नारी एक शक्ति है फिर भी नारी सशक्तिकरण की जरूरत क्यों है - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि महिला सशक्तिकरण महिलाओं को मजबूती प्रदान करता है उनके हक की लड़ाई लड़ने में मदद करता है नारी एक शक्ति होते हुए भी आज नारी सशक्तिकरण की जरूरत क्यों पड़ रही है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि ग्रामीण आंचल में रहने वाली महिलाएं आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं भले ही वह पढ़ी-लिखी हैं लेकिन वहां के समाज के लोगों की मानसिकता दूषित है इसलिए अधिकतर पढ़ी-लिखी बहन बेटियों को भी दूषित मानसिकता का शिकार होना पड़ रहा है लेकिन शहर में बहन बेटियों ने गगन चुम्मी को चूम लिया है और उच्च प्रशासनिक व राजनीतिक पदों पर आसीन है खेल व विज्ञान की दुनिया में भी अपना परचम लहरा चुकी हैं
डॉ एमपी सिंह ने शिक्षा दर की बात करते हुए कहा कि बालिकाएं 61 फ़ीसदी तथा बालक 81 फीसदी पढ़ने जा रहे हैं जहां पर बेटियां ही पीछे हैं इसलिए सशक्तिकरण की बात करनी उचित है
डॉ एमपी सिंह ने रोजगार की बात करते हुए कहा कि गांव में 80 फ़ीसदी महिलाएं कृषि से जुड़े कार्यों को कर रही हैं जबकि शहर में 60 फ़ीसदी महिलाएं नौकरी पेशा कर रही हैं और 30 फ़ीसदी महिलाएं प्रोफेशनल हैं जैसे डॉक्टर इंजीनियर वकील आदि लेकिन फिर भी उन पर अत्याचार हो रहे हैं कहीं ना कहीं महिलाएं अपने आप को कमजोर महसूस महसूस कर रही हैं इसीलिए नारी सशक्तिकरण की बात चल रही है
डॉ एमपी सिंह ने असंगठित कार्य की बात करते हुए कहा कि अनेकों जगह नारी के नाम पर वेतन कम लगाया जाता है और पुरुषों के नाम पर वेतन ज्यादा यह सोच ठीक नहीं है जबकि महिलाएं पुरुषों से बेहतर कार्य करती है और अपने बच्चों को भी अपने तन से बांधकर रखते हैं कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनको पुरुष करने में शर्माते हैं लेकिन महिलाएं खुशी से करती हैं
डॉ एमपी सिंह ने समाज में फैली कुछ कुरीतियों और रूढ़ीवादिता की बात करते हुए कहा कि अनेकों जगहों पर महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता है उनकी पढ़ाई लिखाई पर भी प्रतिबंध होता है पढ़ने लिखने के बाद भी नौकरी पेशा नहीं करने दिया जाता है किसी के यहां आने जाने पर या वार्तालाप करने पर और मुस्कुराने पर उन पर शक किया जाता है और अनेक प्रकार की यातनाएं भी दी जाती हैं
शैक्षणिक संस्थानों अस्पतालों उद्योग धंधों आदि में बहन बेटियों का शोषण हो रहा है उससे निजात दिलाने हेतु नारी सशक्तिकरण की जरूरत है
डॉ एमपी सिंह ने अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की बात करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा दहेज ऑनर किलिंग तेजाब अटैक गैंगरेप तस्करी जैसे अपराधिक मामले देखने को मिल रहे हैं जिन पर अधिकतर समाज के लोग चुप्पी साध जाते हैं और न्यायपालिका में भी न्याय नहीं मिल पाता है
कामकाजी महिलाएं देर रात तक अपना वाहन नहीं चला सकती हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करती हैं तो अनेकों प्रकार के खतरों से खेलना पड़ता है और मुकाबला करने पर मौत के मुंह में जाना पड़ता है
वर्तमान में नारियों ने रूढ़िवादी बेडियो को तोड़ना शुरू कर दिया है अब नारी अबला नहीं सबला है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अब कुछ महिलाएं पढ़ लिख गई हैं इसलिए उन्हें अपने अधिकार और कर्तव्य के बारे में पूरा ज्ञान हो गया है इसलिए वह कुरीतियों और रूढ़िवादी सोच के प्रति लड़ाई लड़ने में सक्षम है
यदि हमें अपनी इज्जत चाहिए तो हमें सभी बहन बेटियों की इज्जत करनी पड़ेगी और मान सम्मान करना पड़ेगा तथा हमें महिलाओं को बराबरी का हक देने से गुरेज नहीं करना चाहिए समय और स्थिति को देखकर फैसला लेना चाहिए तभी समाज और देश का कल्याण हो सकता है डॉ एमपी सिंह का कहना है कि लैंगिक असमानता भी अभिशाप बन रहा है जिसकी वजह से आज भी गर्भ में बेटियों को मार दिया जाता है यदि किसी पर दो या तीन बेटी हो जाए तो उसे घर से निकाल दिया जाता है कि तूने बेटा क्यों नहीं पैदा किया ऐसे केसों में से निजात पाने के लिए नारी सशक्तिकरण जरूरी है कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगानी होगी और बेटी पढ़ाओ तथा बेटी खिलाओ के नारे को सार्थक करना होगा तभी नारी सशक्तिकरण का नरा सार्थक हो पाएगा
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