सही प्रबंधन मे ही जल समस्या का समाधान है -डॉ एमपी सिंह

जल दिवस पर जानिए देश में कितना पानी है और हम कैसे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं कितनी तेजी से जल स्तर गिरता जा रहा है जल संकट की चुनौती क्या है और कैसे इस जल संकट की चुनौती से निपटा जा सकता है इस समस्या का क्या समाधान है जानिए देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह के विचार 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज दुनिया की 13 फ़ीसद आबादी के सामने जल संकट मंडरा रहा है और रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि 1947 में 24 लाख तालाब थे और 36 करोड़ भारत की जनसंख्या थी लेकिन आज 5 लाख तलाब हैं जिनमें से 25 फ़ीसदी तालाब बदतर हालत में है और भारत की जनसंख्या 135 करोड़ के लगभग है 
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि स्टेट सेंटर ऑफ क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट के अनुसार 2019 -20 मे हिमाचल में वर्षा से ढका क्षेत्र 23.52 वर्ग किलोमीटर था लेकिन 2020-21 में यह 19.183 किलोमीटर रह गया
 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि चिनाब बेसन नदी के पानी में 8 .92 फीसदी की कमी आई है तथा व्यास घाटी में 19 फीसदी रांची और सतलुज में 23 फ़ीसदी की कमी आई है 
उक्त आंकड़े आंख खोलने के लिए बहुत है पानी की एक-एक बूंद बहुत कीमती है इसलिए हमें इस को बचाने का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि 23 मार्च 1993 को पहला विश्व दिवस मनाया गया था इस समय दुनिया में लगभग दो अरब लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है जोकि अत्यंत सोचनीय विषय है दूषित पानी की वजह से लाखों लोग जल जनित बीमारी का शिकार हो रहे हैं और असमय अकाल मृत्यु हो रही है यदि हम भारत की बात करें तो 2019 में जल की कमी वाले देशों की सूची में भारत का नाम दर्ज था और अब ऐसी स्थिति हो चुकी है कि महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार ,झारखंड ,दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में पानी पीने के लिए भी नहीं मिल पा रहा है ₹20 प्रति लीटर के हिसाब से पीने का पानी बिक रहा है और पानी को लेकर प्रतिदिन वाद विवाद और लड़ाई झगड़े देखे जा रहे हैं शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्र में भी पानी को लेकर हाहाकार मची हुई है चारों तरफ जल संकट मंडरा रहा है लगता है कि आने वाला युद्ध जल पर ही आधारित होगा चेन्नई में जल की इतनी मारामारी हो रही है कि जल जीवन अस्त व्यस्त हो रहा है 
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री द्वारा देश के हर ग्रामीण क्षेत्र तक नलों के जरिए प्रत्येक घर में पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस मिशन की शुरुआत से पहले देश के ग्रामीण इलाकों में 3.5 करोड़ परिवारों के पास नलकूप कनेक्शन थे और इस योजना के तहत 2024 तक 19. 22 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा हुआ है आंकड़ों के अनुसार इस मिशन की शुरुआत से लेकर अब तक 5. 44 करोड़ परवारो तक  पहुंच चुका है अर्थात यह संख्या अब 8. 6 9 करोड़ हो चुकी है डॉ सिंह का मानना है कि इसका वास्तविक लाभ तभी होगा जब बरसात के पानी एक एक बूंद को संरक्षित किया जाएगा तथा सदुपयोग किया जाएगा और नदियों को साफ सुथरा रखा जाएगा पोखर नाले झील तथा तालाबों को पुनर्जीवित किया जाएगा कम पानी वाली फसलों को उगाया जाएगा जल संरक्षण के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे तथा सार्थक प्रयास किए जाएंगे 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जल दोहन  भूमि दोहन करने वालों पर अंकुश लगाया जाएगा जल माफिया खनन माफिया भू माफिया की वजह से जमीन में पानी का स्तर अत्यंत नीचे पहुंच चुका है आज 3 से 4% ही पानी स्वच्छ बचा है करीब 2 फ़ीसदी पानी पहाड़ों पर बर्फ के रूप में जमा है एक फीस  पानी का उपयोग पेयजल सिंचाई कृषि और उद्योगों के लिए किया जा रहा है और बाकी पानी खारा है जो जीवन उपयोगी नहीं है 
डॉ एम पी सिंह ने बताया कि जनसंख्या तो प्रति दिन बढ़ती जा रही है लेकिन जल स्तर प्रतिदिन गिरता जा रहा है जबकि जल के बिना जीवन संभव नहीं है जल है तो कल है जल ही जीवन है जिस प्रकार से तेल के लिए युद्ध हो रहे हैं उसी प्रकार से पानी के लिए भी भविष्य में युद्ध देखे जा सकेंगे आज करीब 95 फ़ीसदी लोग जल समस्या से जूझ रहे हैं आज हम सब को पानी की महत्वता को समझना होगा और सभी को जल संरक्षण के लिए शपथ लेनी होगी तभी आने वाली पीढ़ी को हम कुछ दे पाएंगे अन्यथा हम अपने आप को भी माफ नहीं कर पाएंगे उक्त विचार लेखक के अपने स्वतंत्र विचार है

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