विद्यार्थी जीवन की भाग्य और भविष्य निर्माण करने की निर्णायक भूमिका अदा करता है -डॉ एमपी सिंह

देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने गहन चिंतन के बाद इस आर्टिकल को जनहित में प्रकाशित किया है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि विद्यार्थी जीवन में सही ज्ञान ना होने की वजह से गलत मित्रों का चयन कर लेते हैं या माता-पिता के प्यार के अभाव में गलत साथ चुन लेते हैं जिससे कुसंगति के शिकार हो जाते हैं युवावस्था में मित्रों का आकर्षण अपनी चरम सीमा पर होता है अच्छे साथी मिल जाए तो विकास और प्रसन्नता की वृद्धि होती है इसलिए हर विद्यार्थी को समझदारी का परिचय देना चाहिए और मित्रों का चुनाव करते समय एक हजार बार सोचना चाहिए सचरित्र मित्र श्रेष्ठ पुस्तक का संग ही उत्तम भविष्य का निर्माण करता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सद विचारों को हमेशा अपनी नोटबुक पर लिखना चाहिए जब भी कोई अच्छी बात सुनने या पढ़ने के लिए मिले तो उसको अवश्य नोट करें और समय-समय पर दोहराते रहे तथा आदर्श व सफल व्यक्तियों का ध्यान अवश्य करें और उनके चरित्र का चिंतन मनन करें
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य संरक्षण के लिए विद्यार्थी जीवन ही उपयुक्त समय होता है इसलिए प्राकृतिक नियमों को जानना चाहिए स्वास्थ्य वर्धक भोजन करना चाहिए सही समय पर सोना चाहिए तंदुरुस्त रहने के लिए योग व व्यायाम करना चाहिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए माता पिता और गुरुओं की चरण वंदना करनी चाहिए 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर अकुशल छात्र की अनुशासन हीन हुआ करते हैं पढ़ने लिखने में उनका मन नहीं लगता है अनुचित -अनइथिकल कार्य करने में प्रसन्न होते हैं अधिकतर सज्जन तथा पढ़ने लिखने वाले विद्यार्थियों को परेशान करते रहते हैं उनका मजाक उड़ाते रहते हैं उनकी अपनी दिनचर्या का कोई भी टाइम टेबल नहीं होता है असभ्य और अश्लील होते हैं अच्छे विद्यार्थी के लक्षणों से रहित होने से गुरुजनों के प्रति श्रद्धा भाव भी नहीं रहता है और सराहना के योग्य भी नहीं बन पाते हैं तथा उत्तरदायित्व निभाने में असमर्थ रहते हैं उनके जीवन का कोई विशेष लक्ष्य नहीं होता है अकुशल एवं अयोग्य  छात्र अनुशासनहीनता को ही अपनी शान समझने लगते हैं जिन विद्यार्थियों के लक्षण पढ़ने के होते हैं वह पढ़ाई के सिवाय बेकार की खुराफात  में नहीं पड़ते हैं आत्मनिर्भरता दूसरों की सहायता धर्म का सदुपयोग समय का सुनियोजित एवं सदुपयोग, मानसिक संतुलन ,स्वाध्याय ,कठिन परिश्रम,  स्वच्छता , सुसंगती, सकारात्मक विचार ,स्वस्थ जीवन, शालीनता, सरलता, सहजता, सज्जनता,  शिष्टता, विनम्रता, व्यवहार कुशल युवावस्था को अलंकृत करने वाले सद्गुण हैं
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अर्थ उपार्जन का अभ्यास नवयुवक यदि करने लगे तो उनके भीतर ऐसी विशेषताएं आजाती हैं जिनके द्वारा उनका भविष्य स्वर्णिम  और शानदार बन जाता है इसलिए हर विद्यार्थी को बचपन में ही सेवा भाव सीख जाना चाहिए तथा अपने कार्य को स्वयं करना चाहिए समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए

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