जो डर गया वह मर गया-डॉ एमपी सिंह
विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व चीफ वार्डन सिविल डिफेंस डॉ एमपी सिंह ने बताया कि 3 दिसंबर 1976 को पाकिस्तान ने भारत के पठानकोट श्रीनगर अमृतसर जोधपुर आगरा आदि हवाई अड्डों पर बम गिराकर पर आक्रमण कर दिया उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री आयरन लेडी इंदिरा गांधी कोलकाता में भाषण दे रही थी जब उनको यह बताया गया तब तुरंत वह दिल्ली वापस आई और आपातकालीन बैठक बुलाई आपातकालीन बैठक में निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान को इस कृत्य के लिए सबक सिखाना होगा उस समय जल थल और वायु तीनों सेनाओं के चीफ को बुलाकर आदेश दिया गया कि पाकिस्तान के सैनिकों को खदेड़ दो लेकिन भारतीय सैनिक पहाड़ी की तलहटी में थे और पाकिस्तानी सेना बहुत ऊंचाई पर थे उनको मार गिराना भारतीय सैनिकों के लिए बहुत मुश्किल था लेकिन फिर भी जैसोर और खुलना पर कब्जा कर लिया उस समय 3900 भारतीय सैनिक भारत की रक्षा करने हेतु शहीद हो गए तथा 9851 घायल हो गए यह संदेश भारत वासियों के लिए ठीक नहीं था इसलिए भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने अपनी टीम के साथ उनपर आक्रमण कर दिया जिसमें पाकिस्तान का संदेशवाहक को गिरफ्तार कर लिया और उसने पूछताछ की गई पूछताछ में उसने बताया कि 14 दिसंबर को पाकिस्तान के सभी बड़े अधिकारियों की बैठक ढाका में होने जा रही है यह सूचना भारत की तत्कालीन सशक्त प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी को दी गई उन्होंने तुरंत निर्णय लिया और मांनेसा को कहा कि उस स्थान पर बम गिरा कर उनको ध्वस्त कर दिया जाए आदेशानुसार मिग-21 विमानों को उस स्थान पर तैयारी के साथ भेज दिया साथ ही लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को भेज दिया उन्होंने समय रहते बम गिरा दिया और सभी को क्षतिग्रस्त कर दिया इस दृश्य को देखकर सभी बचे हुए लोग घबरा गए तथा पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी को काबू में कर लिया जिसमें पूर्वी पाकिस्तान के 9300 सैनिकों ने समर्पण कर दिया यह भारत के वीर सपूतों के लिए बहुत खुशी का अवसर था और उन्होंने यह सूचना तत्कालीन प्रधानमंत्री को सत्र में दी जिससे संसद में खुशी मनाई गई और उसी दिन से 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी गई
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