दशहरे की पूर्व बेला पर हनुमान जी से लिया आशीर्वाद और उनके जीवन से सीख लेने के लिए किया निवेदन -डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने दशहरे की पूर्व बेला पर हनुमान जी से आशीर्वाद लिया और कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हनुमान जी के जीवन से हम सभी को सीख लेनी चाहिए कि वह चरित्रवान बलवान ज्ञानवान शीलवान गुणवान निष्ठावान होने के बाद भी सरल सहज उदार और विनम्र थे
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि हनुमान जी एक कुशल प्रबंधक थे जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने हनुमान जी को सीता माता की खोज करने के लिए समुद्र पार जाने के लिए कहा तब उन्होंने पूरी रणनीति तैयार की और राक्षसों में से एक सज्जन व्यक्ति विभीषण को ढूंढा
जब हनुमान जी सीता माता की खोज के लिए अशोक वाटिका में गए तब रावण तलवार लेकर सीता माता को डरा धमका रहा था इस चित्र को हनुमान जी वृक्ष पर बैठकर देख रहे थे उन्हें गुस्सा आ रहा था कि तलवार लेकर इसी की गर्दन काट देता हूं लेकिन इतने में ही मंदोदरी ने रावण के हाथ को पकड़ लिया और हनुमान जी का भ्रम टूट गया बचाने वाला मैं नहीं कोई और है
ठीक इसी प्रकार फल खाते समय जब अशोक वाटिका को उजाड़ दिया तब हनुमान जी को बंधक बनाकर रावण के सामने लाया गया और मारने का आदेश दे दिया लेकिन विभीषण ने कहा कि दूत को मारना उचित नहीं है यह नीतिशास्त्र के खिलाफ है इसलिए कोई अन्य दंड दिया जाए तभी हनुमान जी की पूंछ में घी तेल लगा कर कपड़े बांध कर आग लगा दी यह देखकर हनुमान जी खुश हो गए कि रावण की सोने की लंका को जलाना आसान हो जाएगा अन्यथा इतना घी तेल और कपड़ा में कहां से लाता
इससे पता चलता है कि वह अच्छे मैनेजर थे अपने पास कुछ भी ना होते हुए दूसरों से ही उपलब्ध कराते थे और अपने लक्ष्य की पूर्ति करते थे आज सभी उद्योगपतियों मैनेजर व कार्यकर्ताओं को हनुमान जी के कुशल प्रबंधन से सीख लेनी चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि हनुमान जी ने साम दाम दंड भेद की नीति को अपनाकर अपनी जिम्मेदारी को निभाया और दूरदर्शिता के आधार पर समर्पण के साथ कार्य करके अपने कमिटमेंट को निभाया तथा अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ते रहे और परेशानियों से निजात दिलाते रहे
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