पहले से ही मातृशक्ति को पहले रखा जाता है और कन्या पूजन होता हैै- डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि भारतवर्ष में अधिकतर लोग महिलाओं के लिए बराबरी का दर्जा मांगते हैं सिर्फ सुनी सुनाई बातों को करते हैं पूर्वजों के इतिहास का अध्ययन नहीं करते हैं जबकि पूर्व इतिहास बताता है की महिलाएं अर्थात मातृशक्ति बराबर नहीं बल्कि पहले आती हैं जैसे सीताराम, लक्ष्मी नारायण, गौरीशंकर, राधे कृष्ण ,माता पिता आदि .
डॉ एमपी सिंह बताते हैं कि उक्त सभी में मातृशक्ति का नाम पहले लिया गया है इसका मतलब है कि मातृशक्ति पहले से ही पूजनीय वंदनीय और प्रार्थनीय रही है
डॉ एमपी सिंह बताते हैं कि पहले भी मैत्री और गार्गी कॉलेज रहे हैं जिनका इतिहास के पन्नों में उल्लेख है महर्षि याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ करने वाली गार्गी थी अर्थात पहले भी पढ़ी-लिखी और सशक्त महिलाएं थी
डॉ एमपी सिंह बताते हैं कि राजनीति में भी महिलाएं पीछे नहीं रही गुप्त वंश में प्रभावती ने शासन किया था और बाद में अहिल्याबाई होलकर, दुर्गावती, झांसी की रानी अनेकों सशक्त मात्रशक्तियों ने शासन और प्रशासन किया
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जिन लोगों को अपने इतिहास का ज्ञान नहीं है वह कहते हैं कि महिलाएं पीछे हैं और पुरुष प्रधान देश होने की वजह से पुरुषों की भागीदारी ज्यादा है
लेकिन यह कथन सत्य नहीं है जब से इस पृथ्वी का निर्माण हुआ है तभी से भारतमाता, गौमाता, गंगामाता, गीता माता, जननी माता आदि पूजनीय, वंदनीय और प्रार्थनीय रही है
इसलिए हम सभी को मातृशक्ति का सम्मान करना चाहिए वर्तमान युग में दूषित और विकृत मानसिकता की वजह से मात्र शक्तियों के प्रति सम्मान में गिरावट आ गई है जिसकी वजह से आए रोज बलात्कार और मर्डर हो रहे हैं जिसके दुष्परिणाम स्वरूप अनेकों प्रकार की आपदाएं आ रही हैं
जिस दिन हम अपनी बहन बेटियों का सम्मान मन से करने लगेंगे उस दिन से मानवीय और प्राकृतिक आपदाएं खत्म हो जाएंगे
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि नवरात्रों में तो कन्या पूजन करते हैं और बाद में भेड़िया बन जाते हैं यह कैसी परंपरा है इसमें सुधार करने की जरूरत है आजकल हर क्षेत्र में बेटियां आसमान को छू रही हैं और अपना साथ और सहयोग दे रही है लेकिन फिर भी बहिष्कार तिरस्कार और प्रताड़ना का शिकार हो रही है
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