प्यार दुख का कारण है -डॉ एमपी सिंह

देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने अनेकों रिसर्च के आधार पर इस लेख को प्रकाशित किया है 
डॉ एमपी सिंह ने चिंतन के आधार पर बताया है कि प्यार दुख का कारण होता है अधिकतर बच्चे स्कूल और कॉलेज में प्यार के दीवाने हो जाते हैं और विवाह शादी तक रूप स्वरूप दे देते हैं लेकिन कई बार माता-पिता मानते नहीं हैं जिसकी वजह से कुछ बच्चे अपनी नसों को काट लेते हैं या फांसी के फंदे पर झूल जाते हैं या रेल की पटरी के सामने कूदकर कट जाते हैं या किसी नहर तालाब में डूब जाते हैं वह समय माता पिता के लिए अत्यंत दुखदाई होता है और उसके बाद जो पुलिस केस होता है पंच पंचायत होती हैं कोर्ट कचहरी चलती हैं उसमें घर और खेत सब बिक जाते हैं वह अत्यंत दुख का कारण होता है जब अधिकतर माता पिता यही कहते हैं कि इससे तो औलाद नहीं होती तो अच्छा था 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि विवाह शादी करने के बाद जब बच्चे माता पिता को छोड़कर अलग हो जाते हैं और उनको स्वयं कमा कर खाना पड़ता है  बीमारी में कोई देखने वाला नहीं होता है तब अत्यंत दुख होता है और यही मन से निकलता है कि क्या फायदा ऐसी औलाद का लेकिन जब वही औलाद कहीं फस जाती है या कोई अनहोनी हो जाती है तो वही माता-पिता उस औलाद का साथ देने के लिए आ जाते हैं फिर भी उनको बहिष्कार और तिरस्कार सहन करना पड़ता है लेकिन असमंजस की घड़ी होती है साथ में ना खड़े हो तो समाज नहीं छोड़ता है साथ में खड़े हो तो बहू और बेटा खड़े नहीं होने देते हैं कैसा जीवन है क्या कल्पना है डॉ एमपी सिंह का कहना है कि  हजारों कार्य माता पिता अपनी औलाद के इशारे पर करते हैं लेकिन यदि एक-दो काम नहीं होते हैं तो बच्चे माता-पिता को अनाप-शनाप सुनाते हैं ऊंचा बोलते हैं चिल्लाते हैं डराते हैं धमकाते हैं और कहते हैं कि हमारे लिए किया ही क्या है हमारी जिंदगी खराब कर दी है लेकिन माता-पिता फिर भी अपनी इज्जत के लिए चुप रह जाते हैं इसमें कई बार माताएं अपने बच्चों का रुक ले लेती हैं और पिता अकेला रह जाता है जबकि दिन रात मेहनत मजदूरी करके सारी पूंजी उनके ऊपर लगा दी होती है और अपने बलबूते पर अपनी पहचान बनाई होती है बड़े छोटों के बीच में इज्जत बनाई होती है लेकिन उसको भी औलाद खराब कर देती है बहुत कम बच्चे होते हैं जो माता-पिता की इज्जत को समझते हैं और उस को आगे बढ़ाते हैं अनेकों माता-पिता अनेकों प्रकार की बीमारियों से जूझ रहे होते हैं दवाइयों के लिए उनके पास पैसा भी नहीं होता है फल व सब्जी खरीदने के लिए भी पैसा नहीं रहता है लेकिन फिर भी कोई पूछने वाला नहीं होता है और मन मसोसकर रह जाते हैं किसी से कह भी नहीं पाते हैं और इसी को इज्जत समझते हैं लेकिन फिर भी औलाद से कोई कहने सुनने वाला नहीं होता है अंत में ऐसी दयनीय और नरकीय स्थिति में उनकी मौत हो जाती है देखा प्यार के बदले क्या मिला मौत
 डॉ एमपी सिंह ने देखा है कि जब किसी अपने प्यारे की मौत होती है तो असहनीय पीड़ा होती है दर्द होता है लेकिन कर कुछ नहीं सकते हैं इसलिए अधिक प्यार करना भी ठीक नहीं है प्यार में अधिकतर धोखा फरेब और दुख मिलता है इसलिए सोच समझकर और जानबूझकर प्यार का हाथ बढ़ाएं 
डॉ एमपी सिंह का मानना है जो दुख में अपना साथ देता है वह अपना होता है लेकिन जब अपने दुख में साथ छोड़ जाते हैं और समय तथा स्थिति को समझने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो वह अपने नहीं होते हैं इसलिए ज्यादा मोह माया में नहीं फंसना चाहिए अपने पराए का भेद समझना चाहिए और अच्छे बुरे का ज्ञान रखना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का मानना है कि अधिकतर लोग आज माता पिता के धन और दौलत से प्यार करते हैं और यदि हल्का फुल्का कहीं सम्मान हो भी रहा है तो उस धन और दौलत के आधार पर हो रहा है अन्यथा बहुत बुरा समय आ चुका है अधिकतर युवा और युक्तियां दारू के नशे में अपने बड़े बूढ़े तथा बुजुर्गों का सम्मान नहीं कर रहे हैं गलत मानसिकता की वजह से समाज दूषित हो चुका है गलत लोगों का साथ देने के लिए पुलिस प्रशासन और समाज के लोग खड़े हो जाते हैं वास्तविकता को छिपा दिया जाता है और वास्तविकता को समझने के लिए भी तैयार नहीं होते हैं सच्चे और अच्छे इंसान को पागल घोषित कर दिया जाता है यह हम सभी का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अनेकों बेटी विवाह शादी के बाद में अपनी ससुराल नहीं जाती है और माता पिता के घर रहकर ही अपना खर्चा पानी लेती रहती हैं और शौक मौज की जिंदगी गुजारती रहती हैं गलत दुनिया में भी प्रवेश कर जाती हैं जो सामाजिक मर्यादा के खिलाफ होता है  उनके माता-पिता को सब कुछ पता होता है लेकिन फिर भी आंखों पर पर्दा डाल लेते हैं और पुत्री मोह में इतने फस जाते हैं कि सच को भी दरकिनार कर देते हैं तथा समझाने वालों पर भी दोषारोपण करना शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से समाज में इस प्रकार के केस दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं इस प्रकार की स्थिति में नन्हे-मुन्ने बच्चों की जिंदगी खराब हो जाती है और कई बार बाहरी लोग मौके का फायदा उठाते हुए कामयाब हो जाते हैं

Comments

Popular posts from this blog

तथागत बुद्ध के विचार और उनकी शिक्षा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है - डॉ एमपी सिंह

डॉ एमपी सिंह ने दिए डेंगू मलेरिया वायरल से बचाव हेतु टिप्स

Information Are reyquired For School Disaster Management Plan- Dr MP Singh