अंधी पीसे कुत्ता खाए कहावत सार्थक- डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि पहले महापुरुषों ने जो कहावत कही थी वह आज सार्थक हो रही है आज अधिकतर राशन की दुकानों पर जो राशन दिया जा रहा है वह सही लाभार्थी को नहीं मिल पा रहा है जो लोग राशन की दुकान से राशन ले रहे हैं वह गेहूं और चावल को आटा चक्की पर बेच रहे हैं चावल को ₹15 किलो के हिसाब से और गेहूं को ₹18 किलो के हिसाब से बेचकर धन कमा रहे साथियों बड़े दुख की बात है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सरकार उन महिलाओं के लिए बस फ्री करती है जिनके पास किराया नहीं होता है लेकिन फायदा वह महिलाएं उठाती हैं जो लाखों रुपए की सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में नौकरी कर रही होती है सब्सिडी का फायदा भी वही लोग उठा रहे हैं जिनके पास बड़े मकान और बड़ी गाड़ियां हैं
डॉ एमपी सिंह ने देखा है कि करोड़ों रुपए की गाड़ियों में चलने वाले लोग पार्किंग वाले को ₹20 भी नहीं देते हैं बल्कि उसे बेइज्जत भी करते हैं और बड़ी गाड़ियों में राशन की दुकान से राशन लाते हैं गरीब आदमी के पास वक्त कहां हैं कि राशन की दुकान पर वह लाइन में खड़ा होग वह तो ₹500- 700 की नौकरी करने में विश्वास रखता है डॉ एमपी सिंह ने देखा है कि 134 ए के तहत उन लोगों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं जिनके बहुमंजिला इमारत हैं जिन की फैक्ट्रियां चल रही है और जो रसूख वाले आदमी हैं गरीब आदमी सोच भी नहीं सकता है कब इस से मुक्ति मिलेगी
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पांचों उंगली बराबर नहीं होती हैं इसलिए सभी एक जैसे नहीं है कुछ भारतीय ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं भले ही कम कम आ रहे हैं लेकिन बस में चलते समय टिकट लेते हैं फ्री में बिजली नहीं जलाते हैं बिजली पानी और टैक्स चोरी नहीं करते हैं सही समय पर बिजली पानी का बिल जमा करते हैं और अपनी आय का ब्यौरा सही तरीके से सरकार तक पहुंचाते हैं उन्हीं की बदौलत आज देश में कुछ विकास देखने को मिल रहा है लेकिन हम सभी को जिम्मेदार होना चाहिए और ईमानदारी से कार्य करना चाहिए सरकार को भी अपनी आंखें खोलनी चाहिए और जो समाज में गलत हो रहा है उस पर अंकुश लगाना चाहिए सही व्यक्ति को लाभ मिलना चाहिए यह तभी संभव है जब कलमकार सही लिखना शुरु कर देंगे
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