रहा है इसलिए उनको सकुशल भारत वापस बुलाना हम सभी के लिए जरूरी है
 डॉ एमपी सिंह का मानना है कि जो ताकतवर शक्तियां होती हैं या सामर्थ्य वन लोग होते हैं उनके पास सभी सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता है लेकिन कमजोर वर्ग के लोग अपनी आजीविका कमा कर अपने बच्चों का भरण पोषण कर रहे होते हैं इसलिए उनको बंदूक या राइफल दिखाकर आत्मसमर्पण नहीं कराना चाहिए या कमजोर देश पर आक्रमण करके उसकी जमीन जायजात को नहीं हड़पना चाहिए 
डॉ एमपी सिंह का मानना है इस पृथ्वी पर सभी जीव जंतुओं को रहने का अधिकार परमपिता परमात्मा ने दिया है इसलिए शक्तिशाली शक्तियों को उनकी रक्षा सुरक्षा करनी चाहिए तथा मदद के लिए आगे आना चाहिए ना कि उनका शोषण करना चाहिए दूसरों के दुख को अपना दुख समझना चाहिए भाईचारे को बनाए रखना चाहिए मैत्री भाव पर काम करना चाहिए अहम और वहम में नहीं रहना चाहिए इस पृथ्वी पर कितने राजा महाराजा आए और कितने चले गए उनके पास से सीख लेनी चाहिए भेदभाव तथा सुपीरियर ओर इनफीरियर मैं कुछ नहीं रखा है सिर्फ सोच का फर्क है अपनी सोच को बदलना चाहिए
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज अधिकतर सामर्थ्य वान जो देश है उनके पास इतना केमिकल है कि सारी पृथ्वी को खत्म किया जा सकता है लेकिन उसका कोई फायदा नहीं है जब अपना बना हुआ मकान टूटता है तो कितना दुख होता है और जब देश के टुकड़े टुकड़े होते हैं और परिवार के परिवार खत्म होते हैं तो कितना नुकसान होता होगा कल्पना करके देखो जब किसी स्थान पर अनुपम या परमाणु बम गिराया जाता है तो प्रकृति में रहने वाले जीव जंतु कितने मर जाते हैं प्रकृति का कितना विनाश होता है क्या कभी किसी ने इस पर गौर की है कृपया भावी परिणामों के लिए इस पर गौर अवश्य करें

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