विद्यार्थी पक्षियों से सीख लेकर अपने जीवन को कामयाब बना सकते हैं और निरोगी काया रह सकते हैं - डॉ एमपी सिंह

इंदिरा नगर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों को स्वस्थ रखने के लिए और जिम्मेदार बनाने के लिए कार्यशाला का आयोजन कराया गया जिसमें अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि विद्यार्थी जीवन सीखने के लिए होता है जिसमें माता पिता और गुरुओं से सीख कर समाज और देश को अपना योगदान देता है जो विद्यार्थी उत्तम शिक्षा प्राप्त कर लेता है वह बुद्धि और विवेक से काम लेता है लेकिन जो बचपन में भटक जाता है गलत सोसाइटी में चला जाता है वह अपराधी बन जाता बहुत समय निकल जाने के बाद फिर उसे आत्मबोध होता है लेकिन जब तक वह अपना सब कुछ खो बैठता है 

डॉ एमपी सिंह ने समझाते हुए कहा कि परमपिता परमात्मा ने मनुष्य को बुद्धि और विवेक देकर कुछ सदकर्म करने के लिए इस भौतिकवाद की दुनिया में भेजा है  लेकिन दुराचार अनादिचार व्यभिचार चोरी जारी लूट खसोट निंदा चुगली मैं लगा हुआ है अनायास धन इकट्ठा कर रहा है न सोने का समय है न जगने का समय है अनेकों प्रकार के नशा करके पड़ा रहता है अपना समय तथा जीवन बर्बाद कर रहा है जिसकी वजह से अनेकों प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है अनेकों प्रकार की भयंकर बीमारियां लग चुकी है किडनी और लीवर खराब हो चुके हैं आंखों से दिखाई नहीं पड़ रहा है हाथ पैर जवाब दे चुके चुके हैं फिर भी सुधारने के लिए तैयार नहीं है 

डॉ एमपी सिंह ने पक्षियों के बारे में बताते हुए सीख दी है  कि पक्षी सुबह जल्दी उठ जाते हैं अपने शरीर से खूब काम लेते हैं जिसकी वजह से किडनी और लीवर खराब नहीं होते हैं आप कितने भी दाने डाल दें वह थोड़ा सा खाकर ही उड़ जाते है ठूंस ठूंस  कर कभी नहीं खाते हैं और ना ही कभी कुछ अपने साथ ले जाते हैं रात होते ही सो जाते हैं रात के सिवाय कभी आराम नहीं करते हैं रात के समय कुछ नहीं खाते हैं रात को कहीं घूमने नहीं जाते हैं सही समय पर अपने बच्चों को सही सिखाते हैं अपने बच्चों को भरपूर प्यार देते हैं प्रकृति से उतना ही लेते हैं जितना उनको जरूरत होती है और अपना आहार कभी नहीं बदलते इसीलिए वह निश्चिंत अपनी जिंदगी सुख से जीते हैं और आत्महत्या भी नहीं करते

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज घोर कलयुग चल रहा है जिसमें मनुष्य अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा है सही समय पर अपने बच्चों को सही शिक्षा ही नहीं दे पा रहा है परिवार के प्रति भी जिम्मेदार नहीं है अनाप-शनाप खाता रहता है तामसी भोजन करने  से बुद्धि भी तामसी हो जाती है और विचारों में भी बिकार आ जाता है

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