बच्चे ज़िद्दी और लापरवाह क्यों हो जाते हैं जाने इसका समाधान

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने अपने अनुभव के आधार पर उक्त समस्याओं का समाधान बड़े ही विस्तार पूर्वक लिखा है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सभी बच्चे गंदे और गुस्सैल नहीं होते हैं छोटे बच्चे तो कोरा कागज होते हैं भगवान का रूप होते हैं जैसा उन पर लिखा जाएगा वैसा ही लिख जाएगा लेकिन हम अपने आप को सुधारने की बजाय बच्चों को सुधारने में लग जाते हैं और अनायास ही बच्चों को डांटना फटकरना तथा प्रताड़ित करना शुरू कर देते हैं
 हम अपने बच्चों को समय तो देते नहीं है और उनकी हर इच्छा को पूरा करने में लग जाते हैं 
कई बार आप छोटे बच्चों के सामने  लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं तथा गाली गलौज भी करते हैं जिसका बच्चे के दिमाग पर गहरा असर पड़ता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आमतौर पर सब लोग नहीं जानते हैं कि अपने बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए 
कैसे बोलना चाहिए 
कब उनकी जिद को पूरा करना चाहिए 
कब उनको बाजार सिनेमा तथा मॉल में लेकर जाना चाहिए 
कब उनकी तरफदारी करनी चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर बच्चों को घर का माहौल जिद्दी बना देता है 
जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते हैं और मनचाही वस्तु को प्राप्त नहीं कर पाते हैं तो वह मचलने और रोने लगते हैं धीरे-धीरे वह उनकी जिद का रूप ले लेता है जिद्दीपन पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो वह चिड़चिड़ा हो जाएगा  
इसलिए हमें हर छोटी छोटी बात पर गौर करना चाहिए तथा संतोषजनक जवाब देना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जिद करने पर बच्चे को प्यार से समझाना चाहिए बहुत जरूरी हो तो सख्ताई से पेश आना चाहिए 
बच्चे को उसके हाल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि वह अभी अबोधबालक है उसे कुछ नहीं पता है क्या अच्छा है क्या बुरा है क्या हित में है क्या नहीं है बच्चे की जिद करने पर अपना फैसला नहीं बदलना चाहिए ऐसा करने से वह आपकी कमजोरी को समझ लेता है और बार-बार उसी चीज को अपना लेता है 
छोटी उम्र में बच्चों को अनुशासन व मर्यादा में रहना सिखाना चाहिये
 छोटी उम्र में सम्मान सूचक शब्दों का बोलना और बड़ों के पैर छूना, नमस्ते करना तथा अभिवादन करना सिखाना चाहिए 
सही मार्गदर्शन से बुरे से बुरा इंसान भी सुधर जाता है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कुछ माता-पिता दादा-दादी या नाना-नानी पर दोषारोपण कर देते हैं कि इनकी वजह से हमारा बच्चा बिगड़ गया है जबकि ऐसा नहीं होता है
 कुछ माता-पिता की लव मैरिज होती है जोकि सही तरीके से नहीं गुजर रही होती है या कईयों का तलाक भी हो जाता है जिसकी वजह से उनको नौकरी करनी पड़ती है और बच्चों की देखरेख ठीक ढंग से नहीं हो पाती है
 जिसकी वजह से बच्चे ट्रैक पर से हट जाते हैं और गलत संगति का शिकार हो जाते हैं
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कई माता-पिता अपने साथ बच्चे को बाजार में ले जाते हैं जब बच्चा वहां पर कुछ खाने पीने या खेलने की वस्तु को मांगता है तो माता-पिता या अभिभावक वहीं पर उसकी पिटाई कर देते हैं जो कि उचित नहीं है वहां पर बच्चे की जिद को मान लेना चाहिए और घर पर आकर विस्तार पूर्वक समझाना चाहिए या अपने आव भाव ऐसे करने चाहिए जैसे कि आप रुठ गए हैं ताकि बच्चा आप को मनाने की कोशिश करें और आपकी बात को मान जाए
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि छोटे बच्चे को मारना पीटना किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि अपनी बोली और भाषा में परिवर्तन लाना चाहिए और मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए 
उसकी भावनाओं को समझ कर फैसला लेना चाहिए
 बच्चे जैसा देखते हैं वह वैसा ही करते हैं 
जैसा सुनते हैं वैसा ही बोलते हैं इसलिए कोई भी गलत कार्य बच्चों के सामने नहीं करना चाहिए और अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए 
बच्चों को झूठे दिवास्वप्न नहीं दिखाने चाहिए 
बच्चों से झूठा वायदा नहीं करना चाहिए
 बच्चों के साथ सही भाषा का प्रयोग करना चाहिए
 बच्चों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्यवर्धक भोजन कराना चाहिए 
बेकार की बाजार की वस्तुओं को खिलाना पिलाना नहीं चाहिए वह भी उनकी आदत में शुमार हो जाती हैं और बड़ा होने के बाद उस आदत को बदलना मुश्किल हो जाता है 
बच्चों की दिनचर्या को बेहतर बनाने में मदद करनी चाहिए 
लेखक डॉ एमपी सिंह अपनी अनेकों पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं और देश के रिनाउंड कैरियर काउंसलर, मोटिवेशनल स्पीकर तथा ट्रेनर है किसी भी प्रकार की काउंसलिंग तथा ट्रेनिंग के लिए 9810566553 पर संपर्क करें अधिक जानकारी के लिए गूगल पर डॉ एमपी सिंह नेशनल अवॉर्डी लिखें याwww. drmpsingh com पर जांच करें
जैसी करनी वैसी भरनी 
जैसा बोओगे वैसा काटोगे

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