मित्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मित्र बड़े सौभाग्य से मिलते हैं -डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने कहा कि बचपन में बोध नहीं होता है इसलिए जो हमें अच्छा खिलाता और पिलाता है या जो हमारे साथ खेलता कूदता है है वही हमें मित्र नजर आता है इसीलिए हमें कुत्ता बिल्ली और खिलौनों से प्यार हो जाता है 
लेकिन टीन एज हो जाने पर हमें जो रोकता टोकता नहीं है स्वतंत्रता में खलल नहीं डालता है पढ़ने लिखने के लिए नहीं कहता  है स्कूल जाने के लिए नहीं कहता है वह अच्छा मित्र नजर आता है 
लेकिन जब बड़े हो जाते हैं तब पता चलता है कि मित्रता में क्या खोया और क्या पाया जो मित्र पीछे से हमारा बचाव करता है दुख में साथ खड़ा रहता है गरीबी में छोड़कर नहीं भागता है अनेकों कमियों के बाद भी सार्वजनिक शर्मिंदा नहीं करता है अच्छे काम के लिए आगाह करता रहता है गलत काम के लिए डांटता फटकार है वही सुख दुख का साथी और अच्छा मित्र होता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज भौतिकवाद की दुनिया में अधिकतर लोग अधिक पैसे वाले और बाहुबली तथा पद और प्रतिष्ठा वाले लोगों से मित्रता करना चाहते हैं जिसमें अधिकतर धोखे मिलते हैं 
बुद्धि और विवेक से काम लेने वाले अपनी पुस्तकों को अपना सच्चा मित्र बनाते हैं माता-पिता तथा गुरुओं से भी सच्ची दोस्ती रखते हैं बुद्धिजीवी विचारक और चिंतनशील व्यक्तियों से सानिध्य प्राप्त करके दोस्ती के मायने समझते हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि  दोस्ती करते समय हमें बहुत बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए इसमें जरा सी गलती पूरे जीवन को बर्बाद कर देती है जो कि आजकल अधिकतर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में देखने को मिल रही है 
बाहरी आकर्षण और सुंदरता की वजह से कभी दोस्ती नहीं करनी चाहिए दोस्ती करने से पहले हजार बार निरीक्षण और परीक्षण करना चाहिए यदि मित्रता की कसौटी पर कोई खरा उतरता है तो उसे हमेशा के लिए अपना मित्र बना लेना चाहिए मित्रता के मायने कृष्ण और सुदामा तथा राम और विभीषण से समझने चाहिए

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