अधिकारों की लड़ाई से देश कमजोर नहीं मजबूत होता है - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देवकी और वासुदेव ने कुरीतियों तथा शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी तो भगवान के रूप में श्री कृष्ण ने अवतार लिया और कंस जैसे क्रूर और निर्दयी अत्याचारियों का विनाश करके उनको उनके अधिकार दिलाए
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि अधिकारों की लड़ाई से व्यक्ति समाज और देश मजबूत होते हैं आंदोलन से लोकतंत्र की ताकत बढ़ती है इसी से ब्रिटिश साम्राज्य का खात्मा हुआ था आजादी के मूल्यों की रक्षा करना तथा सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है लेकिन आजकल इसके विपरीत आचरण हो रहा है और अंधविश्वास का प्रचार और प्रसार हो रहा है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज जल जंगल और जमीन यदि नहीं बचाई गई तो अगला विश्वयुद्ध इसी पर आधारित होगा और यदि शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार पर उचित कार्य नहीं किया गया तो देश कमजोर हो जाएगा आज जल जंगल जमीन शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के लिए सभी गैर सरकारी संस्थानों तथा स्वयं सेवकों को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज सामाजिक परिवेश रहन-सहन और व्यवहार में तो परिवर्तन हो रहा है लेकिन भारतीय सभ्यता और संस्कृति का हनन हो रहा है आज बेकसूर जेलों में चक्की चला रहे हो अधिकतर माता पिता दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं सिद्धांत पर जीने वाले सही लोग बेमौत मारे जा रहे हैं सही मायने में देशभक्तों का बहिष्कार और तिरस्कार हो रहा है फर्जी और गुनाहगार चमचे सम्मानित जिंदगी जी रहे हैं आज अधिकार की लड़ाई संविधान की अदालतों में नहीं बल्कि चौक चौराहों पर हो रही है अधिकार की लड़ाई लड़ने वालों को जेल का रास्ता दिखाया जा रहा है जिसके खिलाफ हमें एकजुट होना चाहिए और अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले का निस्वार्थ साथ देना चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पहले बाबा साहब ने दलितों और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई आंदोलन के जरिए लड़ी थी और विजय हासिल करके सभी को स्वतंत्रता समानता और वोट का अधिकार दिलवाया और मूलभूत सुविधाएं दिलवाई जबकि षड्यंत्रकारियो ने उन को मारने के लिए अनेकों षड्यंत्र रचे लेकिन षड्यंत्रकारी सफल नहीं हुए क्योंकि उन्होंने बुद्धि और विवेक से काम लिया तथा उनके साथ उनके पिता सूबेदार रामजी सतपाल उनकी पत्नी रमाबाई उनकी माता भीमाबाई उनकी बुआ अंबेडकर गुरुजी व अन्य समाज के लोग साथ थे
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