भौतिकवाद की दुनिया में संवैधानिक पदों पर आसीन अधिकतर नेता और अधिकारी गूंगे ,बहरे और अंधे की भूमिका निभा रहे हैं- डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि समाज में बहुत ऐसे लोग हैं जो समर्पण के साथ कार्य ईमानदारी से करते हैं लेकिन संविधानिक पदों पर बैठे नेता और अधिकारी जानते और पहचानते नहीं है कुछ चंद लोगों को जानते और पहचानते हैं तो उनको लाभ नहीं देना चाहते हैं लाभ उन्हीं को दिया जाता है जो चापलूस और समय अनुसार उनकी इच्छा की पूर्ति करते रहते हैं तथा कार्य करने वालों के खिलाफ उनके कान भरते रहते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय स्वयं लेते रहते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि वह लोग ना तो काम करने में सक्षम है ना ही उनके पास ज्ञान और अनुभव है लेकिन फिर भी उनके ऊपर आकाओं का हाथ है और वही मुख्यमंत्री हाउस राजभवन और प्रेसिडेंट हाउस मैं सम्मान प्राप्त कर रहे हैं जिससे समाज में संदेश गलत जा रहा है और अधिकतर बेहतर कार्य करने वालों की आशा और उम्मीदों पर पानी फिर रहा है इसके लिए मानक निर्धारित करने चाहिए या जिन को सम्मान मिला है उनकी भूतकाल में किए गए कार्यों की जांच करनी चाहिए कि ऐसा कौन सा उल्लेखनीय कार्य उनके द्वारा किया गया है जिसके लिए उनको सम्मान मिल रहा है क्या उनसे बेहतर कार्य खंड स्तर जिला स्तर प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर किसी अन्य का नहीं है मुझे तो ऐसा लग रहा है कि अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जो व्यक्ति कार्य करता है वह तो जगजाहिर होता है सभी को उसका कार्य दिखाई पड़ता है फिर उसका नाम सम्मान की श्रेणी में क्यों नहीं होता है पैसे के आधार पर सब कुछ फर्जीवाड़ा चल रहा है फर्जी फोटो खींच पाए जाते हैं फर्जी प्रेस नोट बनवाए जाते हैं और फर्जीवाड़े के माध्यम से संकलन करके मानक पूरे किए जाते हैं फिर जश्न मनाया जाता है यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश कमजोर हो जाएगा जिस देश में ज्ञानी और विज्ञानी की कदर नहीं होती है वह देश पतन की तरफ होता है सब कुछ फर्जीवाड़े पर आधारित बहुत बड़ा धोखा है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि संविधानिक पदों पर इतने पढ़े लिखे इंसान बैठे होते हैं उनको चौकन्ना रहना चाहिए सुनना चाहिए समझना चाहिए और सही निर्णय लेकर राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए कार्य करना चाहिए यदि सही इंसानों को सम्मान मिलेगा सही व्यक्ति को रोजगार मिलेगा तो समाज में व्याप्त कुरीतियां खत्म हो जाएंगी उसके लिए अधिक धन खर्च नहीं करना पड़ेगा और अधिक संघर्ष भी नहीं करना पड़ेगा समाज में कुरीतियां तो इसलिए पनप रही है कि सिफारिशों के आधार पर जो पात्र नहीं है उन्हें पात्र बनाया जा रहा है मुझे उम्मीद है कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए मेरे इस लेख पर अवश्य चिंतन और मनन किया जाएगा
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