पूरी जिंदगी कमाने वाला बोझ बन जाता है - डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि इंसान पूरी जिंदगी झूठ सच बोल कर अधिक से अधिक धन कमाने में लगा रहता है बड़ी गाड़ी खरीदता है बड़ा बंगला बनाता है बड़ा व्यापार करता है बड़े लोगों को होटल और क्लब में खाना खिलाता है हवाई जहाज में यात्रा करता है लेकिन जैसे-जैसे बुढ़ापा आता जाता है कार्य करने की ऊर्जा कम होती जाती है हाथ पैर जवाब दे जाते हैं दांतो से कुछ खाया नहीं जाता है आंखों से दिखाई नहीं पड़ता है शरीर जर्जर अवस्था में हो जाता है उठने बैठने में असमर्थ हो जाता है बोलने चलने में असमर्थ हो जाता है सोचने समझने में असमर्थ हो जाता है हर तरीके से वह पराधीन हो जाता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि यह कहानी अधिकतर लोगों के साथ गुजरती है अपने बच्चों के लिए अरबों खरबों कमाकर बैंक बैलेंस कर देता है करोड़ों रुपए की ज्वेलरी खरीद कर बैंकों में के लॉकर में जमा कर देता है अरबों खरबों की एफडी जमा कर देता है बड़े-बड़े फार्म हाउस बना लेता है जेड सिक्योरिटी रख लेता है गनमैन रख लेता है अनेकों नौकर चाकर रख लेता है बड़े-बड़े काफिले में चलता है लेकिन अंत में अपने किए हुए पर पछताता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जब बड़ी प्रोफाइल का आदमी बुजर्ग की स्थिति में आता है तो बच्चे उसका सौदा करने लग जाते हैं कि यह तेरा बाप है मां मेरी है मां तेरी है पिता मेरा है जिसके पास धन दिखाई देता है या जो स्वस्थ होता है उसको अपनी तरफ रखते हैं जब वह बीमार होता है या जिसके पास धन नहीं होता है उसको वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं वृद्धावस्था में सौदा करते हैं कि यदि यह प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दोगे तो मैं आपकी सेवा करूंगा अन्यथा जिसको दोगे वह आपकी सेवा करेगा वही आप का दाह संस्कार करेगा 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जब कोई भी इंसान बुजर्ग हो जाता है तो प्रॉपर्टी विवाद शुरू हो जाता है प्रॉपर्टी के कागज गलत तरीके से साइन करा लिए जाते हैं विल लिखवा ली जाती है और बीमार स्थिति में इलाज न कराकर डॉक्टरों के साथ मिलकर उस इंसान को मार दिया जाता है और अन्य लोगों को महसूस भी नहीं होने दिया जाता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर औलाद स्वार्थी है अधिकतर लोगों को यह पता होते हुए भी मरते दम तक औलाद के लिए जोड़ जोड़ कर रखते रहते हैं न तन में पहनते हैं ना पेट में खाते हैं हर चीज में कंजूसी करते हैं लेकिन फिर भी सम्मान प्राप्त नहीं कर पाते हैं फिर भी बहू बेटों से उल्टा सीधा सुनना पड़ता है  इसलिए हमें वर्तमान में जीना चाहिए अधिक धन इकट्ठा नहीं करना चाहिए परोपकार हमेशा करना चाहिए मदद के लिए हमेशा आगे आना चाहिए झूठ बोलकर पैसा नहीं कमाना चाहिए सच का साथ देना चाहिए किसी दूसरे के हिस्से को नहीं हड़पना चाहिए सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं करना चाहिए षड्यंत्र रच कर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए किसी से छीना झपटी नहीं करनी चाहिए किसी के मकान दुकान पर नाजायज कब्जा नहीं करना चाहिए फिरौती लेकर किसी का मर्डर नहीं करना चाहिए गलत तरीके से धन नहीं कमाना चाहिए जो ऐसा करता है उसे  इस मृत्युलोक में ही भुगतना पड़ता है 

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