तिरंगा की वजह से सभी पार्टी व दल सत्ता सुख भोग रही है - डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि यदि सुभाष चंद्र बोस चंद्रशेखर आजाद शहीद भगत सिंह रामप्रसाद बिस्मिल सुखदेव राजगुरु ने अपनी शहादत नहीं दी होती और महात्मा गांधी का त्याग तथा बाबा साहब का संघर्ष ना होता तो यह तिरंगा भारत वासियों को प्राप्त नहीं हो पाता आज इस तिरंगे को प्राप्त करने के बाद अधिकतर पार्टी और दल इस पर सियासत कर रहे हैं और सत्ता सुख भोग रहे हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि इस वर्ष 75 वीं वर्षगांठ को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जिसमें प्रधानमंत्री की तरफ से आवाहन किया गया है कि हर घर पर तिरंगा फहराया जाना चाहिए हम सभी का नैतिक दायित्व बनता है कि प्रधानमंत्री के आवाहन को सार्थक करें और अपने घरों पर अपने निजी खर्चे से अपने देश की आन बान शान राष्ट्रीय ध्वज को लहरा कर गौरवान्वित महसूस करें 

डॉ एमपी सिंह ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि जब हम छोटे बच्चे थे और प्राइमरी स्कूल में पढ़ा करते थे तब सभी बच्चे कागज को तिरंगा रंग लेते थे और सरकंडे मैं चिपका लेते थे वही झंडा बन जाता था हर विद्यार्थी के हाथ में यह झंडा होता था सभी अध्यापक आगे चलते थे और झंडा ऊंचा रहे हमारा विजई विश्व तिरंगा प्यारा के नारे लगाते हुए गांव की गलियों से गुजरते थे अंत में विद्यालय में तिरंगा फहराया जाता था तथा देश भक्ति के गाना गाकर पूरा गांव राष्ट्रभक्ति मैं रंग जाता था अंत में सभी विद्यार्थियों को बतासे खिलाए जाते थे 

उस समय हर बच्चे को अपने पूर्वजों के इतिहास का बोध हो जाता था लेकिन धीमे-धीमे यह परंपरा विलुप्त होती चली गई और दिखावटी पन आ गया जिससे आज के विद्यार्थियों को उन वीर  वीरांगनाओं का इतिहास पता नहीं है जिन्होंने भारत वर्ष की आजादी के लिए अपनी शहादत दे दी थी

 डॉ एमपी सिंह ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आजकल कुछ लोग राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग झाड़ू पोछा तथा गाड़ी साफ करने में कर रहे होते हैं कई राष्ट्रीय ध्वज को गंदी नाली में फेंक देते हैं या अपने पैरों के नीचे रगड़ देते हैं जोकि गलत है ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत 3 साल की सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है

 डॉ एमपी सिंह ने कहा की 15 अगस्त और 26 जनवरी राष्ट्रीय पर्व है इसलिए इस दिन बहन बेटियों को तिरंगा दुपट्टा पहनना चाहिए तथा बड़े बूढ़े बुजुर्गों को तिरंगी पगड़ी पहननी चाहिए और युवाओं को अपने सीने पर तिरंगे झंडे का मोनोग्राम लगाना चाहिए ताकि चारों तरफ तिरंगा ही तिरंगा दिखाई पड़े और विविधता में एकता की झलक दिखाई पड़े 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अपने कार्यालय की मेज पर भी तिरंगा झंडा रखना चाहिए तथा कुर्सी के पीछे तिरंगा झंडा सिर से ऊंचा होना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूक करना चाहिए हर स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित गीत नाटक डिबेट व भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन कराना चाहिए तथा विजेताओं को स्मृति चिन्ह के तौर पर तिरंगा झंडा सम्मान के रूप में देना चाहिए

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