दो-तीन साल तक बच्चे को पालने वाले अलग नहीं रह सकते हैं- डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि जिन घरों में बच्चे का जन्म होता है उस घर के सदस्य उस बच्चे को पालने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं चाहे वह दादा दादी का घर हो या नाना-नानी का 

जब इन दोनों में से कोई घर नहीं होता है तो माता-पिता स्वयं भी पालते हैं यदि वह नौकरी पेशा वाले हैं तो वह आया या नौकर के सहयोग से पालते हैं 

देखा गया है कि छोटा बच्चा जब हंसता मुस्कुराता चलता फिरता गिरता है तो अति सुंदर लगता है उसकी अदाएं मनमोहिनी व आकर्षक होती है उस पल इंसान सब कुछ भूल जाता है और बार-बार उसके साथ खेलनापसंद करता है चाहे भले ही वह उसके ऊपर टट्टी पेशाब कर जाए लेकिन फिर भी गुस्सा नहीं करता है यदि आपने गुस्सा किया या आंख दिखाई तो वह रोना शुरू कर देता है और आपको उसका रोना अच्छा नहीं लगता है इसलिए आप स्वयं सुधर जाते हैं ऊंची आवाज में बातें करना भी छोड़ देते हैं जो घर में बार-बार चिल्लाते थे या गुस्सा करते थे उसको भी छोड़ देते हैं 

यदि वह सो रहा है और अन्य लोग ऊंची आवाज में बात करते हैं या गली में कोई सब्जी बेचने वाला जोर जोर से आवाज लगाता है या गली में बच्चे शोर करते खेलते हैं तो उनको भी डांटना फटकार  देते हैं इससे आपके लगाव का पता चलता है कि आप उस बच्चे से कितना प्यार करते हैं

  छोटा बच्चा कई बार नुकसान कर देता है उसके हाथ में नोट देने पर वह  नोट फाड़ देता है बर्तन फेंकता है दूध की बोतल तोड़ देता है लेकिन फिर भी अच्छा लगता है जो इंसान दो-तीन साल तक बचपन में उस बच्चे के साथ रह लेता है वह उस बच्चे दूर नहीं रह सकता है इसीलिए कई बार माता-पिता बाहर काम करने चले जाते हैं लेकिन बच्चे को दादा-दादी या नाना-नानी के पास ही छोड़ जाते हैं

 जब आया उस बच्चे की परवरिश करती है तो उसको ही वह अपनी मां समझने लगता है और उसकी अनुपस्थिति में अपने आपको वह असुरक्षित समझ कर रोने लगता है किसी और के पास नहीं जाता है यदि कोई जबरदस्ती उसे ले लेता है तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लगता है या उसको काट खा लेता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि बच्चे भगवान का रूप होता है  उसकी उसी भाव से सेवा करनी चाहिए उसके परिणाम बेहतर होते हैं जो बहुत ही खूंखार लोग होते हैं उन्हें छोटा बच्चा पालने के लिए दे देना चाहिए फिर वही उस बच्चे के साथ विनम्र सरल सहज और उदार हो जाते हैं उनके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है इसलिए आगामी खुशी के लिए छोटे बच्चे की परवरिश में सभी को साथ और सहयोग देना चाहिए

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