प्रेस की आजादी को सम्मान देना उचित है -डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने पत्रकारिता के महत्व को रेखांकित करते हुए विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और बताया कि यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग ने 3 मई 1991 से इस दिवस को मनाना शुरू किया यह दिवस संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन द्वारा आयोजित किया जाता है ताकि इंटरनेट कंपनियों की दूरदर्शिता निश्चित की जा सके तथा लोगों के पहचानने मूल्य वर्णन करने में तथा सशक्त बनाने में अपना रोल अदा कर सके इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने कहा कि एक समय था जब पत्रकारिता का इतना महत्व नहीं था लेकिन आज वर्तमान में पत्रकारिता के माध्यम से अनेकों घोटालों को उजागर किया गया है तथा अनेकों मोस्ट वांटेड और अपराधियों का पर्दाफाश किया गया है कलम के सामने बड़े-बड़े धुरंधर हार मान जाते हैं क्योंकि बड़ी से बड़ी तो तलवार गोली भी कुछ नहीं कर सकती है लेकिन कलम सब कुछ कर सकती है डॉक्टर एमपी सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता को लेकर लोग तरह तमाम तरह की चर्चाएं करते हैं आज का पत्रकार अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है यदि निर्भीकता निडरता से सच को लिखना चाहता है तो कहीं ना कहीं पर अंकुश का सामना करना पड़ता है जबकि प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है डॉक्टर एमपी सिंह का कहना है प्रेस की स्वतंत्रता को कानूनी प्रणाली द्वारा भी स्पष्ट रूप से परिभाषित वह संरक्षित नहीं किया गया है जिसकी वजह से राज्य सरकार और केंद्र सरकार तरह-तरह से समय-समय पर अंकुश लगाते रहते हैं और अपनी इच्छा अनुसार कार्य कराती होते हैं जोकि उचित नहीं है देश की एकता अखंडता संप्रभुता के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बहुत मायने रखती है क्योंकि सभी नागरिकों को वाक्य की अभिव्यक्ति है लेकिन पत्रकारों को नहीं है जो कि एक चिंता का विषय है
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