अंगदान कर लोगों की जान बचाना पुनीत कार्य है - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट ने रोटरी पब्लिक स्कूल में अंगदान पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि अंगदान करने वाला महान व्यक्ति किसी को भी नया जीवन दे सकता है जोकि पूजनीय वंदनीय और प्रार्थनीय होता है पहली बार 1954 में रोनाल्डो ली हेरिक ने अपने भाई को किडनी दान करके जीवनदान दिया था तथा डॉ जोसेफ मरे ने पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया था जिसके लिए उन्हें शांति पुरस्कार सरकार ने दिया था
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि अंगदान से अनेकों जरूरतमंद लोगों का भला हो सकता है गुर्दे, हर्ट, लिवर, छोटी आंत, हड्डियों के टिशू ,त्वचा के शिशु व्यक्ति के मरने से पहले और मरने के बाद भी दान किए जा सकते हैं अंगदान करने से पहले शारीरिक परीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दान करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का खतरा तो नहीं है उसका मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी किया जाता है ताकि दानकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों की सहमति मिल सके और अंग दान किया जा सके
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि मृत्यु के बाद भी उसके शरीर को यांत्रिक वेंटिलेटर पर रखा जाता है ताकि अंग पूरी तरह सुरक्षित रह सके अभी हिंदुस्तान में लोग कम जागरूक हैं इसलिए कम लोग अंगदान करने के लिए आगे आ रहे हैं हमें अंगदान करने के लिए उन लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए तथा बताना चाहिए कि चिकित्सा विज्ञान ने अंगदान के क्षेत्र में सुधार कर सभी मित्रों को समाप्त कर दिया है अब 65 साल तक की उम्र में कोई भी व्यक्ति अपने अंगों को दान कर सकता है
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में भौतिकवाद की दुनिया में सभी जल्दबाजी और आपाधापी में है जिसकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं रेल दुर्घटनाएं और हवाई दुर्घटनाएं हो रही हैं जिसमें व्यक्ति के कई अंग खत्म हो जाते हैं और कई बीमारियों की वजह से शरीर के अंग खराब हो जाते हैं यदि उचित समय पर अंग प्रत्यारोपण नहीं किए गए तो उनकी मौत भी हो सकती है इसलिए अन्य लोगों को जीवित रखने के लिए हमें अपनी जागरूकता का परिचय देना चाहिए और अंगदान करने चाहिए
डॉ एमपी सिंह का मानना है कि अंगदान करने से अंग तस्करी को रोका जा सकता है जिससे अपराधों की संख्या में गिरावट लाई जा सकती है अंगदान ना करने की वजह से कालाबाजारी बढ़ रही है और अनेकों मासूमों की जान जा रही है कुछ लोग अंगदान का फार्म तो भर देते हैं लेकिन समय आने पर अंगदान नहीं करते हैं और उनके पार्थिव शरीर का दहन कर देते हैं जोकि सामाजिक तौर पर ठीक नहीं है
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