दबाव कोयले को भी हीरा बना देता है -डॉ एमपी सिंह

लाइफ कोच व मोटिवेशनल स्पीकर डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आपने कोयले और हीरा की खानों के बारे में तो अवश्य सुना ही होगा और देखा भी होगा कि कोयला और हीरा दोनों ही जमीन के नीचे पाए जाते हैं कोयला काफी लंबे समय तक जमीन में गहराई में रहता है तो कुछ समय के बाद वह हीरा बन जाता है

 डॉ एमपी सिंह ने दबाव का अन्य उदाहरण देते हुए समझाया कि सभी घरों में फटे पुराने कपड़ों को धोकर जब प्रेस कर दी जाती है तो वह नया जैसा लगने लग जाता है और सलवटे खत्म हो जाती हैं पहनने में भी अच्छा लगता है

 डॉ एमपी सिंह ने अन्य उदाहरण देते हुए समझाया कि उद्योग नगरी में अधिकतर कारखानों में पावर प्रेस लगी होती हैं जो लोहे को प्रेस करके विभिन्न इंस्ट्रूमेंट बनाती हैं जो हवाई जहाज तक मैं काम आते हैं और ₹10 का लोहा हजार रुपए में बिकने लगता है

 डॉ एमपी सिंह ने भीमराव और उनकी पत्नी रमाबाई का उदाहरण देते हुए समझाया कि एक बार भीमराव के सभी शिक्षकों ने भीम को पढ़ाना बंद कर दिया था और कॉलेज को ताला लगा दिया था उस समय रमा बाई ने संकल्प लिया था कि जब तक आप अपने शिक्षकों को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं करेंगे तब तक मैं अन्न और जल ग्रहण नहीं करूंगी भीमराव के अथक प्रयास करने के बाद भी कोई रास्ता नजर नहीं आया लेकिन जब उसने अपनी पत्नी को बिना अन्य जल के मूर्छित अवस्था में देखा तब वह बेचैन हो गए और अपने वकील गुरु जी को साथ लेकर शहर के सबसे बड़े अखबार के मालिक और समाजसेवी मेहता साहब के पास पहुंच गए लेकिन मेहता साहब से मुलाकात नहीं हो पाई और अपनी अर्जी को उनके मैनेजर के सामने रखा मैनेजर प्रभावित हो गए उन्होंने मेहता साहब को बताया और मेहता साहब ने समस्या का समाधान ढूंढ लिया जिस वजह से कॉलेज का लॉक खुल गया और अध्यापक भी पढ़ाने के लिए तैयार हो गए यह दबाव का परिणाम था यदि रमाबाई दबाव नहीं बनाती तो यह रास्ता निकल कर नहीं आता और भीमराव की पढ़ाई भी रुक जाती 

उक्त उदाहरणों के माध्यम से डॉ एमपी सिंह समझाना चाहते हैं कि जो विद्यार्थी गुरु के दबाव को सहन नहीं करते हैं या माता-पिता के दबाव को सहन नहीं करते हैं उन में निखार नहीं आता है वह अपने मुकाम को प्राप्त नहीं कर सकते हैं दबाव हमेशा जीना सिखाता है और समस्याओं का समाधान देता है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी अत्यंत दबाव में काम करते हैं कुछ लोग सुसाइड कर जाते हैं और कुछ लोग नौकरी बीच में ही छोड़ जाते हैं लेकिन जो दबाव में काम कर के समाधान की तरफ बढ़ते हैं वह कुछ समय के बाद सब के लाडले बन जाते हैं क्योंकि उनकी बोली भाषा प्रभावी हो जाती है व्यवहार कुशल हो जाते हैं निर्णय लेने की क्षमता अधिक हो जाती है और अपने कार्य में दक्ष हो जाते हैं ऐसे कर्मचारी और अधिकारियों की उनके सीनियर प्रमोशन कर देते हैं और राजनीतिक दल के नेता उनको पदम श्री तथा भारत रत्न भी दिलाने में मदद करते हैं

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कई बार ऐसे होनहार लोग घर नहीं बैठते हैं सेवानिवृत्ति के बाद भी उनको एमपी एमएलए मंत्री या चेयरमैन बना दिया जाता है और समाज के लिए वह प्रेरणा के स्रोत होते हैं जैसे बाबा भीमराव अंबेडकर

डॉ एमपी सिंह ने कोरोना महामारी का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय सभी प्रकृति को जानने और पहचानने लग गए थे कोरोना के डर की वजह से कोई भी सड़क पर नहीं निकल रहा था जैसे आज सरपट गाड़ी दौड़ा रहे हैं कहीं कोई गाड़ी नजर नहीं आती थी नदियों का पानी स्वच्छ हो गया था प्रदूषण मुक्त भारत हो गया था सभी डर से भगवान को मानने लगे थे और भगवान से डरकर कार्य करते थे लेकिन आज  निर्भीक होकर अनैतिक कार्य भी कर रहे हैं

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