सूखा सबसे विनाशकारी आपदा है - डॉ एमपी सिंह
17 जनवरी 2023 जिला उपायुक्त फरीदाबाद के दिशा निर्देशानुसार सीटीआर में आपदा मित्र का 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर चल रहा है जिसमें चीफ वार्डन सिविल डिफेंस व विषय विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन डॉ एमपी सिंह ने सूखा के कारण तथा सूखा से बचाव पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि जब वर्षा आवश्यकता से कम हो और भूमिगत जलस्तर कम हो जाए तब उस संकट को सूखा कहा जा सकता है यह जलवायु परिवर्तन और जल उपयोग में अनियमितता के कारण होती है उचित जल प्रबंधन तरीकों को अपनाकर इस आपदा से मुक्ति पाई जा सकती है
डॉ एमपी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि सूखे से प्रभावित लोगों तथा पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर उनके लिए पेयजल की व्यवस्था करनी चाहिए तथा पशुओं के लिए चारा आदि की व्यवस्था करनी चाहिए जल के दुरुपयोग को रोकना चाहिए सिंचाई पद्धति को बदलना चाहिए ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकल सिंचाई के बेहतर परिणाम हो सकते हैं अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए जल संरक्षण के लिए छोटे-छोटे बांध तथा जलाशयों का निर्माण करना चाहिए वनों की कटाई रोकनी चाहिए कंक्रीट की इमारतों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाना चाहिए बरसात के पानी का सदुपयोग करना चाहिए
इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने कहां की ब्रश करते समय नल का पानी बंद कर देना चाहिए पानी के उपयोग के बाद नल को बंद कर देना चाहिए फर्श धोते समय पालतू पशुओं को नहाते समय कार इत्यादि को धोते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए फल और सब्जियों को नल खुला रखकर नहीं धोना चाहिए नहाते समय कम पानी का प्रयोग करना चाहिए कपड़ा इत्यादि धोने के बाद गंदे पानी का बागवानी में प्रयोग करना चाहिए कम पानी से पैदा होने वाली फसलों को ही उगाना चाहिए बार-बार प्रेस की बजाय टिशु पेपर का प्रयोग करना चाहिए सार्वजनिक स्थानों पर पानी की लीकेज के बारे में संबंधित भाव को सूचना देनी चाहिए घर के नलों में यदि लीकेज है तो तुरंत मरम्मत करानी चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने जल बचाने के तरीकों के टिप्स देते हुए कहा कि जल का सदुपयोग करने के साथ-साथ जल के सदुपयोग करने के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए क्योंकि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों का उत्पादन नहीं होता है और हरी-भरी फसलें सूख जाने पर भुखमरी पैदा हो जाती है जिसका भारत की इकोनामी पर बुरा प्रभाव पड़ता है
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