समुद्र से सीख लो और समुद्र की तरह बनो - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि समुद्र से सीख लेनी चाहिए एक छोटे नादान बच्चे की चप्पल यदि समुद्र धारा के साथ बहाकर ले जाता है तो वह समझता है कि समुद्र चोर है यदि किसी व्यक्ति को समुद्र किनारे धन-संपत्ति मिल जाती है तो वह समझता है कि समुद्र दातार है समुद्र में रहने वाली मछलियां समझती हूं कि वह पाल नहार है समुद्र से निकलने वाली रेती का व्यापार करने वाले समझते हैं किस समुद्र दयालु और कृपालु है सुनामी आने पर समुद्र के किनारे बसे नगर उजड़ जाने पर वहां के निवासी समझते हैं कि समुद्र निर्दई है जबकि ऐसा कुछ नहीं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि समुद्र में से कोई थोड़ा जल निकाल ले या कोई थोड़ा जल डाल दे उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है वह हमेशा समभाव में रहता है और मस्त गति से चलता रहता है अनेकों का उद्धार करता है तो अनेकों का विनाश करता है आग उसमें गिरकर शांत हो जाती है यहां तक कि विनाशक परमाणु बम भी उसमें गिर कर शांत हो जाता है जो अपने ऊपर ज्यादा भरोसा कर बैठते हैं ऐसे नादान लोग उस में उतर जाते हैं और डूब जाते हैं अनेकों का भ्रम तोड़ता है तो अनेकों को विश्वास दिलाता है इसलिए अहम और बहन ठीक नहीं है सत्य को जानो और सत्य को पहचानो क्योंकि आज तक कोई समुद्र की गहराई को नाप नहीं पाया है इसलिए समुद्र की तरह है गहरे बनो
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