कई जगह ना कहना उचित होता है- डॉ एमपी सिंह

देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि यदि आपका मकान बाजार में है और चारों तरफ दुकान बनी हुई है वहां पर कोई शौचालय नहीं है आपकी उदारता के कारण यदि कोई एक दिन बाथरूम या लैट्रिन करने आता है और आप अनुमति दे देते हो तो आगे से वह उसके लिए रास्ता बन जाता है और प्रतिदिन स्वयं भी बाथरूम करता है और आने वाले लोगों को भी बाथरूम करवाता है जिसके कारण कई बार घर की प्राइवेसी खत्म हो जाती है और कई बार भारी भरकम नुकसान भी उठाना पड़ जाता है इसलिए ऐसी स्थिति में ना करना एक बार उचित रहता है
 
अनेकों बार ऐसा देखा गया है कि दुकान किसी और की है किराया कोई और ले रहा है और बाथरूम और लैट्रिन के लिए आपके मकान का प्रयोग किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है ऐसे व्यक्ति हल्की सी नमस्ते करके आपसे फायदा उठाने की कोशिश करते हैं आपके घर से बर्तन मंगाना आपके घर से पानी मंगाना आपके घर से कोई अन्य उपयोगी वस्तुएं मगाना आपके फ्रिज में कुछ खाद्य व पेय पदार्थ रखकर बार-बार घर में आने का बहाना बनाना शायद वह अपना अधिकार समझने लगते हैं और आपके ना करने पर मुंह चढ़ाने लगते हैं ऐसे लोग भविष्य में काफी खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं इसलिए इनसे ना करना उचित होता है 

यदि आपके घर में जवान बहन बेटियां हैं और बाहर से कोई व्यक्ति लेट्रिन बाथरूम या पानी के बहाने से अंदर प्रवेश करता है और बार-बार आता है तो अश्लीलता और असभ्यता भी हो सकती है 

आप जवान पति पत्नी हैं घर में अलग तरीके से रह रहे हैं या कोई लड़ाई झगड़ा हो रहा है तो उसमें भी वह दखलअंदाजी करने की कोशिश कर सकते हैं और आपके घर की बात को अपनी दुकान पर बैठे बैठे प्रचार और प्रसार करते रहते हैं ऐसे लोगों को बिल्कुल शर्म नहीं आती है 

कई बार कुछ लोग रिश्ते बनाकर आपसे उल्टा सीधा काम निकलवाना चाहते हैं जो बरसाती मेंढक होते हैं जो पहले कभी दिखाई नहीं पड़ते हैं और बाद में भी कभी दिखाई नहीं पड़ेंगे ऐसे लोगों को समझना और ना करना उचित रहता है
 
जो काम आप नहीं कर सकते हैं जो आपके हाथ में नहीं हैं उसके लिए आपको ना कर देना चाहिए 
कुछ रिश्तेदार भी अपना मतलब निकालने के लिए आना जाना बनाते हैं या जब कोई काम होता है तो फल और मिठाई लेकर आते हैं और कोई वस्तु या आभूषण गिफ्ट प्रदान करते हैं तथा फूफा फूफी  जीजा बुआ आदि के रिश्ते में बांध देते हैं ऐसे लोगों को पहचानना और ना करना उचित होता है 

हम सभी को खुश करने के लिए पैदा नहीं हुए हैं और सभी को खुश नहीं रखा जा सकता है और सभी को खुश करना भी नहीं चाहिए इसलिए जहां अनुचित लग रहा हो हो वहां ना कर देना उचित होता है 

कई दुकानदार बड़े बूढ़े होने का फायदा उठाते हैं क्योंकि अधिकतर लोगों की उनसे सिंपैथी होती है लेकिन अधिकतर लोग सिंपैथी के काबिल नहीं होते क्योंकि दुकान पर कमाकर अपने बहू बेटे को देते हैं और उनकी बुराई करके आपसे सिंपैथी लेकर अपनी उन्नति करते रहते हैं पहचानना आपके ऊपर है

लेखक ने इस आर्टिकल को बहुत मनन और चिंतन के बाद लिखकर जनहित और राष्ट्रहित में प्रकाशित किया है कृपया विचारों को कट पेस्ट ना करें और अपनी भाषा में प्रकाशित करने की कोशिश ना करें 

डॉ एमपी सिंह के उक्त विचार अपने अनुभव के आधार पर स्वतंत्रता से लिखे गए हैं ताकि कोई शोषण का शिकार ना हो सके मानना और ना मानना यह आपके ऊपर निर्भर करता है 

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