वर्तमान सियासत से लोकतंत्र शर्मसार है - डॉ एमपी सिंह
6 जनवरी 2023 अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने राजनीतिक विश्लेषण करते हुए कहा कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहां पर माननीय की अमानवीय तस्वीरें नजर आ रही है जिनको सदन में हम ने चुनकर भेजा है वह सदन में घुसा और लात चला रहे है हंगामा मचा रही है और फसाद पैदा कर रहे हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आम पब्लिक जनप्रतिनिधियों को चुनकर तो इसलिए भेजती है कि वह आम जनमानस के कल्याण की बात सदन में रखेंगे विकास के मुद्दों पर बहस करेंगे , गरीबी उन्मूलन के लिए योजना बनाएंगे, प्रदूषण मुक्त शहर बनाएंगे, सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगवा कर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाएंगे, साफ सुथरा शहर बनाएंगे ,भय और भ्रष्टाचार मुक्त शासन तथा प्रशासन देंगे ,शुद्ध पेयजल व्यवस्था करेंगे, शुद्ध ऑक्सीजन मुहैया कराएंगे, बेरोजगार को रोजगार देंगे, महंगाई को कम करेंगे, छुआछूत और अस्पृश्यता को दूर करेंगे ,निशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करेंगे. लेकिन सदन में मुद्दों की बात ना करके धनबल और भुजबल दिखाकर वर्चस्व पैदा किया जा रहा है जिससे आम जनमानस को अत्यंत दुख हो रहा है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आम जनता को अमन- शांति चाहिए लेकिन इसके बदले हताशा और निराशा ही हाथ लग रही है सत्ता में अराजकता फैल रही है हमारे वोट की इज्जत दांव पर लग रही है किसको वोट दें किसको ना दें किस पर विश्वास करें इस पर ना करें यह असमंजस बना हुआ है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि चुनाव लड़ने के दौरान सभी प्रत्याशी विकास अमन चैन शांति उन्नति और समृद्धि तथा भाईचारे की बात करते हैं लेकिन जीतने के बाद, सदन में पहुंचने के बाद अधिकतर प्रतिनिधि भूल जाते हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों से दुश्मनी निकालने का तरीका ढूंढने लगते हैं तथा मौके की नजाकत देखकर वार कर ही देते हैं अपने आप को मजबूत करने में लग जाते हैं उस आम पब्लिक को भूल जाते हैं जिसने सिंहासन पर बैठाया होता है और जाति, उपजाति, धर्म तथा संप्रदाय की रणनीति तैयार करने में लग जाते हैं जोकि लेखक के अनुसार निराधार गलत है समाज को जाति उपजाति धर्म और संप्रदाय में बांटना उचित नहीं है
बड़ी चिंता के साथ डॉ एमपी सिंह को कहना पड़ रहा है कि जनता की हिफाजत का फायदा करने वाले एक दूसरे को चोट पहुंचाने में लगे हुए हैं जिन्हें समाज की कुरीतियों और बुराइयों को दूर करना चाहिए वह स्वयं ही उन बुराइयों को फैला रहे हैं जिन्हें देश की एकता अखंडता और समृद्धि के लिए काम करना चाहिए वही देश को कमजोर करने में लगे हुए हैं यदि ऐसा ही होता रहा तो
जिसकी लाठी उसकी भैंस कहावत सत्य हो जाएगी और लोकतंत्र के कोई मायने नहीं रह जाएंगे कोई भी कमजोर वर्ग से पढ़ा-लिखा, समझदार, देश प्रेमी, दूरदर्शी सदन में नहीं पहुंच पाएगा कलम कारों की कलम पर और वक्ताओं की वाणी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा जिस वजह से कोई भी सच को उजागर नहीं कर पाएगा और झूठ तथा फरेब का ही बोलबाला रह जाएगा
उक्त सभी से मुक्ति के लिए भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान बनाकर समानता और स्वतंत्रता का अधिकार दिया था लेकिन लगता है बाबा भीमराव अंबेडकर का प्रयोग राजनीति को चमकाने के लिए लोग करेंगे बल्कि उनके आदर्शों पर नहीं चलेंगे
डॉ एमपी सिंह का मानना है कि जब तक संविधान का मन से सम्मान नहीं होगा और दिल से उसकी पालना नहीं होगी तब तक न्याय संभव नहीं है और ऐसी ही घटनाएं घटित होती रही तथा जातिवाद पनपता रहेगा तथा हिंदू मुस्लिम और मंडल कमंडल की राजनीति चलती रहेगी
उक्त विचार लेखक डॉ एमपी सिंह के अपने स्वतंत्र विचार है जो जनहित और राष्ट्रहित में प्रकाशित कर दिए गए हैं भारत में अनेक दल और पार्टियां है जिनकी सभी की अपनी-अपनी विचारधारा है लेकिन सभी पार्टी और दलों को उक्त विचारों पर सहमति दर्ज करनी पड़ेगी तभी भारत देश महान तथा धर्मगुरु बन सकता है आपसी लड़ाई को छोड़कर हमें देश की एकता अखंडता के लिए तथा देश के विकास के लिए एकमत और एकजुट हो जाना चाहिए क्योंकि देश सर्वप्रथम है देश है तो हम हैं
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