motivational stories by Dr MP Singh

 सारोल गांव में अशर्फी और प्रेम सिंह के यहां पर एक बच्चे का जन्म होता है जिसका नाम मौहरपाल रखा जाता है जन्म होने के 2 साल बाद प्रेम सिंह का देहांत हो जाता है 

मौहरपाल से बड़े 5 बच्चे और भी होते हैं जिनके नाम ईश्वर सिंह ज्ञानचंद नानकचंद किशनवती तथा संता देवी होते हैं अशर्फी के सामने दो बेटी और चार बेटे पालने की बड़ी चुनौती आ जाती है जबकि उनके पास कोई अपना व्यापार व खेती क्यारी तथा नौकरी नहीं होती है
 
वह महिला घास खोदकर शिला बीनकर चरखे पर सूत कातकर फसल की निराई गुड़ाई व कटाई करके अपने बच्चों का भरण पोषण करती है सकारात्मक सोच पर कोई भी रिश्तेदार किसी प्रकार की मदद करने के लिए तैयार नहीं होता है लेकिन फिर भी अशर्फी देवी हिम्मत नहीं हारती है और सार्थक प्रयासों से अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने का भी प्रयत्न करती है जिसमें से 3 बच्चे पढ़ जाते हैं और तीन अनपढ़ रह जाते हैं जबकि अशर्फी देवी स्वयं अनपढ़ होती है 

हमारे घर के पास देवालय था जिसमें प्रतिवर्ष रामलीला हुआ करती थी  हमारी माता जी धार्मिक प्रवृत्ति की  थी इसलिए वह हमारे अंदर उत्तम संस्कार समाहित करने के लिए रात्रि काल में हमें रामलीला दिखाने  ले जाया करती थी इसी वजह से रामलीला के पात्रों से सही ज्ञान को प्राप्त किया और अपने व्यवहार तथा जीवन में लेकर आए 

 हमारे चाचा जी का लड़का रघुराज उसमें राम का पात्र निभाया करता था मैं उनसे  प्रेरित होकर गर्मियों की छुट्टियों में अपने सहपाठियों के साथ अपने घर में रामलीला किया करता था तथा राम का पात्र अदा करता था बॉस का धनुष बना लेते थे और सरकंडे का बाड़ बना लेते थे घर के फटे पुराने वस्त्रों से गदा बना लेते थे और किताब कोपियों के गत्ते से मुकुट बना लिया करते थे सारा सामान इकट्ठा करके रामलीला किया करते थे बहुत आनंद आता था अन्य खेल कोई भी नहीं खेला करते थे 

जब मैं प्राइमरी का विद्यार्थी था तभी हमारे घर के नजदीक माननीय चंद्रपाल उर्फ स्वामी जी रहते थे जो मुझे बेहद प्यार करते थे वह हारमोनियम बजाना जानते थे और होली के अवसर पर भजन मंडली बनाकर भजन गाया करते थे ताकि होली पर लगने वाले फूलडोल में प्रथम स्थान आ सके उसमें मुझे अग्रणी पंक्ति में रखा करते थे आगे मैं बोलता था और पीछे अन्य 8-10 गांव के बच्चे बोला करते थे मेरे वचन बोलने पर गांव की सरदारी बहुत खुश होती थी और खुश होकर 10- 20 पैसे नाम के भी दे दिया करते थे

 जब मैं छठी सातवीं में पढ़ता था तब हमारे गांव के  माननीय जगदीश वर्मा माननीय रामचरण वर्मा और सुरेंद्र भगतजी रामायण का पाठ किया करते थे जिसमें रात के समय मुझसे रामायण का पाठ कराया करते थे जिससे मेरी गांव में लोकप्रियता बढ़ गई और हर सुंदरकांड तथा रामायण के पाठ के लिए मुझे बुलाया जाने लगा  एक दिन लाला घासीराम के यहां पर रामायण का पाठ रखा गया जिसमें उनकी पुत्रवधू ने मुझसे प्रेरित होकर रामायण तथा अंग वस्त्र उपहार बतौर मुझे भेंट किए मुझे बहुत अच्छा लगा उससे पहले मेरे पास पढ़ने के लिए रामायण नहीं थी मैं सिर्फ कार्यक्रमों में ही रामायण का पाठ करता था लेकिन अब मेरे पास रामायण आ गई थी इसलिए सुबह शाम प्रतिदिन नियम से घंटा आधा घंटा पाठ करता था जिसकी वजह से मुझे रामायण कंठस्थ याद हो गई और अधिकतर गांव के बड़े बूढ़े मेरे साथ वाद-विवाद करने लगे जिससे मेरे ज्ञान की पराकाष्ठा और ज्यादा फैल गई

एक बार मे कटिंग कराने के लिए धुंधी
 नाई के पास गया उससे कटिंग करा कर मैं आ गया उसके बाद अगले दिन वह मेरी माता जी के पास आते हैं और ₹1 चोरी करने का उलाहना देते हैं मेरी माता जी को मुझ पर विश्वास था कि मेरा बेटा चोरी नहीं कर सकता है लेकिन फिर भी उसके सामने मेरी मार लगाई बाद में पुचकार कर कहा कि यदि ऐसा किया है तो मुझे बता दे मैंने कहा कि मैंने ऐसा नहीं किया तब माताजी ने उपदेश दिया कि बेटा कभी किसी हाल में चोरी मत करना भूखा और नंगा रहे लेना चोरी करना अच्छी बात नहीं है

मैं सुबह 4 बजे उठकर कुआं पर स्नान करके गांव के मंदिरों में साफ सफाई करता था तथा सबसे पहले मूर्तियों पर जल अर्पित करता था फिर अपने घर के सामने की पूरी गली को झाड़ू लगाता था जिसकी वजह से पूरे गांव में मेरा उदाहरण दिया जाता था मेरी माता जी ने हमेशा मुझे सपोर्ट किया और हौसला दिया जिसकी वजह से मैं हमेशा आगे बढ़ता रहा

ईश्वर सिंह थोड़ी पढ़ाई करने के बाद इंजन रिपेयर करने का काम सीख लेते हैं और थोड़ा कमाना शुरू कर देते हैं विश्वकर्मा होने के नाते से गरम काम करना भी जानते हैं इसलिए घर पर शाम के समय लोसारी पर कृषि संबंधी यंत्रों के बनाने का काम भी करते हैं जिसमें 8 वर्षीय मौहरपाल पंखा चलाता है और धन से चोट मारता है एक दिन चोट ठीक नहीं लगती है ईश्वर सिंह को गुस्सा आ जाता है और वह उस बच्चे को दोनों हाथों में ऊपर उठा कर जमीन पर पटक देता है उस बच्चे की मां देख रही होती है वह उस घायल और चोटिल बच्चे को उठाती है  अपने सीने से लगाती है गर्म दूध में हल्दी मिलाकर देती है गुम चोट की सिखाई करती है और आंखों में आंसू लेकर बैठ जाती है क्योंकि वह विधवा बेचारी लाचार होती है

 इस एपिसोड को देखकर वह उस छोटे बच्चे को पढ़ाना चाहती है लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से अनेकों मुसीबतों का सामना करना पड़ता है मौहरपाल सुबह 4 बजे उठकर अपनी बहनों के साथ ईख काटने के लिए तथा छोल करने के लिए जाता है 8 बजे वापस आकर नहा धोकर स्कूल जाता है 3:30 स्कूल से आकर चारा मशीन पर पशुओं के लिए चारा कटवाता है फिर मां के साथ भैंसों का दूध निकलवाता है फिर बड़े भाई के साथ शाम को 6 से 9 तक लोसारी पर गर्म काम करवाता है फिर 9 बजे के बाद खाना खाकर पढ़ाई करता है शीत सत्र में यही दिनचर्या रखते हुए क्लास में अव्वल दर्जे पर रहता है जिसके लिए ग्रामवासी उस बच्चे का अपने घरों में उदाहरण देते हैं 

वह बच्चा गर्मियों में गेहूं जो सरसों आदि की कटाई अपनी बहन और भाइयों के साथ सुबह से शाम तक करवाता है ताकि कुछ महीनों के के लिए घर में अनाज हो जाए और दो वक्त की रोटी मिलती रहे लेकिन गरीबी इतनी थी की सब लोगों के सार्थक प्रयास से भी पेट भर भोजन नहीं मिल पाता था तन ढकने के लिए कपड़े भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे 

घास फूस की झोपड़ी होती थी जो आंधी तूफान में उड़ जाती थी तब उसकी भी मरम्मत करना मुश्किल हो जाता था ऐसी स्थिति मे मौहरपाल जंगल होने के बहाने घर से निकल जाता था और रास्ते में पड़ी जो और गेहूं की   बाल एकत्रित कर लाता था उस समय बोगियों में लाक की  ढूलाई होती थी जो पेड़ पौधों में कुछ लाक और सरसों  इलझ जाती थी उसको पेड़ों से एकत्रित करके घर  ले आते थे और सुखाकर कूटकर बनिया को बेचकर पैसे ले लेते थे जिससे कॉपीकिताब खरीद कर पढ़ाई करते थे पढ़ाई में तेज होने की वजह से उनको वजीफा मिला करता था जिससे घर में काफी सहारा मिल जाता था

 बचपन में वह बच्चा गांव के नजदीकी बंद भट्टे से कोयले चुनकर लाता था जिससे लोसारी पर गर्म काम होता था
 
गर्मियों में समय मिलते ही अखबार पर झाड़ू की सीख लगाकर रेहटा से चिपका कर पतंग बनाकर बेचा करता था तथा बड़े भाई के साथ साइकिल पर बर्फ बिकवाया करता था तथा बहनों के साथ गेहूं की सीक को पानी में भिगोकर रोटी रखने वाली टोकरी बनवाया करता था
 
सभी बहन भाई मिलकर गरीबी उन्मूलन के लिए मां के साथ छोटे-छोटे कार्य करते थे क्योंकि सभी अभी छोटी उम्र के बच्चे थे कई बार 2-4 पैसों के लिए रहट चलाते थे तथा कोलू पर बैल हांकते थे 

सभी बहन भाई मिलकर किसानों की खेती को निराई गुड़ाई करने के लिए ठेके पर ले लेते थे जिसमें सभी जी जान से मेहनत करते थे 

जब घर में खाने के लिए कुछ नहीं होता था तब मेरी बहन  ईख के खेत के बाहर खड़ी हो जाती थी और गन्ना  तोड़ कर मुझे दे देती थी मैं पूरा गन्ना चूसकर जब बाहर आता था तब घास की खुदाई करते थे 

लाई पताई करते समय चना तथा मटर के होरा भून लिया करते थे और उनको खाकर तथा पानी पीकर गुजर कर लिया करते थे गर्मियों के दिनों में यमुना किनारे तरबूज खरबूज की खेती काफी मात्रा में होती थी उस खेती में काम करने के दौरान हम तरबूज खरबूज खाकर ही गुजर कर लिया करते थे तथा ककड़ी खीरा आदि का सेवन भी चोरी छुपे कर लिया करते थे चोरी छुपे आम के पेड़ों से भी आम तोड़कर खा लिया करते थे और आमी घर पर ले आते थे जिसकी चटनी बनाकर या पन्ना बनाकर खा लेते थे गर्मियों में कैत के पेड़ से कैत तोड़ कर खा लिया करते थे जिससे गर्मी नहीं होती थी और पेट भी ठीक रहता था बरसात के दौरान जामुन के पेड़ के पेड़ के नीचे से जामुन एकत्रित करके घर ले आया करते थे और सभी मिल बांट कर खा लिया करते थे

 अधिकतर समय सत्तू खाकर गुजारा कर लेते थे या पड़ोसियों से छाछ मांग कर घर लाकर दलिया में मिलाकर खा लिया करते थे खाने पीने की किसी को अधिक चिंता नहीं होती थी बस काम के बदले पैसे मिल जाएं और जिसकी देनदारी है
वह उतर जाए इतनी ही फिक्र हुआ करती थी

पिता की बीमारी में जो पैसा कर्ज लेकर मां ने लगाया था उसको उतारना ही मुश्किल हो रहा था क्योंकि मां अनपढ़ थी और लोगों ने अनाप-शनाप ब्याज लगाकर कई गुना कर रखा था जिसकी ब्याज की  भरपाई हम सब लोग मिलकर भी नहीं कर पा रहे थे जो कि बहुत बड़ी समस्या थी हर कोई अनपढ़ता तथा गरीब महिला का फायदा उठा रहा था लेकिन जैसे जैसे हम सब बड़े होते गए सब कुछ समझ में आने लगा

 गांव के आटा चक्की चालक देवी वाले ने मेरे भाई नानक चंद को बंधुआ मजदूर बनाकर रखा कि जब तक पैसे पूरे नहीं चुकता हो जाएंगे तब तक तुम घर नहीं जाओगे ऐसी प्रथा असहनीय थी लेकिन कर भी क्या सकते थे हम अबोधबालक थे ज्ञान नहीं था जैसे मां डरा देती थी और जैसे कह देती थी वैसे ही मान लेते थे लेकिन मां के सामने कोई बोलता नहीं था सभी मां की आज्ञा का पालन करते थे 

मैंने काम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को सतत रखा तथा कॉपीकिताब पेन पेंसिल लेने के लिए किसी पर जोर नहीं दिया उसके लिए अलग से काम करके पढ़ाई सामग्री का प्रबंध करता रहा और पढ़ाई करता रहा मुझे पांचवी कक्षा में 40 तक पहाड़े  ढोंचा पोंचा सवैया देवड़ा  रत्ती  मासा कंठस्थ थे जिसके लिए अध्यापकों ने कई बार इनाम भी दिया था पांचवी कक्षा बोर्ड की कक्षा थी जिसका सेंटर बूढ़ाका मे पढ़ा था जो कि गांव से लगभग 3- 4 किलोमीटर दूर था जिसमें तकली पर सूट काटने की प्रतियोगिता हुई थी उसमें भी खंड स्तर पर मैंने प्रथम स्थान हासिल किया था तथा कटीली झाड़ियो से गुलदस्ता बनाने की प्रतियोगिता में भी मैंने प्रथम स्थान हासिल किया था मिट्टी का गुलदस्ता बनाकर सजाने की प्रतियोगिता में भी मैंने प्रथम स्थान हासिल किया था जिसके लिए मुझे खंड स्तर पर वजीफा मिला था 

टप्पल की ठकुरानी ने ज्यादा ही अति कर रख थी जो भी हम सब लोग सप्ताह में कमाते थे उसे हर एक बार को आकर ले जाती थी और हिसाब किताब बताते हुए थे हमारी मां बहुत सीधी और भोली भाली थी जब भी ठकुरानी घर पर आती थी तो हमारी माता जी पड़ोसियों से गेहूं का आटा लेकर  पूड़ी  बनाते थे आलू की सब्जी तथा खीर बनाकर उसकी दावत करती थी चारपाई पर चद्दर बिछाकर उसको बैठाती थी पूरे दिन घर पर रहती थी और खा पीकर तथा पैसा लेकर चली जाती थी हम डर की वजह से कुछ बोल ही नहीं पाते और हम समझते थे यह  बहुत बड़े घराने की बड़ी औरत है क्योंकि उसके नए वस्त्र और आभूषण होते थे हमारे पास तो फटे पुराने गंदे कपड़े होते थे और कपड़े भी हम रेह से बमबे में धोया करते थे बड़ी विषम परिस्थितियां थी जिसमें जीवन जिया जा रहा था कभी समय पर भोजन नहीं मिलता था 

जब मैं छठी सातवीं कक्षा में पढ़ता था तब फाबड़े से ईख की खुदाई करता था तथा मक्का बाजरा की रखाई करता था जिसके लिए गांव के किसान मेरे काम से खुश होकर मजदूरी के साथ भी दूध  घी दिया करते थे जो कि मेरी माता जी को बहुत अच्छा लगता था आठवीं कक्षा बोर्ड की थी जिसका सेंटर वेना पड़ा था जो कि गांव से आठ 10 किलोमीटर दूर था जिसको मैंने मेहनत करके उत्तम श्रेणी से पास किया और सभी ग्रामीणों ने मेरी माता जी को बधाई दी तथा प्रसाद के रूप में गुड़ बांटा मुझे सरकार की तरफ से वजीफा मिला तथा कुछ ग्रामीणों ने भी आगे पढ़ने के लिए मेरी मदद की इससे मेरा और हौसला बढ़ गया

 लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में प्रत्येक रविवार को टप्पल की पेठ में प्लास्टिक के चप्पल जूते बेचा करते थे ताकि कुछ अतिरिक्त कमाई हो जाए और ऐसा ही हुआ

 मैंने दसवीं में साइंस साइड ले ली लाइब्रेरी से किताब मिल गई दाखिले में विद्यालय के प्रधानाचार्य ने मदद कर दी अब मैं पढ़ता भी था और अपने घर पर आठवीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाई भी करता था जिसकी वजह से दो पैसे ठीक से आने लग गए थे मेरे सबसे बड़े भाई ईश्वर सिंह चौधरी बनीसिंह के यहां पर ट्यूबेल पर कार्य किया करते थे तथा उनसे छोटे भाई लाला घासीराम के यहां पर टप्पल में कार्य करते थे अब सभी काम करने वाले हो गए थे जिसकी वजह से थोड़ा ठीक समय भी आ गया था 

अब दोनों भाई जवान हो गए थे इसलिए माताजी शादी करना चाहती थी शादी गरीबी के कारण नहीं हो पा रही थी जिसकी वजह से एक बिचौलिया ने कुछ पैसे खा कर पलवल स्थित घासेड़ा से शादी करा दी वह साड़ी हमीरपुर के नजदीक चिमनी पर की गई थी पर वह शादी बर्बादी का कारण बनी क्योंकि उन लड़कियों के माता-पिता तथा भाई-बहन की गुजर-बसर हमारे यहां से ही चल रही थी वह अपनी बेटियों से समय-समय पर कुछ भी सामान लेकर अपने घर चले जाते थे जिसकी वजह से सभी की कमाई का कुछ पता ही नहीं चल पा रहा था कुछ समय के बाद वह दोनों विवाह शादी में चढ़ाए गए तुम टाम तथा वस्त्र आभूषण इत्यादि लेकर अपने पिता के यहां पर चली गई तथा घरेलू हिंसा का बहाना लेकर अपने घर बैठ गई बाद में पंच पंचायत हुई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला जिसकी वजह से हमारे परिवार को दोबारा से गरीबी का मुंह देखना पड़ा और उस गरीबी से निकलने मुश्किल हो गया फिर दो-तीन साल बाद बड़े भाई ईश्वर सिंह की प्रेमपुर से सिंगारी के साथ हुई जिसका चाल चलन भी पहली औरतों की तरह ही था वह भी घर से चोरी करके और छुपाकर अपने भाइयों को दे दिया करती थी और हम सभी दम घुट कर रह जाते थे कुछ भी कहना हमारे लिए मुश्किल हो गया था क्योंकि हमारा भाई हमारी भाभी जी की तरफदारी करते थे जिसकी वजह से सास बहू के रिश्ते भी ठीक नहीं थे रोजाना किसी ना किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़ा रहता था तथा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते थे जिसकी वजह से कुछ समय के बाद घर के चूल्हे अलग कर दिए गए अभी और किसी की शादी नहीं हुई थी गरीबी जहां की तहां ही टिकी हुई थी

 खेरिया वाले मास्टर जी नवमी दसवीं क्लास में अंग्रेजी पढ़ाया करते थे लेकिन वह उन बच्चों पर ज्यादा ध्यान देते थे जो उनके पास स्कूल के बाद ट्यूशन पढ़ा करते थे हमारे पास ट्यूशन पढ़ने के लिए पैसा नहीं था पढ़ाई में हम अच्छे थे लेकिन जब वह कक्षा में नहीं पढ़ाते थे और उस विषय को ट्यूशन में पढ़ाते थे तो हम कमरे की दीवार के पीछे चुप कर उनकी बातों को सुना करते थे और बैठकर कॉपी पर लिखते रहते थे अगले दिन जब वह पूरा काम लिख कर लाते थे तब उनको शक होता था कि ऐसा कौन सा विद्यार्थी है जो मोरपाल को बताता है लेकिन कोई बताने वाला तो था ही नहीं इसलिए कोई कैसे कहता कि मैंने बताया है एक दिन उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर किया और पूछा तब मैंने सच सच बता दिया तब उन्होंने पिटाई की जिसके बारे में मैंने अपनी मां को जाकर बताया लेकिन मां तो बेबस और लाचार थी मैंने प्रधानाचार्य को जाकर कहा तब उन्होंने उन अध्यापक को बुलाया और सही तरीके से पढ़ाने की हिदायत दी

 कुछ अध्यापक पहले भी ऐसे ही थे जैसे आज लेकिन कुछ बहुत अच्छे थे 
उप प्रधानाचार्य हरचरण शर्मा जी का मेरे ऊपर विशेष प्यार रहा वह हमारी कक्षा को ज्यामिति पढ़ाया करते थे जिसमें मेरा सबसे पहला स्थान था इसलिए वह मेरा पक्ष भी लेते थे और मेरी फीस भी भरते थे मैं उनके प्रति आज भी अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूं ज्योति लाल मास्टर जी गजब की विज्ञान पढ़ाया करते थे जिसकी वजह से मैं मेडक की चीर फाड करके दोबारा शिलकर जिंदा कर देता था जिसकी वजह से वह मुझे बेहद प्यार करते थे और अक्सर कहते थे कि तुमने डॉक्टर बनना है लेकिन मैं एमबीबीएस की पढ़ाई तो नहीं कर पाया पर पीएचडी करने के बाद नाम के सामने डॉक्टर लग गया है उत्तम पढ़ाई करने के माध्यम से गणित पढ़ाने वाले राम चरण वर्मा संस्कृत पढ़ाने वाले ज्योति प्रसाद शर्मा का विशेष प्यार मिलता रहा और अन्य विद्यार्थियों को वह मेरा उदाहरण देते थे बाद में मैंने ज्योति प्रसाद शर्मा जी के बेटे और विमल जी के बेटे तथा प्रधानाचार्य के बच्चों को घर पर ट्यूशन पढ़ाया

दशमी का बोर्ड टप्पल पहुंचा जो कि गांव से 7 किलोमीटर दूर था हम सुबह उठकर पैदल परीक्षा देने जाया करते थे और पैदल ही आया करते थे लेकिन परीक्षा का परिणाम शानदार रहा जिसकी वजह से सभी गांव वासियों ने मुझे और मेरी मां को बधाई दी

 मैंने 11वीं कक्षा में टप्पल के जमुना खंड इंटर कॉलेज में साइंस साइड में ले लिया उस समय सत्यनारायण शर्मा प्रिंसिपल हुआ करते थे तथा रामबाबू गणित के प्रवक्ता और पीके पालीवाल केमिस्ट्री के प्रवक्ता तथा रामजीलाल फिजिक्स के प्रवक्ता हुआ करते थे सभी का मुझे विशेष स्नेह मिलता था क्योंकि मैं मन लगाकर पढ़ाई करता था और मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था

 स्कूल से आने के बाद मैं अपनी झोपड़ी में गांव के दसवीं तक के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाता था जिससे दो पैसे भी मिल जाते थे और रिवीजन भी अच्छा हो जाता था 12वीं की बोर्ड परीक्षा का सेंटर पलसेरा पड़ा पलसोड़ा का नाम सुनकर मेरी मां बहुत बेचैन हो गई वहां कैसे जाओगे किसके पास रहोगे किसके यहां रहोगे कैसे परीक्षा दोगे बहुत ही चिंतनीय विषय था लेकिन जो मेरे कक्षा में मेरे साथ पढ़ते थे उन्होंने मुझे सहारा दिया और कहा कि हमारे साथ ही रहकर परीक्षा दे देना हमारी भी तैयारी ठीक हो जाएगी और मैंने उनकी बात को मान लिया क्योंकि मेरे पास अन्य कोई विकल्प नहीं था वहां पर शीशपाल प्रधानाचार्य हुआ करते थे जिनके गले में रिवाल्वर पड़ी रहती थी सभी लोग उनसे डरते थे जहां पर कोई भी नकल करने की हिम्मत नहीं कर सकता था वहां पर विद्यार्थियों के सभी कपड़ों को उतरवाकर बाहर ही जांच पड़ताल कर ली जाती थी और एक 1 मीटर की दूरी पर विद्यार्थी बैठकर परीक्षा दिया करते थे जहां बेंचो की व्यवस्था थी वहां पर एक बेंच पर एक ही विद्यार्थी बैठा करता था उस समय पूरी कक्षा में मैं सिर्फ अकेला ही पास हुआ था जिसके लिए पूरे इंटर कॉलेज के प्राध्यापकों ने मुझे और मेरी मां को बधाई दी तथा क्षेत्र में शोर मच गया की एक विधवा के बच्चे ने पढ़ाई में नाम किया है और मेरे गांव के अन्य साथी शिवकुमार नीरेंद्र वीरेंद्र सभी फेल हो गए थे
 जिस बच्चे को टीके पालीवाल ने गोद ले रखा था और सारा खर्चा उठाते थे वह भी फेल हो गया था 

जब मैं 11वीं 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था तब स्कूल से आने के बाद 60 -70 विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाया करता था जिससे भारी-भरकम आमद नहीं हो जाती थी और घर का खर्चा भी आसानी से चल जाता था मैं अपनी पढ़ाई रात के समय करता था मेरे पास टप्पल अहमदपुर अटाली मानपुर रहीमपुर नूरपुर वेना बूढ़ाका जेवर आदि जगह से विद्यार्थी पढ़ने आया करते थे मैं जिस क्लास में पढ़ता था उसी का गणित पढ़ाया करता था गणित पर मेरी बहुत पकड़ थी जिसमें सत प्रतिशत अंक आया करते थे

12वीं कक्षा पास करने के बाद मैं बीएससी में दाखिला लेना चाहता था लेकिन मेरे भाइयों ने मना कर दिया कि हम आगे नहीं पढ़ा सकते हैं आप हमारे साथ काम कीजिए जब पैसे कमा लो तब दाखिला ले लेना इसलिए उस छोटी उम्र में गांव से पलवल तक बनने वाली सड़क पर फावड़े से मिट्टी खोदकर सिर पर तसला भरकर रखकर उस सड़क पर डाली थी जिस सड़क को मैंने बनाया था आज मैं उसी सड़क पर अपनी कार लेकर गांव जाता हूं मन को बड़ा अच्छा लगता है उस समय मेरे तीनो भाई फरीदाबाद में मेहनत मजदूरी करने के लिए शास्त्री कॉलोनी में आ गए थे जहां पर झुग्गी डाल कर रहते थे बड़े भाई फैक्ट्री में काम करते थे छोटे भाई रामबाबू की भूसा की ताल पर काम करते थे और उनसे छोटे रिक्शा चलाते थे 

द्वेष भाव की वजह से मेरे चंदन चाचा जी ने मुझे गलत केस में फंसाने की कोशिश की लेकिन ग्राम बस्ती के सबसे अधिक अमीर 1000 एकड़ के जोतने वाले काशीराम जी की 10वीं और 12वीं मैं पढ़ने वाली पोतियों को पढ़ाया करता था तथा गांव के सबसे ज्यादा ताकतवर बाबूलाल के चारों बच्चों को पढ़ाया करता था उस समय श्री चंद का बदमाशों में बहुत बड़ा नाम था उनका बेटा भी मेरे पास पढ़ने आया करता था जो कि आज दिल्ली पुलिस में कार्यरत है उस समय जितने विद्यार्थी मैंने पढ़ाए थे सभी फौज पुलिस में भर्ती हो गए थे तथा कुछ प्रशासनिक सेवाओं में चले गए थे गांव के मुखिया सरदार जी का भी बेटा जगन्नाथ मेरे पास पढ़ने के बाद फौज में लगे जिसको मैंने छोटे आ से अनार से शुरू किया था और फौज की पढ़ाई तक तैयार किया था सबसे अमीर ब्याज पर पैसा देने वाले घासीराम बनिया की 10वीं 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली पोतिया भी मेरे पास पढ़ती थी शीशपाल पहलवान जिसका जिले के अंदर बहुत बड़ा नाम था कोई भी कुश्ती के लिए तैयार नहीं होता था उसके भाई को भी छोटे आ से अनार से लेकर फौज की पढ़ाई कर तैयार किया और वह भी फौज में भर्ती हुआ संस्कृत के टीचर विमल जी तथा जी भर के इंटर कॉलेज में पीटीआई रामदेव के भाई ने भी मेरे पास कोचिंग ली और नेवी तथा आर्मी में भर्ती हो गए गांव के सभी मौजूदा व्यक्तियों की जवान बहन बेटियों को ट्यूशन पढ़ाया करता था इसलिए किसी ने भी विश्वास नहीं किया और उल्टा उन्हीं की जलालत की उसी समय हमारे मामा की लड़की का लड़का भी मेरे पास पढ़ने आया करता था जिसके ताऊजी टप्पल थाना के अंदर मुंशी जी थे जिनकी क्षेत्र में बहुत उदास ज्यादा चला करती थी और उनके पिताजी की मिठाई की दुकान थी वह अपने समय के बहुत अमीर और खानदानी थे
 उक्त घटना से बात से मैं बहुत पीड़ित और परेशान हुआ जबकि वह जमीन जायदाद वाले बड़े आदमी थे और हम गरीब आदमी थे फिर भी उनके बेटे राजपाल को पढ़ाई में मैं गाइड करता रहता था तथा दूसरे चाचा जी धनीराम के बेटे ओम प्रकाश को भी पढ़ाया करता था जबकि दोनों यही कहा करते थे कि हमारे बच्चे ही पढ़ लिखकर आगे पहुंचेंगे विधवा का बच्चा आगे नहीं पढ़ पाएगा क्योंकि गरीबनी के पास पढ़ाने के लिए पैसा नहीं है और कोई मददगार भी नहीं है राजपाल मेरे से 2 क्लास आगे पढ़ता था लेकिन दो बार फेल होने के बाद मेरे साथ आ गया उत्तर प्रदेश के विश्वकर्मा समाज के प्रधान छंगा चाचा जी का लड़का भी 2 क्लास आगे पढ़ता था वह भी दो बार फेल होने के बाद मेरे साथ आ गया उसी समय करण सिंह चाचा जी का लड़का भी मेरे पास पड़ता था जिसकी बदमाशी उस समय शिखर पर थी

मैं अपने जीवन में कभी भी असफल नहीं हुआ और प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होता रहा जिसकी वजह से चाचा ताऊ को बहुत परेशानी हो रही थी सभी हमें नीचा दिखाना चाहते थे और किसी का विवाह शादी नहीं होने देना चाहते थे बल्कि अपने घरों में जब भी कोई किसी प्रकार का फंक्शन होता था तो हमें बुलाते भी नहीं थे सभी के पास थोड़ी घणी खेती क्यारी थी और लेखराज चाचा का गरम काम टप्पल में बहुत अच्छा चलता था जिसकी वजह से उन्होंने टप्पल में जमीन ज्यादा ले ली अब लेखराज और चंदन दोनों ही अमीर की श्रेणी में आ गए इनको देखकर छंगा चाचा ने की टप्पल में जमीन ले ली गांव में हमारे घर से सटा हुआ धनीराम का घर फिर चंदन चाचा का घर लगा हुआ  

एक दिन मैं घर पर अकेला ही था उस दिन अकेलेपन का फायदा उठाकर षड्यंत्र के तहत मेरे कैरियर को खत्म करने की साजिश रची लेकिन परमात्मा की असीम कृपा रही और मेरे चरित्र पर दाग नहीं आया लेकिन फिर भी उक्त बातों को सोच कर मैं बहुत परेशान रहने लगा परेशानी का हल ढूंढ निकाला और उद्वेलित होकर पैदल ही जमुना पार करके फरीदाबाद पहुंच गया और भाइयों से बाहर पढ़ने के लिए जिद की तब बड़े भाई ने कहा कि तेरी तरह के अनेकों पढ़े-लिखे लोग यहां रिक्शा चलाते हैं इसलिए ज्यादा पढ़ने की जरूरत नहीं है रिक्शा चला कर गुजर-बसर कर लो और धन कमा लो जब सामर्थ्य वान हो जाओ तब पढ़ाई कर लेना मुझे उनकी बात कुछ अटपटी लगी लेकिन बड़े भाई थे इसलिए पिता की तरह उनका सम्मान करते थे उनकी बात को हम डाल भी नहीं पाए और जब पहले दिन हमने रिक्शा किराए पर लेकर चलाया तो रास्तों का ज्ञान नहीं था इसलिए दुर्घटना हो गई जिसकी वजह से हमारे हाथ और पैर में चोट आ गई जिसको देखकर हमारी माता जी अत्यंत व्यथित हुई और उन्होंने कहा कि मेरा बेटा रिक्शा चलाने के काबिल नहीं है मैं मेहनत मजदूरी कर लूंगी अपने बेटे को पढ़ा लूंगी मेरा बेटा यहां नहीं रहेगा 

मुझे मेरी माता जी का आशीर्वाद मिला और मैंने ठान लिया कि पढ़ाई लिखाई से ही आगे बढ़ा जा सकता है इसलिए पढ़ लिख कर अपना कैरियर फरीदाबाद की चावला कॉलोनी में एसएम हाई स्कूल से बतौर गणित अध्यापक शुरू किया फिर चावला कॉलोनी स्थित ही ईगल  हाई स्कूल में पढ़ाया फिर रामबाबू अग्रवाल के यहां पर ऑफिस किराए पर ले लिया यहां पर सुबह 4:00 बजे ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर देता था फिर स्कूल के बाद रात को 12:00 बजे तक ट्यूशन पढ़ाया करता था अब पैसे की कोई कमी नहीं थी अब मैं अपनी मां को अपने पास रखता था वह रोटी बनाते मेरे कपड़े धोते और आराम से रहती 

 उसी समय के दौरान गाजियाबाद के फुटपाथ पर रहकर ट्रकों मैं मिट्टी भरकर डाला करते थे चारों भाई दो दो कि झूठ में हो जाते थे और पूरे दिन मेहनत से कार्य करके 500 -700 रुपए कमा लिया करते थे और रात को फुटपाथ पर ही सो जाया करते थे
 
कुछ पैसा इकट्ठा हो गया तब मैंने आगे पढ़ाई के लिए अनुमति मांगी तब दो भाइयों ने अनुमति दे दी लेकिन बड़े ने अनुमति नहीं दी मैंने हिम्मत जुटाकर डीएस कॉलेज अलीगढ़ में गांव के ही साथी लखन कुमार अत्री के साथ दाखिला ले लिया लेकिन बड़े भाई की मनसा ठीक ना होने के कारण पढ़ाई लगातार नहीं कर पाया इसलिए उन से विमुख होकर मैंने एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद मैं दाखिला ले लिया और वहीं पर अपनी जिंदगी की शुरुआत कर दी
 छुट्टी वाले दिन जो भी काम मिल जाता उस कार्य को कर लेते उस समय पर मैंने बेलदारी भी की तथा विवाह शादियों में लाइटों को भी उठाया पार्ट टाइम में जैसा भी काम मिल जाता था उसी को कर लेता था क्योंकि पैसे की सख्त जरूरत है बाद में वहां पर 11वीं 12वीं के विद्यार्थियों को अंग्रेजी और गणित पढ़ना शुरू कर दिया जिससे काफी सहारा मिलने लगा अत्यंत विषम परिस्थितियों में पढ़ाई करके मुकाम को हासिल किया

पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने प्राइवेट तौर पर मदान कॉलेज इंडिया कॉलेज आहूजा कॉलेज सचदेवा कॉलेज मैं पार्ट टाइम गणित पढ़ाना शुरू कर दिया पहले साइकिल फिर मोपेड फिर लैंब्रेटा स्कूटर वेस्पा स्कूटर राजदूत मोटरसाइकिल यामा मोटरसाइकिल फिर मारुति 800 का क्रम बढ़ता गया अब किराए से भी अपना घर हो गया उस समय बीकॉम एम कॉम एमबीए एमएससी बीटेक एम्टेक का गणित पढ़ाया करता था शेर गवर्नमेंट कॉलेज फरीदाबाद आईएमटी कॉलेज जगन्नाथ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट दिल्ली गोल्ड फील्ड कॉलेज ऑफ एजुकेशन  डीएवी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एनआईटी फरीदाबाद विद्या निकेतन कॉलेज फॉर द वूमेन मैं पढ़ाया बाद में मॉडर्न पब्लिक स्कूल सेक्टर 19 में खोल लिया बाद में सेक्टर 21d में एकलव्य इंस्टिट्यूट शुरू कर दी जोकि महात्मा गांधी इंटरनेशनल हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से मान्यता प्राप्त थी जिसमें बीबीए बीसीए एमबीए एमसीए एमफिल पीएचडी कराई जाती थी और यूपीएससी तथा एचपीएससी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराई जाती थी अब मैंने B.Ed M.Ed रोहतक यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस से कर ली थी तथा एमबीए अन्नामलाई यूनिवर्सिटी से कर ली थी और पीएचडी महात्मा गांधी इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से गणित में तथा महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से स्टैटिसटिक यानी सांख्यिकी में पीएचडी प्रोफ़ेसर टुटेजा के अंडर कर ली थी

अब श्रीमती लीलावती व बलदेव डिडवाल की दुलारी श्रीमती स्नेहलता के साथ शादी बिना दान दहेज के कर ली थी तथा शास्त्री कॉलोनी में ही मकान ले लिया था शादी के बाद काफी विषम परिस्थितियों को देखना पड़ा क्योंकि भाई और बहनों की शादियों का कर्ज उनके भात उनके मकान दुकान की सारी जिम्मेदारी मैंने ही उठाई थी सारी जिम्मेदारियों से उभरकर मैंने अपने मकान और दुकान के बारे में सोचा था क्योंकि उन सभी की आए बहुत कम थी और मैं मेहनत से अच्छा पैसा कमा रहा था 

मेरी पत्नी ने भी मेरे काम में हाथ बटाया वह भी पढ़ी लिखी थी इसलिए उसने स्कूल को संभाला मेरे पास मेरे बड़े भाई के बच्चे भी पढ़ा करते थे और मेरे गांव के भी बच्चे पढ़ने के लिए मेरे पास ही रहा करते थे और मेरे स्कूल में ही पढ़ा करते थे मेरी पत्नी और मेरी माता जी ही उनकी रोटी पानी तथा कपड़ों की साफ सफाई किया करती थी इसलिए सामाजिक मान मर्यादा को रखते हुए कुछ समय उभरने में लग गया इसके बाद मेरे अपने बच्चे हो गए उनकी परवरिश ठीक ढंग से की गई अच्छे विद्यालय में उनको पढ़ाया गया मेरी पढ़ाई लिखाई भी जारी चल रही थी उस समय कोचिंग का काम भी ठीक चल रहा था
 मेरा एक कोचिंग सेंटर पंजाब नेशनल बैंक के पास मेन मार्केट में प्रोफेशनल अकादमी के नाम से चला करता था उस समय दसवीं और बारहवीं प्राइवेट तौर पर भी कराया करता था तथा ओपन यूनिवर्सिटी से बीए बीकॉम और एम ए एम कॉम भी प्राइवेट तौर पर कराया करता था
 
काम ठीक चल रहे की वजह से लोगों में कुछ गलत अफवाह हो गई और मेरे घर में डकैती पड़ गई जिसमें हम मियां बीवी को मारपीट कर चारपाई से बांध कर निकल गए जब हम सेक्टर 29 की 429 नंबर कोठी में रहा करते थे
 बाद में हमने वह कोठी छोड़ दी और नगद कैश देकर शास्त्री कॉलोनी में मदन अरोड़ा से मकान खरीद लिया जिसकी वजह से इनकम टैक्स का छापा पड़ गया हमें इस बात का कोई बोध नहीं था हम उस समय इनकम टैक्स नहीं भरा करते थे उस समय मेरी पत्नी ने अपने हाथों की सोने की चूड़ियां जंजीर व अन्य जेवरात तथा नकदी उनको देखकर उनसे पीछा छुड़ाया क्योंकि ऐसा उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा था जिससे वह हमारे खिलाफ कुछ कर सकें लेकिन उन्होंने मौके का नाजायज फायदा उठाया और अपनी जेब गर्म करके चल पड़े
 
इसके कुछ समय बाद हमने दूसरा स्कूल नगला रोड पर मॉडर्न पब्लिक स्कूल के नाम से खोल लिया था वहां पर 10वीं और 12वीं ओपन क्लास से चलाया करते थे जिसमें एक राजस्थानी बनिया के बच्चों का रोल नंबर नहीं आया जिसकी वजह से उसने गलत तरीके से मेरा किडनैप करा लिया और अपनी फैक्ट्री में मारा पीटी करके खाली पेपर साइन करा कर जंगल की झाड़ियों में नदी किनारे फेंक दिया कुछ समय के बाद जब होश आया तब अपने घर पहुंचा और अपने बच्चों का बुरा हाल देखकर बहुत परेशान किया लेकिन क्या बताता उसने कहा था कि यदि किसी को बताया तो पूरे घर को उठा लिया जाएगा और पुलिस और प्रशासन तथा कोई भी गुंडा और बदमाश आपकी मदद नहीं करेगा रोल नंबर का तो बहाना था लेकिन यह कोई बड़ा षड्यंत्र था

 उस समय हमने स्कूल बंद कर दिया और दोबारा शहर फरीदाबाद के राजा गार्डन में आ गए राजनीति का सहारा ले लिया जिला अध्यक्ष माननीय बीआर ओझा साहब का बेटा बीकॉम में पढ़ाया था इसलिए उनके साथ उनके ऑफिस पर बैठने लगे तथा अवतार बढ़ाना सांसद के ऑफिस पर बैठकर गतिविधियों को संभालने लगे अब करतार बढ़ाना जी सहकारिता मंत्री थे जिनका पूरा सम्मान हमें मिलता था आनंद कौशिक विधायक का भी पूरा सम्मान मिलता रहा जिसकी वजह से हमारा कल फरीदाबाद में बहुत बढ़ गया और जिन लोगों ने हमें तकलीफ व वेदना दी थी उनका बुरा हाल हो गया हमने कुछ नहीं किया लेकिन परमपिता परमात्मा ने उनका सब कुछ बर्बाद कर दिया और बाद में चरणों में गिर पड़े अब तक समझे अनेकों पुस्तकें लिखकर प्रकाशित कर दी थी जिनकी रॉयल्टी इनकम भी आने लगी थी और हम भी बड़ी गाड़ियों में चलने लगे थे अब तक हमको जिला स्तर और राज्य स्तर पर भी अनेकों सम्मान मिल चुके थे

मैंने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एंबुलेंस की आजीवन सदस्यता ग्रहण की फिर प्राथमिक सहायता और ग्रह परिचर्या का सीनियर सर्टिफिकेट फिर बोचर सर्टिफिकेट फिर मेंडालियन सर्टिफिकेट प्राप्त करके अधिकृत लेक्चरर बना जिसके तहत लाखों विद्यार्थियों अध्यापकों फैक्ट्री में कार्यरत कर्मचारियों सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को प्राथमिक सहायता और ग्रह परिचर्या का प्रशिक्षण देकर जिला स्तरीय और राज्यस्तरीय सम्मान प्राप्त किया 

मैं सेंट जॉन ब्रिगेड का डिविजनल कमांडर रहा जिसके तहत अनेकों बार स्टेट कंपटीशन में विजय प्राप्त करके गवर्नर से सम्मान प्राप्त किया
 
मैं बाल कल्याण विभाग का आजीवन सदस्य रहा जिसके तहत प्रशंसनीय कार्यों के लिए जिला स्तर और राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया 

मैं एंटी करप्शन फ्रंट का नेशनल एग्जीक्यूटिव सदस्य हूं
 मैं ऑल इंडिया हुमन राइट्स ऑप्शन का नेशनल  प्रेसिडेंट हूं 
मैं अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं 
मैं इंदिरानगर सोशल वेलफेयर का अध्यक्ष हूं 
मैं गौ सेवा ट्रस्ट का अध्यक्ष हूं
 मैं मैथमेटिक्स ओलंपियाड का मेंबर हूं
 मैं चीफ वार्डन सिविल डिफेंस व विषय विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन हूं 
मैं कोविड-19 का कोऑर्डिनेटर हूं
मैं सीप एक्टिविटी का कोऑर्डिनेटर हूं
 मैं रोड सेफ्टी का नोडल अधिकारी रहा हूं 
मैं यूपीएससी और एचपीएससी का ट्रेनर हूं

 मैंने आपदा प्रबंधन पर हजारों व्याख्यान दिए हैं तथा सैकड़ों स्थानों पर बाढ़, भूकंप, बादलों का फटना, सूखा ,आगजनी घटना से बचाव पर मॉक ड्रिल कराई है जिसमें लाखों विद्यार्थियों अध्यापकों प्रोफेसरों अधिकारियों कर्मचारियों तथा  समाजसेवियों को जागरूक किया है 

मैंन नहर में डूबने वाले सैकड़ों लोगों को बचाया है 

मैंने सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले सैकड़ों लोगों को प्राथमिक सहायता देकर अस्पताल पहुंचाया है 

मैंने रेल दुर्घटना में पैर कट जाने पर प्राथमिक सहायता देकर सिविल हॉस्पिटल पहुंचाकर जान बचाई है 

मैंने नहर पार भी के गोदाम में आग लग जाने पर सुरक्षित लोगों को निकालकर प्रशंसनीय और सराहनीय काम किया है 

मैंने महिंद्रा कंपनी में लगी आग को दीवार से कूदकर अग्निशमन यंत्रों का सहारा लेकर आग पर काबू पाया है
 
मैंने कारखाना बाग में कारखानों में लगी आग को अपने साथियों को साथ लेकर बुझाया तथा फायर ब्रिगेड को बुलाकर उनके साथ सहयोग करके भयंकर आग पर काबू पाया

नहर पार डीपीएस की बिल्डिंग गिर जाने पर
मैंने 11 लोगों को एनडीआरएफ की टीम आने से पहले निकाला था 

हरफली में मुर्गी फार्म में आग लग जाने पर सबसे पहले मौके पर पहुंचकर लोगों की जान और माल को बचाया 

जवाहर कॉलोनी में मकानों के ऊपर हवाई जहाज गिर जाने पर सबसे पहले कमिश्नर ऑफ पुलिस और उपायुक्त फरीदाबाद के सामने मकान में से पति-पत्नी को निकाला और मूल्यवान सावन सामान को आग से बचाया जिसके लिए कमिश्नर ऑफ पुलिस ने ₹1000 का नगद पुरस्कार और प्रथम श्रेणी का प्रमाण पत्र दिया उपायुक्त फरीदाबाद ने भी प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया
 
बाढ़ आपदाओं से बचने के लिए यमुना किनारे बसने वाले 25 गांव में गांव गांव जाकर नुक्कड़ नाटक के द्वारा लोगों को जागरूक किया और निशुल्क पंपलेट बांटे 

मैंने निम्नलिखित पुस्तकों को लिखा है- 
सफलता का रहस्य गणित जल्दी कैसे सीखे डॉ एमपी सिंह स्पीक,  कोरोना से जंग, होम आइसोलेशन, बॉडी लैंग्वेज, प्राथमिक सहायता, ग्रह परिचर्या, सड़क सुरक्षा, नागरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, कैरियर चयन आदि

मैं मोटिवेशनल स्पीकर हूं और ह्यूमन राइट एजुकेशन, टीचर एजुकेशन, बैरियर ऑफ एजुकेशन, सक्सेस टिप्स, चाइल्ड केयर, कंट्रोलिंग प्रोसेस एंड टेक्निक, पब्लिक स्पीकिंग, पब्लिक डीलिंग एंड हैंडलिंग, मोरल वैल्यूज एंड एथिक्स, इंपॉर्टेंस ऑफ रिलेशनशिप, सर्विस मार्केटिंग, हाउ टू फेस इंटरव्यू, हाउ टू लीड द प्लीजेंट लाइफ, हाउ वी कैन गेट द हंड्रेड परसेंट मार्क्स ,प्रभावी बोलचाल के तरीके, सोशल सर्विस अवेयरनेस, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, लीडरशिप क्वालिटी, हाउ टू टीच, व्यवहार- कुशलता, बोली- भाषा, चाल -चलन, रहन- सहन, स्वास्थ्य टिप्स, मेडिटेशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, डिजास्टर मैनेजमेंट, रोड सेफ्टी, सिविल डिफेंस, फर्स्ट एड, होम नर्सिंग आदि पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा हूं 

मैं रक्तदाता हूं और 38 बार रक्तदान कर चुका हूं
 मैं एचआईवी /एड्स पर सैकड़ों कार्यशालाओं का आयोजन जागरूकता के लिए कर चुका हूं 

मैं  एलाइव न्यूज़ के साथ निशुल्क टीचर एजुकेशन पर सैकड़ों कार्यशालाओं का आयोजन कर चुका हूं 

मैं दैनिक जागरण के साथ सैकड़ों बाहर निशुल्क कैरियर काउंसलर के रूप में चला दे चुका हूं 

मैं अमर उजाला के साथ सैकड़ों स्कूलों में हाउ टू गेट हंड्रेड परसेंट मार्क और तनाव मुक्त परीक्षा कैसे दें पर कार्यशाला दे चुका हूं

मैं ह्यूमन इंडिया, वॉइस ऑफ हरियाणा , एलाइव न्यूज़, शेर ए हरियाणा वीर अर्जुन सांध्य टाइम्स तारा ग्लोबल इंडिया और इंसाफ टाइम का एडिटोरियल एडिटर रहा हूं

मैं विभिन्न पत्रिकाओं मैं अपने लेख प्रकाशित करता रहा हूं 
मैं अपना एक ब्लॉक लिख रहा हूं 
मेरा डॉ एमपी सिंह के नाम से यूट्यूब चैनल है मैंने अनेकों बार रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है  
मैंने निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए हैं
 मैंने बस कंडक्टर और ड्राइवर के लिए निशुल्क  आई कैंप लगाए हैं तथा आंखों की दवाई और चश्मे निशुल्क वितरित किए हैं 
मैंने सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा पर क्विज प्रतियोगिता में लाखों विद्यार्थियों को शामिल किया है तथा भाषण रंगोली ड्राइंग वाद विवाद नाटक प्रतियोगिताओं का आयोजन कराकर विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया है
 मैंने प्रशासनिक अधिकारियों और समाजसेवियों के साथ मिलकर सफाई अभियान चलाया है तथा अन्य लोगों को साफ सफाई के लिए जागरूक किया है
मैंने जल बचाने पर अनेकों रैलियों का आयोजन किया है तथा इस स्कूल के विद्यार्थियों से अनेकों प्रतियोगिताएं कराई है तथा विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया है 
मैंने एनीमिया भगाओ पर कन्या महाविद्यालय में अनेकों व्याख्यान दिए हैं तथा सिविल हॉस्पिटल की मदद से अनेकों कैंप लगाकर खून की कमी को दूर करने के लिए टिप्स दिए हैं 
मैंने थैलीसीमिक बच्चों के लिए अनेकों बात रक्तदान शिविर लगाए हैं तथा दवाई गोली उपलब्ध कराई है
 मैंने हजारों पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण दिवस  मनाया है और प्रदूषण मुक्त शहर रखने के लिए अनेकों स्कूल और कॉलेज में व्याख्यान दिए हैं तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया है और विजेता विद्यार्थियों को प्रशंसा पत्र दिए हैं
मैंने हजारों महिलाओं को हस्ताक्षर करना सिखाया है और नारी सशक्तिकरण के लिए कार्य किया है साथ ही साथ घरेलू हिंसा से बचाव के टिप्स दिए हैं मैंने फुटपाथ पर रेहडी और ठेला लगाने वालों को एकत्रित करके व्यापार को सुचारू रूप से चलाने के टिप्स दिए हैं इंश्योरेंस के बारे में बताया है बैंक से लोन के बारे में बताया है फार्म भरना सिखाया है और बोलचाल के प्रभावी तरीके बताए हैं 
मैंने एससी और एसटी के हजारों बच्चों को निशुल्क पढ़ाया है
 मैंने वीर सैनिकों की शहादत के लिए अनेकों कार्यक्रम किए हैं 
मैंने वीर वीरांगनाओं की जयंतीयों को मनाया है मैंने प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया है
 मैंने वृद्ध आश्रम में जाकर अधिकतम बुजुर्गों की सेवा करके आशीर्वाद प्राप्त किया है तथा धार्मिक बातें करके उनके मन को बहलाया है और खुशी प्रदान की है
मैंने अनाथ आश्रम में अनाथ बच्चों को पढ़ाकर तथा सफलता के टिप्स देकर मदद की है 
मैंने दिव्यांग बच्चों के बीच में अनेकों बार अपना जन्मदिन मनाया है 
मैंने अपना जन्मदिन वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों के साथ अनेकों बार मनाया है
 मैंने सड़क के किनारे बसने वाले गांव में जाकर लोगों की जान बचाने के तरीके सिखाए हैं 
मैंने पुलिस को गोल्डन आवर पर अनेकों स्थानों पर ट्रेनिंग दी है
 मैंने ऑटो चालकों को यातायात के नियमों की जानकारी दी है 
मैंने स्कूल कॉलेजों में बस चलाने वाले बस कंडक्टर और ड्राइवर को सड़क पर लगे चिन्ह और प्रतीकों की जानकारी दी है
 मैंने कोरोना काल में हजारों लोगों को सैनिटाइजर तथा मास्क बांटे हैं 
मैंने कोरोना काल में गरीब लोगों के लिए खाद्य सामग्री जच्चा बच्चा के लिए दूध व पानी उपलब्ध कराया है 
मैंने कोरोना काल में संक्रमित लोगों का दाह संस्कार निशुल्क कराया है 
मैंने कोरोना काल में घरों में कोरोना संक्रमित मरीजों की काउंसलिंग करके जीवन बचाया है
 मैंने अपने द्वारा लिखित पुस्तक कोरोना से जंग और होम आइसोलेशन निशुल्क वितरित की है ताकि पढ़कर स्वस्थ रह सकें
 मैंने कंट्रोल रूम में 24 घंटे सातों दिन पूरी साल अवैतनिक सेवाएं दी हैं 
मैंने कोरोना की संपूर्ण जानकारी के पंपलेट निशुल्क बटवाए है

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