किशोर न्याय देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आने वाली प्रमुख धाराएं तथा प्रमुख जानकारी -डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने अपना चिंतन जाहिर करते हुए किशोर न्याय देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम पर यह आर्टिकल जनहित में प्रकाशित किया है ताकि अधिकतम लोग जागरूक हो सकें
किशोर की परिभाषा क्या है
ऐसा व्यक्ति जिसने 18 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है चाहे बालक हो या बालिका किशोर कहलाता है
सड़क पर रहने वाले और कामकाजी बच्चे कौन होते हैं मां-बाप या अभिभावक द्वारा त्यागे हुए बच्चे
सड़क पर बच्चों के आने के मुख्य कारण क्या है पारिवारिक विघटन, बेरोजगारी, प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं, अरुचिकर शिक्षा, अनाथ और अनाथो के साथ होने वाला अत्याचार
ऐसे बच्चे शहरों की तरफ क्यों भागते हैं
क्योंकि वहां पर रोजगार मिलने की संभावना होती है
ऐसे बच्चे अक्सर अपराधिक गतिविधियों में संलग्न क्यों हो जाते हैं
क्योंकि यह बच्चे विपरीत परिस्थितियों के शिकार हो जाते हैं ऐसी स्थिति में इनको बहलाना फुसलाना आसान होता है एक दो बार यह मजबूरी में गलत कार्य करते हैं फिर इनको आदत पड़ जाती है इसलिए इन्हें संवेदनात्मक दृष्टिकोण से ही देखा जाता है
बालकों की देखरेख और संरक्षण के अंतर्गत आने वाली प्रमुख धाराएं कौन-कौन सी हैं
धारा- 21 --केस के दौरान किशोर का नाम आदि प्रकाशन को प्रतिसिद्ध किया गया है
धारा -23-- किशोर या बालक के प्रति क्रूरता करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध
धारा- 24 --भीख मंगवाने के लिए किशोर का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध
धारा -25-- बालक को मादक पदार्थ लिखवाने के लिए प्रेरित करवाने वाले के विरुद्ध
धारा- 26-- किशोर या बालक कर्मचारी का शोषण करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध
धारा- 28-- वैकल्पिक दंड
धारा- 32 --समिति के समक्ष पेश किया जाना
उपरोक्त धारा मे बालक के विरुद्ध किए गए अपराध हेतु वयस्क व्यक्ति के विरुद्ध लगाने के लिए हैं ना कि बालक के विरुद्ध
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