किसी व्यक्ति, वस्तु ,भाव के प्रति सकारात्मक रुझान सम्मानित जिंदगी देता है -डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष वे देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सकारात्मक और नकारात्मक रुझान पर ही है इंसान का सुख और दुख निर्भर करता है इसलिए हमें सकारात्मक सोच पर ही जीना चाहिए यदि कोई सामने कोई जवान लड़की खड़ी है और आप आजा आजा की आवाज लगाते हैं तो वह बदतमीजी होगी और उसका दुष्परिणाम भुगतना ही पड़ेगा यदि कोई आपसे बात करना चाहता है और आप उसे अंडरस्टीमेट करते हैं और कहते हैं कि तेरी मेरे से बात करने की औकात नहीं है परे हट तेरी तरह के 500 मेरी जेब में पड़े रहते हैं तो वह भी बदतमीजी होगी 
डॉ एमपी सिंह ने कहा कि किसी के प्रति बुरा सोचना और किसी को बुरा बोलना, किसी को नीचा दिखाना, किसी को अपमानित करना, किसी को निर्लज्ज करना अच्छी बात नहीं है हमें सभी का यथा योग्य सम्मान करना चाहिए और जो जैसा हो उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह ने बताया कई लोग सुबह एक व्यक्ति का चेहरा देख कर कहते हैं कि आज का दिन तो मेरा कामयाब हो गया और दूसरे व्यक्ति का चेहरा देखकर कहते हैं कि आज का दिन तो मेरा खराब हो गया यह मनहूस कहां से मेरे सामने आ गया समझ नहीं आता है कि ऐसा लोग क्यों सोचते हैं किसी भी सरकारी पद पर आसीन अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति को लोग कुछ समय के लिए अपना भगवान मान लेते हैं और अपना काम निकाल लेते हैं लेकिन कुछ ज्ञानी, सरल और सहज उदार हृदय के व्यक्तियों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है क्योंकि कुछ लोगों की आंखों पर अलग चश्मा चढ़ा होता है जिसमें उन्हें वही दिखाई पड़ता है जो वह देखना चाहते हैं अन्य लोग तो मक्खी -मच्छर और कीड़े -मकोड़े की तरह दिखाई पड़ते हैं जोकि उचित नहीं है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है अभिमान तो रावण का भी नहीं रहा और सिकंदर भी खाली हाथ चला गया तो सोचिए जरा  कि हम क्या करने जा रहे हैं इस कर्म का खामियाजा किस को भुगतना पड़ेगा यदि सही दूरगामी परिणाम चाहते हैं तो मानवीय गुणों को अपनाएं और भेदभाव तथा असमानता को छोड़ दो ज्ञानी  उत्तम व्यक्तित्व के धनी चरित्रवान व्यक्ति का सम्मान करो कर्म को प्रधानता दो सही कर्म करने वाला को सम्मान दो चापलूस और बैकबाइट करने वाले लोगों का बहिष्कार करना चाहिए रंग रूप और कपड़ों पर नहीं जाना चाहिए गरीबी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए
 डॉ एमपी सिंह ने कहां कि विशेष जाति से नफरत नहीं करनी चाहिए और विशेष धर्म का भी सम्मान नहीं करना चाहिए गोरे और काले के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए मेल फीमेल अमीर गरीब के चक्कर में भी नहीं पढ़ना चाहिए प्रशासनिक सेवा में सभी धर्मों के लोगों का सम्मान समान सिखाया जाता है सिविल सेवा में सिफारिशों के आधार पर नहीं बल्कि सच्चाई के आधार पर कार्य होना चाहिए जरूरी नहीं है की एमपी और एमएलए का व्यक्ति  चरित्रवान और सही हो जिसका प्रशासनिक अधिकारी फेवर करते हैं कई बार वह क्रिमिनल बैकग्राउंड का होता है और अनेकों चोरी जारी झगड़े लूटपाट कब्जे रेप तथा मर्डर के केस  चल रहे होते हैं लेकिन वही व्यक्ति पुलिस प्रशासन के साथ बैठकर चाय पानी पी रहा होता है और घर वालों पर भी धौंस जमाता है और शोषण करता है ब्लू फिल्म बनाता है ब्लैकमेल करता है डराता है धमकाता है और फिर कहता है कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है मेरी बहुत राजनेता और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ है  इससे भय और भ्रष्टाचार का जन्म होता इसलिए इसको समाप्त करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए यह आर्टिकल बहुत ही दुख के साथ मुझे लिखना पड़ रहा है जो समाज में विषमता देख रहा हूं और जो प्रेक्टिकल अनुभव कर रहा हूं उसी का मैंने बखान किया है कृपया पढ़कर इसको आगे तक पहुंचाने की कोशिश करें ताकि है कुछ बेहतर परिणाम आ सकें अधिकतर लोगों अनइथिकल तरीके से काम कर रहे हैं और समाज के लोगों का शोषण हो रहा है कोई भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता है यदि कोई बोलने की हिम्मत करता है तो चक्रव्यूह के चक्र में ऐसा फंसा दिया जाता है कि आगे कोशिश भी नहीं कर सकता है लेकिन साथ ही वह देश हमारा है इस देश को मजबूत बनाना हमारा नैतिक दायित्व है जब तक इस देश के नागरिक एथिक्स पर कार्य नहीं करेंगे तब तक देश मजबूत नहीं बनेगा

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