शिखंडी किन्नर होते हुए भी राजा थे लेकिन आज किन्नर क्या है -डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने चिंता जाहिर करते हुए इस लेख को लिखा है और अपील की है कि इस लेख पर अवश्य विचार करें
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के द्वारा लिखित संविधान में लिखा है कि हम भारत के नागरिक हैं हम सब भारतवासी हैं हम सब भारतीय हैं हम हिंदुस्तानी हैं हम हिंदू मुसलमान सिख ईसाई नहीं है हम सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है हम सभी स्वतंत्र हैं
डॉ एमपी सिंह ने सभी भारतवासियों से प्रश्न किया है कि यदि भारतवर्ष के नागरिक मेल और फीमेल है तो थर्ड जेंडर क्या है क्या थर्ड जेंडर को भी मेल और फीमेल के अधिकार प्राप्त हैं
डॉ एमपी सिंह ने अपने गहन अध्ययन के बाद चिंता जाहिर की है कि जब थर्ड जेंडर बीमार हो जाते हैं तो सरकारी अस्पताल में उनका इलाज नहीं किया जाता है जब थर्ड जेंडर सड़क पर भीख मांग रहे होते हैं तो लोग अपने गाड़ियों के शीशे ऊपर कर लेते हैं और अनाप-शनाप बोलना शुरू कर देते हैं थर्ड जेंडर के लोगों को किसी भी कार्यालय में नौकरी नहीं दी जाती है क्या कभी कोई सोचता है कि उनकी आजीविका के लिए क्या साधन है भोजन वस्त्र कथा दवाई गोली का खर्चा कहां से आएगा
डॉ एमपी सिंह ने कहा है कि जब भारतीय परिवारों मैं किसी थर्ड लिंग का जन्म होता है तो माता-पिता किसी को बताते नहीं है और पूरा फंक्शन करते हैं नामकरण कराते हैं दावत देते हैं किन्नरों को उपहार भी देते हैं और भविष्य में किन्नरों से ही बचाव करते रहते हैं
जब बच्चा बड़ा हो जाता है या उसे समझ आ जाती है तब भी वह अपने घर में ही सिमट कर वह मन मसोसकर रह जाता है और कई बच्चे सुसाइड भी कर जाते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि ऐसे बच्चों का व्यवहार अब नॉर्मल होता है उनके चाल चलन और व्यवहार से ही पता चल जाता है कि यह शिखंडी है ऐसे बच्चों की जब विवाह शादी नहीं होती है यारे प्यारे रिश्तेदार कहने सुनने लगते हैं तब उसे किन्नरों के हवाले किया जाता है क्या यह उचित है
उस वक्त वह उन लोगों में एडजस्ट नहीं हो पाता है और अपने माता-पिता को दोष देने लगता है इस बुराई को थी खत्म कराना चाहिए
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पढ़ाई लिखाई का तभी फायदा है जब हमारे अंदर दया तथा सेवाभाव हो प्यार मोहब्बत हो आपसी भाईचारा हो और कुरीतियों से लड़ने की क्षमता हो सच कहने की हिम्मत हो पढ़े लिखे समझदार को सच का साथ देना चाहिए तथा देश हित व जनहित में कार्य करना चाहिए
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि क्या यह भी हमारी तरह जिंदगी नहीं जी सकते हैं क्या इनको पढ़ाई लिखाई नहीं कराई जा सकता है क्या यह पढ़ लिखकर प्रतियोगी परीक्षा पास करके नौकरी नहीं कर सकते हैं क्या इनको नाच गाकर तथा तालियां बजाकर ही पैसे लेने होते हैं जब कोई इनको नहीं समझता है तो यह निर्वस्त्र हो जाते हैं और अपने आक्रोश को प्रकट करते हैं क्योंकि इनके अंदर भी गुस्सा होता है इन्हें भी समाज के लोगों पर गुस्सा होता है क्योंकि अधिकतर लोगों ने इनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ की होती है इसलिए यह समाज को भी दोषी समझते हैं और अपने गम को भुलाने के लिए मीट मांस अंडा शराब का सेवन करते हैं
सेक्स वर्कर और किन्नर को देखकर लोग घृणा क्यों करते हैं और यदि इनके पास सामाजिक कोई व्यक्ति खड़ा या बैठा होता है तो उसको भी नफरत की नजरों से क्यों देखना शुरु कर देते क्या कभी उनकी दुख भरी जिंदगी के बारे में किसी ने सोचा है क्या उनको हमदर्द और मित्र की जरूरत नहीं होती है क्या उनके पास दिल और दिमाग नहीं होता है क्या उनकी इच्छाएं मर चुकी है जरा गौर करो और सोचो समाज में समानता क्या होती है समानता का व्यवहार क्या होता है क्या सिर्फ बोलना ही है या कुछ करके भी दिखाना है
Very effective n genuine thoughts on a very sensitive matter 🙏
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