दुश्मन नहीं विरोधी रखें -- एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर डॉ एमपी सिंह का कहना है कि विरोधी  आपके कार्यों की समीक्षा करते हुए विरोध करता है और बेहतर करने के लिए सतर्क करता है लेकिन दुश्मन आपको व्यक्तिगत पारिवारिक आर्थिक सामाजिक मानसिक क्षति पहुंचाता है इसलिए दुश्मन नहीं विरोधी रखने चाहिए

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ लोग विरोध के नाम पर बदमाशी भी करते हैं जो कि उचित नहीं है विरोध हमेशा व्यवस्था का होता है और विरोध जताने के लिए धरना प्रदर्शन किए जाते हैं उच्च अधिकारियों और नेताओं को ज्ञापन दिए जाते हैं या समाचार पत्र सोशल मीडिया टेलीविजन आदि के माध्यम से विरोध जताया व दर्शाया जा सकता है विरोध प्रदर्शन हमेशा शांतिपूर्ण किया जाता है जिसकी सीख हम महात्मा गांधी जी के आंदोलनों से ले सकते हैं

 डॉ एमपी सिंह ने विरोध जताने का एक छोटा सा उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी  की कमीज के बटन टूटे हुए हैं और अन्य व्यक्ति आपस में बात कर रहे हैं कि बिना बटन के कमीज पहनी हुई है कपड़े पहनने की तमीज भी नहीं है कितनी गंदी कमीज पहनी हुई है ऐसा सुनने के बाद वह व्यक्ति उस कमीज की धुलाई भी कर लेता है और बटन भी लगवा लेता है और आगे से इस बात का ध्यान भी रखता है 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि चीन तुर्की पाकिस्तान अमेरिका श्रीलंका इजरायल कश्मीर कतर आदि भारत के विरोधी हैं या दुश्मन यह सोचने का विषय है भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है जिसमें 1965 और 1971 के दौरान युद्ध हुए थे उससे पता चलता है कि किस ने हमारी मदद की थी और किसने हमें नुकसान पहुंचाया था किसके साथ हमें आयात करना चाहिए और किसके साथ निर्यात 1984 के दंगे किसी से छिपे हुए नहीं हैं कामयाबी के लिए दुश्मन की मानसिकता और पिछला इतिहास को देखकर भविष्य के बारे में योजना बनानी चाहिए 

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि अनेकों सामाजिक संगठन देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए बने हुए हैं लेकिन अधिकतर को देश की एकता और अखंडता से कोई लेना देना नहीं है वह सिर्फ अपने परिवार और मित्रों की आय सुनिश्चित कर रहे हैं और प्रोजेक्ट के नाम पर सरकार से भारी भरकम रकम वसूल रहे हैं सरकार की नजरों में धूल झोंक रहे हैं तिकड़म बाजी करके तथा सांठगांठ बिठाकर उद्योगपतियों प्रशासनिक अधिकारियों और मंत्रियों से भी भारी भरकम रकम लेकर मौज-मस्ती कर रहे हैं किसी भी दिव्यांग असहाय मजबूर बेसहारा लाचार गरीब बेरोजगार आदि को सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक लाभ नहीं दे पा रही है जबकि सामाजिक संस्थाएं आई ओपनर होती हैं और सामाजिक कुरीतियों का विरोध करती हैं देश को आगे बढ़ाने का काम करती हैं प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने में अपना अहम योगदान देती हैं लेकिन आजकल की संस्थाएं स्वार्थ लाभ के लिए सिर्फ चापलूसी कर रही हैं और अपने काम निकाल रहे हैं तथा परिवार के सदस्यों के नाम व्यापार स्थापित कर रही हैं

Comments

Popular posts from this blog

तथागत बुद्ध के विचार और उनकी शिक्षा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है - डॉ एमपी सिंह

मंगलसेन बस पोर्ट होगा नया नाम एनआईटी बस अड्डे का -मुख्यमंत्री हरियाणा

work on road safety by Dr MP Singh