फरीदपुर में संस्कार की पाठशाला हुई संपन्न- डॉ एमपी सिंह
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर 75 सप्ताह 75 संस्कार की पाठशालाओं के तहत अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट ने फरीदपुर में संस्कार की पाठशाला लगाई जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि देश की उन्नति और समृद्धि के लिए आम नागरिक को जागरूक होना बेहद जरूरी है समाज में नशा एक बुराई के रूप में अभिशाप बनकर उभर रहा है जिससे मुक्ति दिलाना हम सभी की जिम्मेदारी है सर्वप्रथम हमारे घर में नशा करने वाले लोगों को नशे की बुराइयों के बारे में बता कर उनके व्यवहार में परिवर्तन करना चाहिए तथा स्वास्थ्यवर्धक भोजन देना चाहिए गंदी संगति से बचाना चाहिए अधिकतम उनको व्यस्त रखना चाहिए उनको प्यार देना चाहिए उनका तिरस्कार नहीं करना चाहिए
इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने बुजुर्गों और नन्हे-मुन्ने बच्चों को को ही देवी देवता की संज्ञा में रखा और निवेदन किया कि कहीं पर भी अपने बच्चों को लेकर जब आप यात्रा करने निकलते हैं और अपने बीमार बूढ़े असहाय दिव्यांग माता-पिता को उनके हाल पर छोड़ कर चले जाते हैं तो उनकी पूजा पूरी नहीं होती है क्योंकि जब तक माता-पिता की आत्मा से आशीर्वाद नहीं निकलेगा तब तक कोई भी पूजा तथा यात्रा ठीक ढंग से नहीं होगी अधिकतर माता-पिता नन्हे-मुन्ने बच्चों के खेलने कूदने से संबंधित वस्तुओं तथा वस्त्र और आभूषणों पर लाखों रुपए खर्च कर देते हैं जब उनकी तबीयत बिगड़ जाती है तब नीम हकीम मौलवी पंडितों के चक्कर में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं जबकि दादा दादी और नाना नानी उनकी कम पैसों में ही अच्छी परवरिश कर सकते हैं तथा मोबाइल इत्यादि से भी दूर रखकर कहानियों के माध्यम से उनका ज्ञानवर्धन कर सकते हैं लेकिन करें कैसे अधिकतर माता-पिता ने नन्हे-मुन्ने बच्चों को दादा दादी से अलग कर रखा है और डे बोर्डिंग स्कूल मैं डाल कर उनकी खुशियों को छीन रहे हैं या आया से परवरिश करा कर उसकी ग्रोथ को रोक रहे हैं
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