हिंदी को विलुप्त होने से बचाने के लिए हिंदी दिवस मनाने की जरूरत पड़ रही है - डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी जनसंपर्क की सबसे बड़ी और आसान भाषा है इसलिए हिंदी बोलने और लिखने में गौरवान्वित होना चाहिए तथा हर क्षेत्र में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि 14 सितंबर 1949 से देवनागरी में लिखित हिंदी को अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था इसलिए हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अपने सभी कार्यों को हिंदी भाषा में करें और हिंदी में बात करके हिंदी भाषा का मान सम्मान बढ़ाएं तथा विदेशी भाषाओं का बहिष्कार करें

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि अंग्रेजी के इस्तेमाल के बढ़ते चलन से हिंदी के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है आज कुछ लोग अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा कर गौरव महसूस कर रहे हैं और आस पड़ोस में अंग्रेजी बोल कर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि यह उचित नहीं है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि हम हिंदुस्तानी है और हिंदी हमारी मातृभाषा है आपकी अज्ञानता की वजह से अंग्रेजी और चीनी पहले और दूसरे स्थान पर हैं तथा हिंदी तीसरे स्थान पर पहुंच गई है जो की चिंता का विषय है अधिकतर देश अपने अपने देश की भाषा को प्रमुखता व तवज्जो देते हैं और उसी में काम करते हैं तथा उसी को बोलते हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि हमें ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हिंदी और संस्कृत की वजह से पहले हिंदुस्तान विश्व गुरु रहा है अन्य देशों ने हिंदुस्तान से पहले सीख ली है हिंदी मेरा अभिमान है हिंदी मेरा स्वाभिमान है और हिंदी ही मेरी पहचान है इसलिए हिंदी भाषा के लिए अत्यधिक लोगों को जागरूक करके अपने कर्तव्य बोध का परिचय देना चाहिए और हिंदी को विलुप्त होने से बचाना चाहिए अंग्रेजी बोलने से कोई भी इंसान बहुत बड़ा नहीं हो जाता है

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