जागरूकता, प्रशिक्षण और संसाधन आगजनी घटनाओं को रोकने में सहायक हो सकते हैं -डॉ एमपी सिंह

हाल ही में राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई  टी 5 के स्कूल में आग लग जाने पर चीफ वार्डन सिविल डिफेंस व विषय विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन डॉ एमपी सिंह ने इस आर्टिकल को जनहित में प्रकाशित किया है 
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि जब भी कहीं पर आग लगती है तो शुरुआती दौर में ही उस आग पर पानी डालकर, मिट्टी डालकर या पैर से कुचल कर बुझाया जा सकता है लेकिन अधिकतर लोग अपनी जागरूकता का परिचय नहीं देते हैं और यह सोच लेते हैं कि इसमें हमारा कोई इंटरेस्ट नहीं है जरा सी ही तो आग है अपने आप बुझ जाएगी यही सोचना बड़ी आग को जन्म देना होता है यदि आप आग बुझाने में सक्षम नहीं है तो किसी को सूचित अवश्य करें ताकि प्राथमिक स्तर पर ही आग पर काबू पाया जा सके
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अनेकों बार घर में महिलाओं की लापरवाही से आग लग जाती है घर के मंदिर में पूजा करते समय दीपक को प्रज्वलित करके तीली को वही डाल देते हैं या अगरबत्ती और धूपबत्ती वहीं पर जलती हुई छोड़ देते हैं जिसके कारण मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा व पाठ पूजा की रखी किताबें धीमे धीमे सुलगने लगती  हैं यदि किसी का ध्यान उस सुलगती हुई आग पर नहीं गया तो बड़ी आग का रूप धारण कर लेती है जिसमें धन और जन की हानि हो सकती है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अनेकों घरों में कपड़ों पर प्रेस करने के बाद गर्म प्रेस को कपड़ों पर रखकर घरेलू कार्य करना शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से कपड़े आग पकड़ जाते हैं अनेकों घरों में बिजली की नंगी तारें फैली रहती हैं जिसके कारण शार्ट सर्किट होने की संभावना रहती है कई बार इन तारों में इसपार्किंग होने की वजह से आसपास में रखी किताब -कापी, कपड़े -वस्त्र व अन्य सामग्री जल जाती है इसलिए हमें सचेत रहना चाहिए और बिजली की नंगी तार नहीं छोड़नी चाहिए पुरानी तारों को बदलवा देना चाहिए बिजली की फिटिंग ठीक तरीके से करवा लेनी चाहिए बिजली का कोई भी स्विच टूटा हुआ या ढीला नहीं होना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर रसोई घर में रोटी -सब्जी, चाय इत्यादि बनाते समय लापरवाही के कारण आग लग जाती है कई बार कुकर व सिलेंडर भी फट जाते हैं इसलिए विशेष प्रशिक्षण लेने के बाद भी रसोई घर में काम करना चाहिए ज्वलनशील पदार्थों को आग से दूर रखना चाहिए रसोई घर में काम करते समय सिंथेटिक कपड़े नहीं पहने चाहिए रसोई घर में काम करते समय बच्चों को रसोई घर से दूर रखना चाहिए कई बार बच्चों की शैतानी व निगरानी के कारण आगजनी घटनाएं हो जाती हैं
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अनेकों बार बीड़ी सिगरेट पीने वालों की वजह से आगजनी घटनाएं हो जाती हैं बीड़ी सिगरेट पीने वाले लोग बड़ी टोर में बीड़ी सिगरेट पीते हैं और कहीं पर भी जली हुई बीड़ी सिगरेट को फेंक देते हैं बीड़ी सिगरेट पीते समय कुछ लोग जलते हुए पार्ट को हाथ से हिला कर नीचे डाल देते हैं और वह किसी घास फूस पर पड़ जाता है जिससे उसमें आग सुलगने लगती है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ महिलाएं अभी भी चूल्हे मैं आग जलाकर पानी गरम करती हैं सब्जी रोटी बनाती हैं और सुलगता हुआ उपला लकड़ी तथा कोयला चूल्हे में ही छोड़ देती है जो कि भीषण आग का कारण हो सकता है कुछ हुक्का पीने वाले ग्रामीण लोग चिलम के लिए आग जमीन मैं थोड़ा सा गड्ढा खोदकर रखते हैं और हुक्का पीने के बाद अपने अपने काम पर चले जाते हैं हल्की सी हवा उस आग को उड़ा कर ले जाती है जो किसी गरीब की झोपड़ी को जलाकर राख कर देती है आग लगने के अनेकों कारण हो सकते हैं लेकिन जागरूकता ,प्रशिक्षण और संसाधनों के द्वारा आग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है यदि हम जागरूक हैं तो प्रथम स्थिति में ही आग को बुझा देंगे यदि हम जागरूक नहीं हैं तो आग को जलती हुई छोड़कर अपने कार्य करने लग जाएंगे यदि हमारे पास आग बुझाने का प्रशिक्षण है तो हम बड़ी आग पर भी काबू पा सकते हैं यदि हमारे पास संसाधन हैं तो उनकी मदद से भी बड़ी से बड़ी आग पर काबू पाया जा सकता है लेकिन आजकल उचित संसाधन देखने को नहीं मिल रहे हैं अधिकतर घरों में फायर हाइड्रेंट या फायर एक्सटिंग्विशर नहीं होते हैं अधिकतर घरों में पानी का स्टोरेज भी नहीं होता है क्योंकि शहरों में सुबह शाम ही पानी आता है और लोग उसी समय मोटर चला कर अपने प्रयोग का पानी भरते हैं किसी के पास भी जमीन में हजार  दो हजार लीटर का टैंक नहीं होता है इसलिए इनिशियल स्टेज में आग लगने पर हम आग पर काबू नहीं कर पाते हैं और आग बुझाने वाली गाड़ियों का इंतजार करते हैं 
डॉ एमपी सिंह का कहना है बड़े शहरों में इतनी सड़क जाम होती हैं या इतने रास्ते अवरुद्ध होते हैं की आग बुझाने वाली गाड़ियों को रास्ता भी नहीं मिल पाता है जागरूकता का अभाव होने की वजह से अधिकतर लोग रास्ता भी नहीं देते हैं इसलिए घटना स्थल पर पहुंचने में देर हो जाती है अनेकों बार देखा गया है की गली मोहल्ले की सड़कें इतनी संकरी- सकोच होती हैं कि उसमें आग बुझाने वाली गाड़ियां और एंबुलेंस नहीं जा सकती हैं जब आग बुझाने वाली गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचती हैं तो वहां पर उपस्थित भीड़ दमकल विभाग के कार्यकर्ताओं को काम नहीं करने देते हैं अनेकों प्रकार का मिश व्यवहार करते हैं लड़ाई झगड़ा तथा गाली- गलौज और मारपीट करते हैं जिसकी वजह से अग्निशमन विभाग में कार्य करने वाले अधिकारी भी कई बार वहां से छोड़कर चले आते हैं क्योंकि पुलिस विभाग के लोग वहां पर लॉ एंड ऑर्डर के लिए उपस्थित नहीं होते हैं 
डॉ एमपी सिंह का कहना है की पुराने समय के आधार पर ही अग्नि विभाग काम कर रहा है कहीं पर यह नगर निगम के अधीन है तो कहीं गृह मंत्रालय के अधीन है कहीं पुलिस के अधीन है तो कहीं पर स्वतंत्र है इसलिए अच्छी तरीके से काम नहीं हो पा रहा है अनेकों जगह पर अग्निशमन विभाग के पास साधन और संसाधन ही नहीं है दस दस किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करने के लिए एक ही अग्निशमन केंद्र स्थापित है जोक उस क्षेत्र की आबादी पर काबू करने में सक्षम नहीं है इसलिए वर्तमान स्थिति को देखते हुए सरकार को निर्णय लेना चाहिए तथा अभी काफी संशोधन करने की जरूरत है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है की अनेकों बार देखा गया है कि अग्निशमन केंद्र के अधिकारी भारी भरकम रकम लेकर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, कारखानों का एनओसी दे देते हैं जिसकी वजह से अधिकतर लोग नियमों को पूरा नहीं करते हैं और पैसे के आधार पर एनओसी लेकर भीषण आग को निमंत्रण दे देते हैं जिसमें अनेकों निर्दोषों  की जान चली जाती हैं
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कई बार अधिकारियों की मिलीभगत से सड़क पर चलने वाले वाहनों , कारखानों, मॉल ,शोरूम ,दुकानों  में आग लगा दी जाती है ताकि इंश्योरेंस से भारी भरकम मोटी रकम वसूली जा सके जोकि अनुचित है ऐसा करने से राष्ट्र का भला नहीं हो सकता है और यह राष्ट्रहित में भी नहीं है इसलिए हमें ईमानदारी से अपने कार्य को करना चाहिए ताकि जन और धन की हानि ना हो सके

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