सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, फेसबुक आदि के माध्यम से ली जा रही है अबोध बच्चों की जान- डॉ एमपी सिंह

देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक  प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि पढ़ाई के नाम पर अधिकतर बच्चे अपना अधिकतर समय सोशल मीडिया इंस्टाग्राम व्हाट्सएप और फेसबुक पर गुजार रहे हैं कुछ समझदार बच्चे इसके माध्यम से अपनी जिंदगी बना रहे हैं लेकिन कुछ अपनी जिंदगी को बर्बाद कर रहे हैं 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि गलत मानसिकता के लोग आजकल अबोध बालिकाओं को किसी न किसी तरीके से अपने चंगुल में फंसा रहे हैं मोबाइल, फेसबुक, इंस्टाग्राम ,व्हाट्सएप पर अपनी नकली आईडी बनाकर पहले हाय हेलो के संदेश भेजते हैं जब उसका जवाब उन्हें मिल जाता है तो मीठी-मीठी बातें करते हैं और अनैतिक तथा अश्लील कार्य के लिए उत्साहित कर लेते हैं अबोध बच्चे तो क्या बड़े भी उनके झांसे में आ जाते हैं वार्तालाप करते हुए ही वह फोटो खींच लेते हैं और अश्लील वीडियो बना लेते हैं 
अब ब्लैक मेलिंग का खेल शुरू हो जाता है कुछ बच्चे इस गिरफ्त में आ जाते हैं और उनके पास बाहर निकलने का कोई उपाय भी नहीं होता है क्योंकि वह अपने मन की बात अपने माता पिता गुरु को नहीं बताते हैं यदि समय रहते बच्चे किसी बड़े से मार्गदर्शन ले ले तो शायद बचाव हो सकता है अन्यथा अंत में उन्हीं के हाथों की कठपुतली बन कर रहना पड़ता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि ऐसे लोग किसी के सगे नहीं बल्कि मानव अंगों के तस्कर होते हैं कुछ को अपने व्यापार का हिस्सा बना लेते हैं और कुछ के अंगों को निकालकर बाजार में बढ़ी कीमतों पर बेच देते हैं
 ऐसे लोगों का बहुत बड़ा रैकेट होता है इनसे बचाव में ही अपना बचाव है 
इस प्रोफेशन में कुछ चिकित्सक भी शामिल हैं कई चिकित्सकों को जेल भी भेजा जा चुका है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि राजनीतिक लोगों को ऐसे लोगों को सानिध्य या संरक्षण नहीं देना चाहिए
 किसी की जान देकर दूसरे की जान बचाना उचित नहीं है 
कोई अपनी मर्जी से अपने अंग दान करना चाहते हैं वह आदरणीय और सम्मानीय हैं लेकिन किसी के साथ धोखा करके उसके अंगों को निकालकर बढ़ी कीमतों पर बेचना न्यायोचित नहीं है
 डॉ एनपी सिंह ने बताया कि कुछ लोग नशा के आदी हो जाते हैं ऐसे लोग नशा के लिए कुछ भी कर सकते हैं वह अपनी जान भी दे सकते हैं और दूसरे की जान भी ले सकते हैं ऐसे लोग समय व स्थिति के अनुसार अपना खून ,दिल, लीवर, किडनी सब देने के लिए तैयार हो जाते हैं और चतुर लोग कम पैसे में ही  सब कुछ लेकर अधिकतम कीमत में किसी और को बेच देते हैं जो कि बिल्कुल गलत है क्योंकि नशा की स्थिति में मनुष्य का दिमाग सही से काम नहीं करता है और उनके घर वाले भी उन को घर से बाहर निकाल देते हैं उनके पास पैसे का भी अभाव होता है इसलिए कई बार वह गलत फैसले भी ले लेते हैं
 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष 2 से 4 लाख लड़कियां आशिकी के चक्कर में घर से गायब हो जाती है पहले इन बच्चियों का भरपूर शोषण किया जाता है फिर किसी कोठे पर बेच दिया जाता है या गंदी मार्केट में धकेल दिया जाता है या मारकर शरीर के अंग निकालकर बेच दिए जाते हैं 
गूगल पर ब्लैक मार्केट प्राइस ऑफ़ ह्यूमन बॉडी पार्ट्स सर्च कर अंगों के भाव देख सकते हो यह अंग कहां से आते हैं
 मुर्दा घरों में पड़ी लाशों तथा एक्सीडेंट में मरने वालों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है इसलिए सचेत रहना चाहिए और अधिकतर लोगों को भी जागरूक करना चाहिए ताकि प्रोफेशनल क्रिमिनल से बच सकें
 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि उक्त घटनाएं उन्हीं अबोध बालिकाओं के साथ होती हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं या जिनके पास राजनीतिक और कानूनी तौर पर सलाहकार या पकड़ नहीं होती है यह घटना अधिकतर दिल्ली मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में घटित हो रही 
डॉ एमपी सिंह ने अपील की है कि आप अपने अबोध बच्चों का पर ध्यान दें क्योंकि जो बाहर हो रहा है वह आपके घर के भी अंदर हो सकता है किसी के झूठे झांसे में ना आए ऐसा करने से आप अपने निर्दोष अबोध बच्चों की जिंदगी को बचा सकते हैं 
लखनऊ क्राइम रिपोर्ट के अनुसार 2015 में यूपी में 4000 लड़कियां गायब हुई थी और 2017-18 मैं 7000 लड़कियां गायब हुई थी
 आंकड़ा दिल को दहलाने वाला है इससे निजात पाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा और जागरूकता का परिचय देना होगा
 सरकार को दोषी ठहराना उचित नहीं है बल्कि हम स्वयं भी उतने ही दोषी हैं 
सरकार को भी उक्त विषय पर कठोर कानून बनाना चाहिए और अमल में लाना चाहिए ताकि मानव तस्करी करने की कोई हिम्मत ही ना कर सके और अपने बच्चों को भी नैतिकता का पाठ पढ़ाना  चाहिए 
मोबाइल को जरूरत के अनुसार ही प्रयोग करना चाहिए मोबाइल ,सोशल मीडिया का सदुपयोग करें दुरुपयोग नहीं

Comments

  1. Aap Samaj Mai jagriti phailaker ATI sarahniye v nek karye ker Rahe Hain, apko Bhagwan sdaiv Khush rakhen

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