चिंता और बीमारी मौत का कारण बन सकती है -डॉ एमपी सिंह

अनेकों मौतों के कारण को समझते हुए और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए डॉ एमपी सिंह ने अपने अनुभव के आधार पर इस आर्टिकल को लिखकर प्रकाशित किया है जाने क्या महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर चलकर सुखी व स्वस्थ जीवन गुजारा जा सकता है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि जब किसी को कैंसर डिटेक्ट हो जाता है तभी से वह  चिंता करना शुरू कर देता है और दिन रात यही सोचता रहता है कि अब मैं कुछ दिन का ही मेहमान हूं क्योंकि कैंसर का कोई इलाज नहीं है ऐसा सोच सोच कर उसे बीपी और शुगर हो जाता है वह खाना पीना बोलना चालना और अपनी जिंदगी जीना छोड़ देता है जिसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता दिन प्रतिदिन कम होती चली जाती है वह अपने परिवार से भी अलग-थलग रहने लगता है उसकी मानसिकता में भी परिवर्तन आ जाता है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि उक्त बातें रोगी के हित में नहीं है जो होना है वह विधि का विधान है वह होकर ही रहेगा वह किसी के हाथ में नहीं है क्योंकि मौत का कोई ना कोई कारण बनता है परमपिता परमात्मा अपने ऊपर नहीं देता है इसलिए निश्चिंत होकर हमें अपने जीवन को जीना चाहिए और राजी खुशी परिवार के सदस्यों के साथ रहना चाहिए जो भी दिल करता है उसे खाना चाहिए क्योंकि चिंता करने से कुछ भी नहीं होता है चिंता चिता के समान होती है इसलिए चिंता मुक्त जीवन जीने में ही भलाई है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि जिन रोगियों का इलाज अस्पताल में चल रहा होता है वह डॉ भी कई बार परिवार के सदस्यों को कह देते हैं कि अब यह रोगी ज्यादा दिन का नहीं है अब इसकी सेवा कर लो लेकिन मुझे नहीं लगता है कि यह कथन उनका उचित है कई बार देखा गया है की जब डॉ मौत डिक्लेयर कर देते हैं तब भी रोगी लंबे समय तक जीवित रहता है इसलिए डॉक्टरों को कोई भी ऐसा कथन नहीं कहना चाहिए जिससे रोगी की हार्टबीट बढ़ जाए और परिवार के सदस्य सदमे में आ जाएं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि संभावनाओं का क्षेत्र होता है कुछ भी संभव हो सकता है इसलिए रोगी को हौसला और हिम्मत ही देनी चाहिए उसके हौसलों को तोड़ना नहीं चाहिए कई बार दवाओं की बजाय दुआएं काम करती हैं और जब रोगी अपनी बीमारी को भूल जाता है और सोचता है कि मैं स्वस्थ हूं तो वही वाइब्रेशन आने लगती हैं
 इसके लिए हमें नियमित रूप से योग तथा व्यायाम करना चाहिए और परमपिता परमात्मा का ध्यान करना चाहिए सब कुछ उसी को समर्पित कर देना चाहिए क्योंकि करने वाला वही है इंसान के हाथ में कुछ भी नहीं है यदि डॉक्टरों के हाथ में होता तो कोई भी पैसे वाला मरता नहीं और यदि डॉक्टरों को यह पता होता कि यह 4 दिन का है या 2 दिन का है तो वह उन्हीं दो-चार दिन में कितने लोगों को मौत के घाट उतार देता  इसलिए मौत की भविष्यवाणी करना किसी के लिए भी ठीक नहीं है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि कई लोग जब लंबी बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं और दवाई खाते खाते थक जाते हैं डॉक्टरों की फीस देते देते थक जाते हैं परिवार के ताने सुनते सुनते थक जाते हैं तब वह मरना ही उचित समझते हैं इसलिए वह समय पर दवाई नहीं लेते हैं डॉक्टरों के पास जाने से कतराते हैं परिवार के सदस्यों से बातचीत करने से इंकार कर देते हैं और गुमसुम रहने लगते हैं ना कुछ खाते हैं ना कुछ पीते हैं और ना ही अपने मन की बात किसी से करते हैं उक्त बातें सोचने और समझने की है

 उक्त विचार डॉ एमपी सिंह के अपनी स्वतंत्र विचार हैं जनहित और राष्ट्रहित के लिए प्रकाशित किए जा रहे हैं यदि आपको अच्छे लगते हैं और अन्य लोगों का फायदा चाहते हो तो आगे शेयर कर देना धन्यवाद

Comments

Popular posts from this blog

तथागत बुद्ध के विचार और उनकी शिक्षा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है - डॉ एमपी सिंह

मंगलसेन बस पोर्ट होगा नया नाम एनआईटी बस अड्डे का -मुख्यमंत्री हरियाणा

Respect To Every Woman -Dr MP Singh