एकलव्य इंस्टिट्यूट में मनाया गया मजदूर दिवस- डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट ने एकलव्य इंस्टिट्यूट में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जिसमें श्रम शक्ति को नमन करते हुए देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने मजदूर दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा कि मजदूर और श्रमिकों को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है लेकिन कामकाज करने वाले लोगों को काम के बदले सही समय पर वेतन नहीं मिल पाता है बाहुबली धनवली अधिकतर मजदूरों से काम करा लेते हैं और उनकी पिटाई करके भगा देते हैं जिसके लिए उन्हें धरने प्रदर्शन करने पड़ते हैं पुलिस की लाठियां खानी पड़ती है आंदोलन करने पड़ते हैं जो कि उचित नहीं है एक मजदूर पसीना बहा कर भूखा प्यासा रहकर कार्य करता है लेकिन जब उसे समय पर वेतन नहीं मिलता है तो मन मार कर रह जाता है क्योंकि वह मजदूर मजबूर है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज की व्यवस्था में महंगाई बेरोजगारी आधुनिकीकरण ने ज्यादा संकट पैदा कर दिया है सत्ता और व्यवस्था दोनों ही सच को जानते हैं मगर समाधान नहीं करते हैं श्रमिक खेतों कारखानों ऑफिस में काम करके देश की एकता और अखंडता के लिए कार्य करते हैं देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि अधिकतर नेता अपने भाषण में मजदूर को अपना भाई कहते हैं क्योंकि इसी वर्ग का सबसे बड़ा वोट बैंक होता है लेकिन फिर भी नीतियां आर्थिक उदारीकरण की बनाते हैं जिसकी करारी चोट मजदूर पर ही पड़ती है यह सब कुछ मजदूर भी पहचान रहा है लेकिन कोई विकल्प नहीं है आज लेखक वर्ग भी मजबूर है वह भी सही बात को नहीं लिख पा रहा है जिसकी वजह से मजदूर मजबूर हो गया है
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि मजदूर का इतना बड़ा वोट बैंक होने के बाद भी वह कुछ बदल पाने में असमर्थ है फावड़ा और तगड़ी से जीवन चलाने वाले का धर्म संघर्ष होता है और जाति मजदूर होती है दूसरों के पक्के घर बनाने वाले अपने पक्के घर नहीं बना पाते हैं दूसरों के लिए हवाई जहाज बनाने वाले हवाई जहाज में नहीं बैठ पाते हैं जब मैं लंबी सड़कों को देखता हूं उन पर सरपट दौड़ती हुई गाड़ियों को देखता हूं तो मजदूर शक्ति ही दिखाई पड़ती है लेकिन मजदूरी के बदले कुछ हासिल नहीं हो पाता है
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि ईट भट्टा खेत खलिहान चावलमिल गन्नामिल आदि में आज भी लोग बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं और अपने कर्ज का भुगतान कर रहे हैं प्लास्टिक की छत के नीचे ही अपना जीवन यापन जैसे तैसे कर रहे हैं हथोड़ा चलाकर हल चलाकर या कलम और कुदाली चलाकर अपना जीवन यापन करने वाले सभी श्रमिक हैं
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट बाल श्रमिकों को न्याय दिलाने में मदद कर रहा है अनेकों बच्चों को तस्करों के चंगुल से छुड़वाया है यदि किसी को किसी प्रकार की परेशानी हो तो 98105 66553 पर संपर्क कर सकते हैं
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