सुगम न्याय से सुगम जीवन दिया जा सकता है - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर पीड़ित लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है जिसकी वजह से वह शहर और गांव छोड़ जाते हैं और अनेकों लोग अपघात कर लेते हैं इसलिए न्याय प्रणाली को सुगमता से कार्य करना चाहिए ताकि अन्य लोगों का जीवन सुगम हो सके
डॉ एमपी सिंह ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अधिकतर पीड़ित लोगों की पुलिस चौकी और थाने में एफ आई आर ही नहीं लिखी जाती है न्यायालय तक पहुंचना तो बहुत दूर की बात है यदि पीड़ित उच्च अधिकारियों के पास अपनी गुहार अर्थात प्रार्थना लेकर जाते हैं तो वहां पर भी कोई सुनवाई नहीं होती है कई दिनों तक पूरे दिन बैठकर और इंतजार करके चले आते हैं लेकिन अधिकारियों से मुलाकात ही नहीं हो पाती है यदि मुलाकात हो भी जाती है तो वह उस प्रार्थना पत्र को उसी अधिकारी के लिए मार्क कर देते हैं जिस अधिकारी से पीड़ा है और झूठा आश्वासन दे देते हैं कि अब आपकी प्रार्थना पर कार्यवाही होगी लेकिन वहां जाकर तो और परेशानियों का सामना करना पड़ता है बल्कि अनाप-शनाप बातों को भी सुनना पड़ता है कि वहां जाकर आपने अब क्या करा लिया है कहीं भी आप चले जाइए मैं भी राजनीतिक परिवार से हूं मेरी भी ऊपर विधायक सांसद मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचा है मैं अपने सीनियर अधिकारियों को नहीं मांगा पैसा पहुंचाता हूं इसलिए आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हो
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ कर्मचारी ईमानदार होने का ढोंग करते हैं मीठा बोलते हैं गीता का उपदेश देते हैं लेकिन बड़े अधिकारियों के नाम पर उगाही करते हैं और कहते हैं कि मैं मजबूर हूं आपकी मदद नहीं कर सकता हूं मेरे ऊपर सीनियर अधिकारियों का तथा राजनेताओं का दबाव आ रहा है और पीड़ित पर दबाव तथा प्रभाव बनाकर केस को वापस लेने की कहते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जिस देश में बाबा भीमराव अंबेडकर का संविधान लागू हो उस देश में नागरिकों को न्याय मांगने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है और अधिकतर कर्मचारी और अधिकारी समृद्ध साली तथा दबंगों के लिए ही कार्य कर रहे हैं जिससे गरीब बेसहारा दिव्यांग मजबूर असहाय दिन प्रतिदिन टूटता जा रहा है और षड्यंत्र तथा शोषण का शिकार हो रहा है आम आदमी को झूठे केसों में फसाया जा रहा है और अनायास प्रताड़ित किया जा रहा है
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