डॉ एमपी सिंह की उपदेश, ज्ञान और मानव अधिकार की महत्वपूर्ण बातें

अधिकतर अल्प ज्ञानी एक ही प्रश्न करते हैं कि भगवान कहां रहते हैं उनका जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक बोतल में गंगा जी का पानी और दूसरी बोतल में पोखर का पानी भरकर रख दो कुछ समय के बाद आप देखेंगे कि पोखर का पानी खराब हो जाता है बदबू मारने लगती है कीड़े पड़ जाते हैं लेकिन गंगा जी के पानी में ऐसा कुछ भी नहीं होता है 

दूसरा उदाहरण देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक पत्थर को तोड़ने पर उसमें से जीव निकलता है वह जीव कुछ पत्थर में कैसे गया और किस प्रकार से उसे भोजन की प्राप्ति हो रही है कौन उसको जीवन दे रहा है

 तीसरा उदाहरण देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक भ्रूण मां के गर्भ में कहां से आता है उसकी देखभाल और खाने पीने की व्यवस्था कौन करता है 

चौथा उदाहरण देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा की जमीन में जब कुछ भी डालते हैं तो कुछ समय के बाद वह अंकुरित हो जाता है और पौधा का रूप धारण कर लेता है लेकिन खाद पानी देकर कुछ समय के बाद देखते हैं कि उस पर फल और फूल आने लगते हैं यह सब किसके द्वारा किया जा रहा है 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि मनुष्य की संरचना कैसी है और किसने बनाई है क्या ऐसी संरचना अन्य कोई बना सकता है क्या उसमें खून का संचार किया जा सकता है क्या वह अपनी जैसी औलाद पैदा कर सकता है अर्थात नहीं तो समझ में आता है कि भगवान की लीला अपरंपार है

 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि आदमी का स्पर्म जब औरत के अंदर जाता है तभी एक जीव का निर्माण होता है क्या यह स्पर्म किसी मटका गिलास कटोरी  या अन्य जीव में जाने पर मनुष्य का निर्माण हो सकता है अर्थात नहीं तो समझ में आता है कि भगवान कहीं ना कहीं पर किसी न किसी रूप में अवश्य है 

 अचानक बादलों का फट जाना टी सुनामी का आ जाना सूखा पड़ जाना महामारी का हो जाना किसके कारण होता है यह भी समझना बहुत जरूरी है इस प्रकार के अनेकों उदाहरण देकर बताया कि कोई ना कोई तो सुप्रीम पावर है जो यह सब कुछ कर रही है अर्थात उसी को भगवान माना जा सकता है या कहा जा सकता है

भगवान क्या करता है
 डॉ एमपी सिंह ने उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि एक बार एक राजा ने अपने यहां पर काम करने वाली सुंदर युवती से कहा कि बता भगवान क्या करता है उसने कहा महाराज मैं इस प्रश्न का जवाब कैसे दे सकती हूं आप तो राजा हैं आप राज सिंहासन पर बैठे हैं मैं आपकी दासी हूं मैं जमीन पर बैठी हूं मेरे पास इतना ज्ञान नहीं है यदि आप मेरी एक छोटी सी बात मान ले तो मैं आपके प्रश्न का जवाब दे सकती हूं उसने कहा बताओ क्या बात माननी है तब दासी ने कहा कि एक पल के लिए आप राज सिंहासन से उतरकर नीचे बैठ जाओ और मैं राज सिंहासन पर बैठकर आपके प्रश्न का जवाब दे सकती हूं राजा ने ऐसा ही किया तब दासी ने कहा कि भगवान यही सब कुछ करता है उसकी समझ में नहीं आया तब उसने कहा कि इसका क्या मतलब है तब सुंदर युवती ने कहा कि भगवान एक पल में किसी को राजा बना सकता है और एक पल में किसी को भिकारी वैसा है 

ऐसा है तभी तो वैसा है से क्या तात्पर्य है 
उक्त पहेली को समझाते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक बार एक राजा ठंडी के समय नगर से गुजर रहा था तभी सर्दी से कांपते हुए एक व्यक्ति को सड़क किनारे लेटा देखा तब उसने एक कंबल उसको उड़ा दिया और चल पड़ा तब उस व्यक्ति ने कहा ऐसा है तभी तो वैसा है कहने का भाव कि दान की प्रवृत्ति है दीन दुखियों की मदद के लिए आगे आता है तभी तो राजा है 

अब कुछ ही देर के बाद एक शराबी वहां आ जाता है और अपनी ठंड दूर करने के लिए उसने कंबल को छीन लेता है तब भी उस व्यक्ति ने बोला कि ऐसा है तभी तो वैसा है कहने का भाव छीनने और दुख देने की प्रवृत्ति है तभी तो शराबी और गरीब है

एक बार एक व्यक्ति ने कहा कि जो यहां है वह वहां नहीं जो यहां है वह वहां भी है का क्या तात्पर्य है 
उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक राजा ने एक हाथ में शराब की बोतल लेकर सुंदरी को अपनी बगल में लेते हुए चल पड़ा और ऐसे स्थान पर पहुंच गया जहां पर सभी लोग शराब का सेवन करके लड़ाई झगड़ा कर रहे थे एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे एक दूसरे के साथ मारपीट कर रहे थे तब उस सुंदरी ने पूछा कि मुझे यहां लेकर क्यों आए हो तब राजा ने कहा कि जो आप यहां देख रहे हो वह वहां नहीं है उस सुंदरी को समझ में आ गया

 एक बार राजा उस सुंदरी को ऐसे स्थान पर लेकर गए जहां पर भूखे को भोजन कराया जा रहा था निर्वस्त्र को वस्त्र दिए जा रहे थे प्यासे को पानी पिलाया जा रहा था तब उस सुंदरी ने पूछा कि मुझे यहां लेकर क्यों आए हो तब उस राजा ने कहा कि इसलिए लेकर आया हूं कि जो यहां आप देख रहे हो वह वहां पर भी है कहने का भाव धर्म-कर्म यहां भी है और धर्म-कर्म वहां भी है 

क्या चोर डकैत भी अच्छा इंसान बन सकता है उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक व्यक्ति बहुत गरीब था बुरी संगति में पड़ जाने की वजह से नशा करने लगा था आज उसके पास भूख मिटाने और नशा करने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए उसने संत महात्मा की कुटिया में चोरी करने की योजना बनाई और रात को दो 3:00 बजे कुटिया में प्रवेश कर गया इतने में ही बुजुर्ग संत महात्मा की आंख खुली तब महात्मा जी ने कहा कि बच्चा आप कौन हैं और आपके आने का कारण क्या है तब उस बालक ने कहा बाबा मे बहुत भूखा हूं इसलिए भूख मिटाने के लिए आपके पास आया हूं बाबा ने कहा बच्चा मेरे पास खाने पीने के लिए कुछ नहीं है मैं तो फल और सलाद खा कर गुजर बसर करता हूं  टोकरी में देख ले कुछ फल और सलाद रखे होंगे और अपना पेट भर ले उसने ऐसा ही किया और पेट भर खाकर अपनी भूख को शांत कर लिया तब बाबा ने कहा बेटा रात को इतने बजे कहां जाएगा यहीं पर सो जा तब उस बालक ने कहा  ठीक है बाबा जी और वह सो गया कुछ देर के बाद वह फिर उठा तब भी बाबा ने टोक दिया बेटा क्यों परेशान हो रहे हो सो जाओ सुबह अपने घर चले जाना तब उस बालक ने कहा बाबा बात यह नहीं है बात यह है कि मेरे मन में बेचैनी हो रही है उथल-पुथल मच रही है तब बाबा ने कहा बेटा आंख बंद करके जमीन पर आसन लगाकर बैठ जाओ सब कुछ ठीक हो जाएगा फिर उसने ऐसा ही किया थोड़ी देर के बाद देखा कि उसका मन शांत हो गया तब बच्चे ने कहा बाबा मैं वह नहीं हूं जो आप सोच रहे हो मैं तो शराबी नशेड़ी और चोर हूं मैं तो चोरी करने आया था लेकिन आपके प्यार दुलार और सम्मान से मैं अब ठीक इंसान बन गया हूं इसलिए मुझे अपना सेवक बना लो मैं आपके आश्रम में रहना चाहता हूं तब बाबा ने कहा बेटा आश्रम में रहना जरूरी नहीं है जहां पर भी रहो जिम्मेदार बन कर रहो और अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाओ इसी में आपका और समाज का भला है उस बच्चे को समझ में आ गया और उसी दिन से उसने संकल्प ले लिया कि आज के बाद मैं चोरी डकैती नहीं करूंगा और झूठ नहीं बोलूंगा अपना कार्य ईमानदारी से करूंगा और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाऊगा

एक बार एक अज्ञानी व्यक्ति ने पूछा कि भगवान कहां रहता है  उसका कैसा रंग रूप रूप है और वह दिखाई क्यों नहीं देता है 
 उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि क्या आपने दूध को देखा है 
जी हां 
 पहले दूध गाय भैंस आदि से निकाला जाता है फिर दूध को उबाला जाता है उवालने पर उसमें मलाई आती है फिर ठंडा करके जामन लगाकर उसको जमाया जाता है फिर रई  लगाई जाती है अर्थात विलोया जाता है फिर उसमें से मक्खन निकलता है और छाछ अलग हो जाती है संपूर्ण प्रक्रिया में निकलने वाले तत्व क्या दूध में दिखाई दे रहे थे अर्थात नहीं जबकि वह सभी उसी में विराजमान थे 
जी हां 
तो क्या आपने दूध में उस मक्खन  और छाछ को देखा था जी नहीं ठीक इसी प्रकार से भगवान परमपिता परमेश्वर ईश्वर अल्लाह खुदा सब जगह है सभी में व्याप्त है लेकिन दिखाई नहीं देता है उसके लिए उसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है तभी यह जान पाना संभव है

जब कोई भी महिला अपने बच्चे को जन्म देती है तब उसके स्तन में दूध स्वत ही आ जाता है उससे पहले उसके स्तन में दूध नहीं आता है क्या कारण है क्या कभी आपने इसके बारे में सोचा है यह परमपिता परमात्मा की ही असीम कृपा है वही सभी को निवाला देता है वही सभी को भोजन उपलब्ध कराता है वह किस रूप में आता है यह किसी को पता नहीं है वह कैसे मदद करता है इसे कोई नहीं जानता है इसलिए उस परमपिता परमात्मा को जानो और मानो तथा धन्यवाद करो कि उसकी रहमत आप पर बनी हुई है आप सुखी और स्वस्थ हैं

किसान अपने खेत में फल और सब्जियों को लगाता है लेकिन अचानक ओलावृष्टि हो जाती है या अधिक तापमान बढ़ जाता है या पाला पड़ जाता है या बाढ़ आ जाती है या बादल फट जाते हैं या नहर टूट जाती है या आग लग जाती है उक्त सभी कारणों से फसल बर्बाद हो जाती है और किसान की लगाई पूंजी भी खत्म हो जाती है इसका क्या कारण है क्या कभी आपने इस पर गौर किया है कृपया गौर करें और चिंतन मनन करें कि परमात्मा क्या और कौन है
परमात्मा किस रूप में आता है और दुख व सुख देकर चला जाता है

औरत क्या है 
उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि औरत एक प्रकृति स्वरूप है जो इंसान पैदा करती है औरत को माया रूपी बताया  है जिसको पृथ्वी पर आज तक कोई नहीं पहचान पाया है जिस प्रकार पांचो उंगली समान नहीं है उसी प्रकार हर औरत एक समान नहीं है माता पार्वती माता सीता सतवंती अनुसुइया सावित्री ऐसे अनेकों नाम है जो आदर्श स्थापित करते हैं 

क्या औरत को कंट्रोल और कमांड किया जा सकता है 
उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि प्रेम से औरत को कंट्रोल और कमांड किया जा सकता है लेकिन अपमान और नफरत  से कहर ढाया जा सकता है औरत को समझाया नहीं जाया जा सकता बल्कि बहलाया और फुसलाया जा सकता है

संसार का वास्तविक सच क्या है और अधिकतम इंसान मातृशक्ति का सम्मान क्यों नहीं करते हैं पापाचार क्यों करते हैं
 उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा की हर इंसान मातृशक्ति की योनि से बाहर निकल कर आता है और माता का स्तनपान करके बड़ा होता है इसलिए हर इंसान को योनि और स्तन से ही विशेष प्यार और लगाव होता है जोकि अटल सत्य है इसी की तलाश में अधिकतर लोग पापाचार करते हैं और मातृशक्ति का सम्मान नहीं करते मातृशक्ति का सम्मान करने का ढोंग करते हैं

क्या किसी को पता है कि कौन कहां से आता है और कहां जाता है
 उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि माता के पेट में बच्चा कहां से आता है किसी को पता नहीं है और मृत्यु के बाद वह कहां जाता है यह भी किसी को पता नहीं है इसी प्रश्न का जवाब जानने के लिए अधिकतम लोग त्यागी तपस्वी और योगी बन जाते हैं लेकिन जो वास्तविक साधना करते हैं वह महान संत बन जाते हैं और वह इस भौतिकवाद की दुनिया से अलग चले जाते हैं जिनको उक्त सभी प्रश्नों के जवाब का ज्ञान होता है लेकिन भौतिकवादी सोच रखने वाले मनुष्य को उक्त प्रश्नों के जवाब का ज्ञान नहीं होता है

किसी व्यक्ति की बुद्धि की परख कैसे करें 
एक उदाहरण के द्वारा उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि कोई दो छोटे जीव अपनी मुट्ठी में लेकर विद्वान आदमी के पास जाइए और उससे पूछिए कि मेरी किस मुट्ठी में मरा हुआ जीव है और किस में जीवित सबसे बुद्धिमान व्यक्ति असमंजस में पड़ जाएगा कि यदि मैं सीधे हाथ में मरा हुआ जीव कहता हूं तो वह उस जीव को उड़ा देगा और मैं उसे जिंदा कहता हूं तब वह उसकी गर्दन दबा कर मार देगा इसलिए दोनों में से कुछ भी जवाब देना उचित नहीं है 
बुद्धिमान आदमी ने जवाब देते हुए कहा कि उन दोनों जीवो का जीवन और मृत्यु इस क्षण आपके हाथ में हैं इनका भविष्य बनाने वाले और बिगाड़ने वाले आप ही हैं इसलिए मैं इसमें अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता हूं 
इस कहानी से यह शिक्षा भी मिलती है कि हमारे पास चयन की वह शक्ति है जिसके द्वारा हम दूसरों के लिए अच्छा भी कर सकते हैं और बुरा भी कर सकते हैं
जीवन में निर्णय लेते समय अक्सर हम कठिनाइयों का सामना करते हैं लोग यह सोच कर चिंतित रहते हैं कि उनका निर्णय सही है या गलत I यह प्रक्रिया और अधिक तनावपूर्ण हो जाती है इसलिए बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए किसी भी फैसले में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए जल्दबाजी करने से हमेशा नुकसान होता है और शांत मन से सोचने से हमेशा अच्छा परिणाम आता है इसलिए कभी भी भावुक होकर फैसला मत लीजिए

हम कैसे जाने कि कौन सा फैसला हमारे लिए अच्छा है
 उक्त प्रश्न का जवाब देते हुए डॉ एमपी सिंह ने कहा कि निर्णय लेना एक बहुत बड़ी जटिल समस्या को हल करने की तरह है पढ़ते समय गणित वाले अध्यापक बहुत कठिन प्रश्न को सूत्र लगाकर आसान बना देते थे और उसका हल निकल आता था ठीक इसी प्रकार हमें भी कुछ ऐसे सूत्र लगाने होंगे ताकि समस्या का समाधान निकल आए यह सूत्र अनुभवी लोगों के साथ मिलते हैं जैसे माता पिता दादा दादी नाना नानी आदि 
कुछ समस्याएं अत्यंत भयंकर होती हैं जैसे आर्थिक समस्याएं, घरेलू समस्याएं, ऑफिस की समस्याएं, सड़क की समस्याएं, विभाग की समस्याएं, टैक्स की समस्याएं, बिजली की समस्याएं तथा अपमान व सम्मान की समस्याएं आदि


जटिल समस्याएं उलझी हुई गांठ की तरह है 
जैसे उलझी हुई गांठ को अनेकों तरीके से खोलने का प्रयास करने के बावजूद भी जब वह नहीं खुलती है तब दांतो का सहारा लेना पड़ता है ठीक इसी प्रकार मानव जीवन में अनेकों ऐसी जटिल समस्याएं आती हैं जिनका आसानी से निदान नहीं हो पाता है उनका निदान करने के लिए साम दाम दंड भेद की नीति को अपनाना पड़ता है कुछ जटिल समस्याएं परिवारीजनों के द्वारा पैदा की जाती हैं तो कुछ  समाज के शरारती तत्वों के द्वारा पैदा की जाती हैं कुछ जटिल समस्याएं शिक्षण संस्थान कर्म क्षेत्र व धर्म क्षेत्र पैदा करते हैं तो कुछ जातिगत आंकड़ों के आधार पर छूत अछूत के खेल मैं राजनैतिक लोगों  पैदा करते हैं  कुछ प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा तो कुछ इंसानों की गलत आदतों के द्वारा 
उक्त सभी का समाधान बहुत आसानी से निकल सकता है यदि हम अपने बड़े बूढ़ों तथा अनुभवी इंसानों का सहारा लें किसी मौलवी पंडित नीम हकीम तांत्रिक के पास उक्त समस्याओं का कोई समाधान नहीं होता है बल्कि आर्थिक सामाजिक बर्बादी होती है कई समस्याओं का समाधान करने के लिए आंखें दिखानी पड़ती हैं तो कईयों में दाती भीचनी पड़ती है कईयों में थप्पड़ दिखाना पड़ता है तो कईयों में पुलिस का सहारा लेना पड़ता है कईयों में पैसे की बर्बादी होती है तो कईयों में अपनी इज्जत दाव पर लगानी पड़ जाती है किसी भी समस्या का समाधान इतना आसान नहीं होता है बुद्धि और विवेक से काम लेने पर ही समस्याओं को आसानी से सुलझाया जा सकता है 


कर्म का विधान 
हर किसी को अपने अच्छे और बुरे कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है इसमें देर सवेर तो हो सकती हैलेकिन अंधेर कभी नहीं होता है इसलिए किसी को भी किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए यह नहीं सोचना चाहिए कि मैंने जो कर दिया है वही सही है या जो मैं कर रहा हूं वही सही है अनेकों लोग भ्रम जाल में गलत को भी सही मान बैठते हैं और ओवरकॉन्फिडेंस में अपना नुकसान कर लेते हैं इसलिए हमें अच्छी सोच पर अच्छा कार्य करना चाहिए इसके हमेशा बेहतर परिणाम होते हैं लेकिन जो इंसान गंदी सोच पर गलत कार्य करते हैं उन पर जूते और चप्पल पढ़ते हैं तथा आर्थिक नुकसान के साथ-साथ जेल भी जाना पड़ जाता है कोर्ट कचहरी में पूरा घर और परिवार बर्बाद हो जाता है हमारा भविष्य हमारे कर्मों पर ही निर्भर करता है पिछले कर्मों के आधार पर इस जीवन को भुगत रहे हैं कोई झुग्गी झोपड़ी में पैदा हो रहा है तो कोई महलों में पैदा हो रहा है कोई अंधा लूला लंगड़ा बहरा गूंगा पैदा हो रहा है तो किसी के पैदा होने के बाद हाथ पैर काटे जा रहे हैं और वह दिव्यांग का जीवन गुजार रहा है कोई भीख मांग रहा है तो किसी के पास पेट भर भोजन नहीं है कोई सड़क पर जीवन यापन कर रहा है तो किसी के पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं है यह मृत्युलोक है इस मृत्युलोक में कर्मों का हिसाब किताब चुकाने के लिए लोग आते हैं लेकिन चमक दमक की दुनिया में आकर भूल जाते हैं कि हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए क्या उचित होगा और क्या अनुचित होगा


कौन सा अनुच्छेद किस मानवाधिकार से संबंध रखता है 
अनुच्छेद 1- व्यक्तिगत तथा दूसरों के साथ राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकार तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं के संरक्षण व अनुभूति के लिए प्रोत्साहित व संघर्ष करना 

अनुच्छेद दो -इसके तहत मूलभूत स्वतंत्रताओं को लागू और प्रोत्साहित करना होता है इसके तहत ऐसे कदम उठाए जाते हैं कि समस्त ऐसी स्थिति को बनाए जो सामाजिक आर्थिक राजनीतिक तथा अन्य क्षेत्रों में कारगर हो व जरूरी साथ ही वे समस्त कानूनी शर्तें जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सभी व्यक्ति अपने राज्य क्षेत्र में व्यक्तिगत तथा दूसरों के साथ सामूहिक रूप से सभी अधिकारों व स्वतंत्रता का उपयोग करने योग्य हो 
हर राज्य ऐसी प्रशासनिक वैधानिक व अन्य कदम उठाएगा जो वर्तमान घोषणापत्र से संबंधित अधिकारों व स्वतंत्रताओं को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है 

अनुच्छेद 3- घरेलू कानून जो मानव अधिकार तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के शासन पत्र तथा अन्य राज्य की अंतरराष्ट्रीय औपचारिकताओं के अनुरूप है एक न्यायिक ढांचा है जिसके अंतर्गत मानव अधिकार तथा मूलभूत स्वतंत्रताए लागू की जानी चाहिए जिसमें उन अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं के प्रभावपूर्ण संरक्षण तथा प्रोत्साहन के लिए सभी क्रियाकलापों जो वर्तमान घोषणा पत्र से संबंधित हैं का संचालन किया जाए

 अनुच्छेद 4-  वर्तमान घोषणापत्र से यह अनुमान नहीं लगाया जाएगा कि इसकी कोई भी बात संयुक्त राष्ट्र के शासन पत्र के किसी भी उद्देश्य या सिद्धांत के विरोधाभासी  है अथवा यूडीएचआर के किसी भी उप उपबंधो मानवअधिकारों पर 2 अंतर्राष्ट्रीय शर्तें तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय वादे व उपकरण जो भी इस क्षेत्र में लागू हो को सीमित व अनादर करने के लिए है 

अनुच्छेद 5-  प्रत्येक को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तिगत व दूसरों के साथ मानव अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं को प्रोत्साहित व संरक्षित करने के उद्देश्य से निम्नलिखित अधिकार हैं 
1. शांति पूर्वक मिलना या एकत्र होना 
2. किसी गैर सरकारी संस्थाओं संग हो अथवा समूह का निर्माण उसमें जुड़ना में भाग लेना 
3. गैर सरकारी अथवा  सरकारी संस्थानों से संपर्क रखना 

अनुच्छेद 6 - प्रत्येक को यह अधिकार है व्यक्तिगत तथा दूसरों के साथ कि 
 1. समस्त मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं के बारे में जानकारी प्राप्त एकत्र हासिल तथा बहन करना जिसमें ऐसी जानकारियों तक पहुंच भी सम्मिलित है जो उन अधिकारों व स्वतंत्रता से संबंधित हैं जो घरेलू न्यायालय व प्रशासनिक तंत्रों को प्रभावी बनाते हैं 
2. जैसा कि मानव अधिकारों तथा अन्य प्रभावी अंतरराष्ट्रीय उपकरणों में उप बंधित किया गया है समस्त मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता  पर दूसरों के विचार जानकारी व ज्ञान को प्रदत्त छापने अथवा प्रसार की स्वतंत्रता 
3. समस्त मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं दोनों कानूनी व क्रियान्वित रूप की अनुपालना पर अध्ययन चर्चा तथा मत बनाना तथा ऐसे व अन्य उपयुक्त माध्यमों से लोगों का ध्यान इन मुद्दों की ओर आकर्षित करना 

अनुच्छेद 7-  प्रत्येक को यह अधिकार है व्यक्तिगत व दूसरों के साथ कि वह नए मानव अधिकार संबंधित विचार व सिद्धांतों को विकसित कर उन पर चर्चा करें तथा अपने विचारों की मान्यताओं की वकालत करें 

अनुच्छेद 8 - प्रत्येक को यह अधिकार है व्यक्तिगत व दूसरों के साथ कि वह अभेदभाव पूर्ण आधार पर अपने देश की सरकार में सहभागिता व लोककार्य में संचालन तक प्रभावी पहुंच रख सके 
लोक कार्यों से जुड़ी सरकारी संस्थाएं व एजेंसियों के समक्ष आलोचना व सुझाव प्रस्तुत करने का अधिकार व्यक्तिगत व दूसरों के साथ भी सम्मिलित है जो उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए व उनका ध्यान उन्हीं के किसी कार्य विशेष की तरफ उत्कृष्ट करने के लिए लाभकारी हो जो मानव अधिकारों व मूलभूत स्वतंत्रताओं के प्रोत्साहन संरक्षण व कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न करते हो 

अनुच्छेद 9-  मानव अधिकारों व मूलभूत स्वतंत्रता के क्रियान्वयन में जिसमें मानव अधिकारों के प्रोत्साहन व संरचना सम्मिलित हैं प्रत्येक को व्यक्तिगत व दूसरों के साथ यह अधिकार है कि उन्हें उन अधिकारों का हनन होने पर संरक्षण व प्रभावी उपचार का फायदा मिले 

बो सभी जिन के अधिकार व मूलभूत स्वतंत्रता का हनन हुआ है उन्हें यह अधिकार है व्यक्तिगत कानून प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा कि वह इसकी शिकायत कर सके तथा इन शिकायतों का त्वरित रूप से अवलोकन जनसुनवाई में एक स्वतंत्र निष्पक्ष तथा समक्ष न्यायिक अथवा कानूनी रूप से सन स्थापित प्राधिकारी के समक्ष किया जाए तथा उसे ऐसे प्राधिकरण से कानून के अनुरूप निर्णय मिले जो उसे हर्जाना मुआवजा प्रदान करें 

प्रत्येक को यह अधिकार है व्यक्तिगत वह दूसरों के साथ व्यक्ति विशेष अधिकारी तथा सरकारी संस्था की योजना के क्रियान्वयन के विरुद्ध मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता के हनन के संबंध में शिकायत किसी यात्रा तथा अन्य युक्तियुक्त साधनों के द्वारा सक्षम घरेलू न्यायिक प्रशासनिक अथवा वैज्ञानिक प्राधिकरण तथा कानूनी रूप से स्थापित प्राधिकारी के समक्ष कर सके जो इस शिकायत का निर्धारण तुरंत रूप से करें 

जन सुनवाई कार्यवाहीयों व विचारणों में उपस्थित होने का अधिकार ताकि वे राष्ट्रीय कानून तथा अंतरराष्ट्रीय औपचारिकताएं तथा वचनबद्धता की पालना कर अपने मत बनाएं 

मानव अधिकारों तथा मूलभूत सुविधाओं के बचाव के लिए अपने पेशेवर योग्य कानूनी सलाह अथवा अन्य संबंधित सलाह अथवा अन्य संबंधित सलाहे व सहयोग प्रदान करने का अधिकार 

 राज्य को जब भी विश्वास योग्य आधार मिलेगा कि उसके क्षेत्राधिकार में किसी प्रदेश में मानव अधिकार तथा मूलभूत स्वतंत्रता का हनन हुआ है तो वह इसके संबंध में त्वरित व निष्पक्ष अन्वेषण अथवा जांच कराएगा

 प्रभावित अंतरराष्ट्रीय उपकरणों व विधि के अनुसार प्रत्येक को यह अधिकार है कि व्यक्तिगत व दूसरों के साथ कि वह बिना किसी रूकावट के अंतरराष्ट्रीय निकायों से आम अथवा विशेष योग्यता के साथ मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता के मामलों के संबंध में संपर्क कर सकें

 अनुच्छेद 10 - कोई भी ऐसे किसी भी कार्य या उसके प्रयास में भागीदार नहीं होगा जिससे मानव अधिकार और मूलभूत स्वतंत्रता का हनन हो तथा किसी को भी ऐसे किसी कार्य को मना करने पर सजा अथवा प्रतिकूल कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ेगा 

अनुच्छेद 11 - प्रत्येक को यह अधिकार है व्यक्तिगत व दूसरों के साथ कि वह अपने व्यवसाय अथवा पेशे का विधिक रुप से क्रियान्वयन कर सके प्रत्येक जिसके पेशे अथवा व्यवसाय का असर दूसरों के मानव सम्मान मानव अधिकार तथा मूलभूत स्वतंत्रता पर पड़ता हो वे उन अधिकारों व स्वतंत्रताओं का सम्मान करेंगे तथा संबंधित राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय किया पेशेवर मूल्यों के मापदंडों का पालन करेंगे 

अनुच्छेद 12-  प्रत्येक का यह अधिकार है व्यक्तिगत वह दूसरों के साथ कि वह मानव अधिकारों व मूलभूत स्वतंत्रता के हनन शांतिपूर्ण कार्यों में हिस्सा ले सकें 

राज्य ऐसे समस्त आवश्यक कदम उठाएगा जो सक्षम अधिकारियों द्वारा सभी को उनकी वर्तमान घोषणा पत्र से संबंधित विधिक अधिकारों के क्रियान्वयन के फल स्वरुप पैदा हुई हिंसा खतरे प्रतिकार प्रतिकूल भेदभाव दबाव अथवा अन्य किसी मनमानी कार्यवाही के विरुद्ध संरक्षण को सुनिश्चित करें

 इस संदर्भ में प्रत्येक व्यक्तिगत रूप से व दूसरों के साथ इस बात का हकदार है कि वह राष्ट्रीय कानून के अंतर्गत किसी कार्यवाही अथवा कार्य के विरुद्ध शांतिपूर्ण माध्यमों द्वारा विरोध दर्शाने पर प्रभावी रूप से संरक्षित हो इसमें राज्य के वह विलोपन भी शामिल हैं जिसके फलस्वरूप मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं का हनन हो साथ ही वह समस्त हिंसा के कार्य जो किसी समूह अथवा व्यक्तियों द्वारा किया गया हो जिसका असर मानव अधिकार अथवा मूलभूत स्वतंत्रता के क्रियान्वयन पर पड़े

अनुच्छेद 13- प्रत्येक को यह अधिकार है व्यक्तिगत तथा दूसरों के साथ वर्तमान घोषणापत्र के अनुच्छेद तीन के अनुसार मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता के प्रोत्साहन व संरक्षण के लिए शांतिपूर्वक किसी संसाधन के लिए निवेदन उसका उपयोग तथा उसको प्राप्त करें 

अनुच्छेद 14- राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह वैधानिक न्यायिक प्रशासनिक अथवा अन्य युक्ति युक्त उपाय करें जिससे उसके चित्र अधिकार के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को उनके दीवानी राजनैतिक आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों के प्रति सजगता व समाज का प्रोत्साहन मिले 

ऐसे उपाय सम्मिलित करें कि राष्ट्रीय कानूनों तथा नियमन की तथा मौलिक अंतरराष्ट्रीय उपकरणों की उपलब्धता व प्रकाशन हो सके 

मानवअधिकारों के क्षेत्र में दस्तावेजों तक पूर्ण व समान पहुंच जिसमें राज्य की अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संधियों द्वारा स्थापित निकायों को मियादी रिपोर्ट भी शामिल है साथ ही ऐसे निकायों की कार्यालयों तथा चर्चा संबंधित अभिलेखों का सार 

राज्य जहां पर भी युक्ति-युक्त हो स्वतंत्र राष्ट्रीय संस्थाओं के निर्माण में विकास को सहयोग सुनिश्चित करेगा जो मानव अधिकार तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं को उसके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत प्रदेशों से प्रोत्साहित व संरक्षित करती है 

अनुच्छेद 15-  राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रताओं की शिक्षा के समस्त स्तरों पर प्रोत्साहित व उपलब्ध कराएं तथा यह सुनिश्चित करें कि ऐसे समस्त लोग जो वकीलों ,कानून प्रवर्तन, अधिकारियों, सेना के अधिकारी, लोक अधिकारी के प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार हैं वह अपने इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मानव अधिकार शिक्षा को युक्तियुक्त ढंग से सम्मिलित करें 

अनुच्छेद 16-  व्यक्ति गैर सरकारी संस्थाएं तथा संबंधित संस्थाएं लोगों को मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता से संबंधित समस्त प्रश्नों के प्रति शिक्षा प्रशिक्षण व शोध के माध्यम से जागरूक करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं तथा साथ ही समस्त धार्मिक व जातीय समूहों में समझदारी सहिष्णुता शांति व दोस्ताने रिश्ते का निर्माण करने में जिसमें वह सामाजिक व सामुदायिक परिपेक्ष को ध्यान में रखें 

अनुच्छेद 17- वर्तमान घोषणा पत्र से संबंधित अधिकारों व स्वतंत्रताओं के क्रियान्वयन के संबंध में प्रत्येक व्यक्तिगत रूप से तथा दूसरों के साथ सिर्फ ऐसी समुदाय लागू होंगी जो अंतरराष्ट्रीय औपचारिकता के अनुरूप हो तथा जो कानून द्वारा पूर्ण रूप से दूसरों के अधिकारों व स्वतंत्रता ओं को सम्मान व ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई तथा वह प्रजातांत्रिक समाज के लोग नैतिकता व कल्याण के जरूरतों के अनुसार हो 

अनुच्छेद 18- प्रत्येक का अपने समुदाय के प्रति वह उस में रहते हुए कुछ कर्तव्य है जिसमें उनका संपूर्ण व्यक्तिगत विकास संभव हो सके 

व्यक्ति समूह संस्थाएं तथा गैर सरकारी संस्थाएं प्रजातंत्र को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं जिसमें मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता ओं को प्रोत्साहित करने में तथा प्रजातांत्रिक समाज व संस्था को प्रोत्साहन करने में अहम भूमिका निभाते हैं 

व्यक्ति समूह संस्थाएं तथा गैर सरकारी संस्थाएं प्रत्येक के अधिकारों को सामाजिक तथा अंतरराष्ट्रीय प्रोत्साहन देने में अहम भूमिका निभाते हैं जिसमें यूडीएच आर में अधिकार व स्वतंत्रता तथा अन्य मानव अधिकार उपकरणों का पूर्ण उपयोग हो सके 

अनुच्छेद 19- वर्तमान घोषणापत्र का कोई भी उपबंद किसी व्यक्ति समूह सामाजिक निकाय अथवा राज्य को किसी भी ऐसे कार्य करने व उस में लिप्त होने का अधिकार नहीं होती देता जिससे वर्तमान घोषणापत्र की किसी भी अधिकार व स्वतंत्रताओं का हनन हो 

अनुच्छेद 20- वर्तमान घोषणापत्र का कोई भी उपबंध किसी भी राज्य को यह अनुमति नहीं देता कि वह संयुक्त के शासन पत्र के विरुद्ध किसी भी व्यक्ति का समूह संस्था अथवा गैर सरकारी संस्थाओं की कार्यवाही को प्रोत्साहन अथवा सहयोग दें

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