विश्वकर्मा दिवस की शुभकामनाएं देते हुए पैसा कमाने के टिप्स दिए तथा नौकरियों के प्रकार बताएं -डॉ एमपी सिंह
लाइफ कोच व मोटिवेशनल स्पीकर डॉ एमपी सिंह ने विश्वकर्मा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विश्वकर्मा भगवान ने लंका का निर्माण किया था जिसके लिए इतिहास के पन्नों में अमर हो गए यदि हम उनके पद चिन्ह तथा आदर्शों का अनुसरण करें तो आज भी किसी प्रकार का अभाव नहीं हो सकता है विश्वकर्मा वंशजों के लिए यह गर्व की बात है कि वह शिल्पकार, रूपकार, इंजीनियर, देश और दुनिया का निर्माण करने वाले सम्मानित है विश्वकर्मा भगवान के वंशज आत्मनिर्भर है और अपनी काबिलियत के आधार पर जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं जितना धन कमाना चाहे उतना धन कमा सकते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पैसा अनेकों तरीकों से कमाया जा सकता है नौकरी करके पैसा सिर्फ जरूरत पूरी करता है क्योंकि प्रतिमाह जितना पैसा व वेतन आता है उसी तरीके से धन प्रबंधन किया जाता है लेकिन उस में तनाव नहीं होता है निश्चित अवधि की नौकरी होती है अनुशासन पूर्ण जीवन होता है यदि किसी की तनख्वा 10,000 है तो वह खर्चे भी 10000 की तरह ही करता है यदि किसी की तनखा 50,000 है तो खर्चे भी 50000 के आधार पर होते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि इंसान स्वयं की नौकरी करके बेहतर कमाई कर सकता है उसमें पूरी स्वतंत्रता और काम करने की लिबर्टी रहती है चाहे वह दिन में काम करें या रात में, जब मन चाहे तब आराम कर सकता है या घूमने-फिरने जा सकता है किसी से छुट्टी नहीं मागनी पड़ती है किसी से परमिशन नहीं लेनी पड़ती है जितना काम करता है उतना ही कमाई आती है लेकिन कई बार तनावपूर्ण जिंदगी हो जाती है क्योंकि कुछ लोग कार्य करा कर पेमेंट नहीं करते हैं उनके आगे पीछे घूमना पड़ता है भीख सी मांगनी पड़ती है कई बार कोर्ट कचहरी का सहारा भी लेना पड़ता है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पहले अधिकतर लोग स्वयं की नौकरी करते थे यानी अपना काम करते थे प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, जूता बनाना, बर्तन बनाना, बाल काटना, लकड़ी का काम, लोहे का काम ,ईट बनाना, पत्थर लगाना, चिनाई करना ,मूषक द्वारा पानी पिलाना, खेतों की निराई गुड़ाई करना, खेती करना, कपड़े सिलना, बुनाई करना, फल सब्जी बेचना ,बर्फ बनाना, बर्फ बेचना, पेंट पॉलिश करना ,लिपाई पुताई करना, सफेदी करना, चारपाई बुनना ,सूत कातना, पंचर लगाना, बर्तन बनाना, प्रेस करना किताबों पर जल्द चढ़ाना आदि उक्त कार्य को करने के लिए पढ़ाई लिखाई की जरूरत नहीं थी और कोई भी अनपढ़ कार्य उक्त कार्यों को करने मैं बेइज्जती महसूस नहीं करता था इसीलिए अपने परिवार को आसानी से पाल लेता था
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज अधिकतर लोग पढ़ लिख गए हैं जिसकी वजह से वह आराम की नौकरी चाहते हैं कम पैसे में काम नहीं करना चाहते छोटी नौकरी नहीं करना चाहते जिसकी वजह से तनावपूर्ण जिंदगी जी रहे हैं और कहते हैं कि क्या फायदा पढ़ने लिखने का रोजगार ही नहीं है जिसके पास अपना हुनर है और बॉस की सुनने की क्षमता रखता है तथा अन्य लोगों से बेहतर परफॉर्मेंस देता है उसकी नौकरी हमेशा पक्की हो जाती है और पैकेज में बढ़ोतरी भी होती रहती है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि रोजगार की आज भी कोई कमी नहीं है हर कंपनी को अपने टेस्ट का आदमी चाहिए हर स्कूल को पढ़ा-लिखा क्वालिफाइड इंटेलिजेंट सभ्य अध्यापक चाहिए अधिकतर कंपनियों में सेल्स बॉय और सेल्स गर्ल तथा डिलीवरी ब्वॉय रखे जाते हैं और कार्य के आधार पर उनको इंसेंटिव भी दिया जाता है लेकिन उक्त कार्यों को करने में पढ़े-लिखे लोग अपनी तौहीन समझते हैं बल्कि छोटी नौकरी करके बड़ी नौकरी आसानी से प्राप्त की जा सकती है छोटी नौकरी में बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि नौकरी प्राप्त करने के लिए अखबार रोजगार समाचार पत्र बुक डिपो पर समय-समय पर अनेकों नौकरियों के फॉर्म उपलब्ध होते हैं अनेकों नौकरियां सोशल मीडिया तथा naukri.com आदि उपलब्ध है सरकार की तरफ से भी टेलीविजन पर काफी नोटिफिकेशन जारी होते रहते हैं मेहनत करने वाले महीने 2 महीने ही घर पर बैठ सकते हैं उसके बाद सार्थक प्रयास करने पर नौकरी मिल ही जाती है लेकिन जो पैकेज को लेकर आटे के रहते हैं उनके लिए हमेशा नौकरियों की कमी रहती है इसमें हमें तालमेल व सामजस्य बिठाना पड़ता है घर बैठे ही सब कुछ नहीं मिल जाता कुछ प्राप्त करने के लिए घर से बाहर भी निकलना पड़ता है
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