औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों और अधिकारियों को संस्कार की पाठशाला के तहत सिखाया गया मानवता का पाठ -डॉ एमपी सिंह

26 फरवरी 2023 अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के द्वारा 75 वे आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 संस्कार की पाठशाला लगाई जा रही है जिसके तहत आज औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों और अधिकारियों को स्वराज कंपनी में एकत्रित किया गया और संस्कार की पाठशाला लगाई गई 
इस अवसर पर देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए बल्कि प्रकृति से सीख लेनी चाहिए संस्कारवान व्यक्ति ही प्रकृति को समझ सकता है और प्रकृति के संदेशों को समझकर आत्मसात कर सकता है लेकिन संस्कार विहीन लोग जंगलों को उजाड़ने में लगे रहते हैं प्राकृतिक सौंदर्य के बहाने से कच्चे पहाड़ों को काट रहे हैं जल दोहन और भूमि दोहन कर रहे हैं जो कि उचित नहीं है 

इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने कहा कि जिस प्रकार उसर भूमि मैं बिना बीज डाले घास फूस से भर जाती है ठीक उसी प्रकार इंसान का दिमाग भी सकारात्मक विचार डाले बिना नकारात्मक विचारों से भर जाता है और वह जनहित और राष्ट्रहित में फैसले लेने में असमर्थ हो जाता है इसलिए सही किताबों को पढ़ना चाहिए सही लोगों की बात को सुनना चाहिए और उस पर अमल करना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि जिसके पास जो कुछ होता है वह वही देता है यदि किसी के पास ज्ञान है तो वह ज्ञान बांटता है किसी के मान और सम्मान है तो वह मान और सम्मान देता है किसी के पास भ्रम है तो वह भ्रम पड़ता है किसी के पास धन है तो वह धन बढ़ता है कोई डरा हुआ है तो वह डर की ही बात करता है कोई ठग है तो वह ठग ही बनाता है लेकिन अश्लील और असभ्य अश्लीलता और सभ्यता ही बैठते हैं
 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि जब भोजन पचता नहीं है तब बीमारी हो जाती है जब धन पचता नहीं है तो दिखावा हो जाता है जब प्रशंसा पचती नहीं है तो अहंकार हो जाता है जब निंदा पचत्ती नहीं है तो दुश्मनी हो जाती है इसलिए पचाना और बचाना सीखना चाहिए
 इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने सभी अधिकारियों कर्मचारियों को कहा कि हमें ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए और किसी को दिखावे के लिए कोई काम नहीं करना चाहिए जब हम समर्पण भाव के साथ अपने काम को करते हैं तो किसी को कहने का मौका नहीं मिलता है और मेहनत और मजदूरी की ले कमाई घर पहुंच गई है जिससे बीमारी नहीं होती है और बच्चे संस्कारवान हो जाते हैं लेकिन जैसे ही गलत पैसा घर पहुंचता है अनेकों बीमारियां लेकर जाता है और बच्चों को संस्कार विहीन बना देता है इसलिए इस बात पर थोड़ा गौर करने की जरूरत है

Comments

Popular posts from this blog

तथागत बुद्ध के विचार और उनकी शिक्षा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है - डॉ एमपी सिंह

मंगलसेन बस पोर्ट होगा नया नाम एनआईटी बस अड्डे का -मुख्यमंत्री हरियाणा

work on road safety by Dr MP Singh