सुख-दुख की कहानी -डॉ एमपी सिंह

देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि सभी के जीवन में सुख दुख चलता रहता है यह बड़ा ही अजूबा खेल है जो कि किसी की समझ में नहीं आता है तेरा- मेरा,धर्म- अधर्म, झूठ -सच ,अपना- पराया, ऊंच-नीच, हार -जीत, सूखा- गीला, बूढ़ा- जवान, स्वस्थ - अस्वस्थ, आघात -प्रतिघात, प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष,  जीवन- मरण, यश- अपयश, गरीबी- अमीरी ,सफलता -असफलता, जवानी -बुढ़ापा, बुरा- भला, अपना- पराया, हार- जीत, राग- द्वेष, पाप- पुण्य, ज्ञान -अज्ञान ,स्त्री -पुरुष,, अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे, जड़- चेतन, अंधेरा -उजाला ,धरती- आकाश, नर्क- स्वर्ग ,बड़ा- छोटा, काला- गोरा, हिंदू- मुसलमान आदि में अधिकतर लोग फसे रहते हैं 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जीवन में कुछ लोग आकर सुख दे जाते हैं तो कुछ लोग अनायास दुख दे जाते हैं उनको दुख देना ही अच्छा लगता है चाहे भले ही किसी की जान निकल जाए या कोई फांसी के फंदे पर चढ़ जाए या सुसाइड कर ले लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है सुख देने वाले या किसी के आंखों के आंसू पोछने वाले बहुत कम मात्रा में होते हैं अधिकतर अधिकारी लोग इस भाग का हिस्सा होते हैं वह किसी व्यक्ति विशेष के दबाव और प्रभाव में आकर गलत निर्णय लेकर निर्दोष को दोषी बना देते हैं जिससे समाज में बुरा संदेश पहुंचता है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ लोग समाज और सोसाइटी को निस्वार्थ रूप से बहुत कुछ दे रहे होते हैं और अधिकारियों का भी मान सम्मान करा रहे होते हैं लेकिन गलत समय पर कोई अधिकारी उस समाजसेवी की मदद नहीं कर पाता है अनेकों प्रकार के बहाने और मनगढ़ंत बातें उनके पास संतुष्टि देने के लिए होती है जोकि ठीक नहीं है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ लोग समाज में सिर्फ बाहरी दिखावा करते हैं और ग्राउंड लेवल पर उनका कोई कार्य नहीं होता है वह राजनेताओं और अफसरों की चाकरी करते रहते हैं वह गलत से गलत कार्य करने के बाद भी सभी अधिकारियों के साथ बैठकर जलपान करते हैं और अपना वर्चस्व बनाए रखते हैं क्योंकि झूठ सच बोल कर सामने वाले से पैसा ऐड  कर अपनी जेब तो भरते ही है और अधिकारियों का हिस्सा भी पहुंचाते हैं ऐसे लोग अपने आकाओं के आधार पर नियमों को तोड़कर कानून की धज्जियां उड़ा कर बहन बेटियों की अस्मित से खेल कर लोगों का शोषण करके अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं और बड़े मकान बना लेते हैं तथा बड़ी गाड़ियों में चल कर बड़े होने का नाटक करते हैं जबकि यह लोग बड़े नहीं होते हैं कोरोना जैसी महामारी आती है और सारी  एट निकाल देती है सब रखा का रखा रह जाता है और कुछ भी काम नहीं आता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जमीन में जैसा हम बोते हैं वैसा ही हम काटते हैं इसलिए हमें सद कर्म करने चाहिए और सन मार्ग पर चलना चाहिए ,बुरे कार्य के परिणाम आज नहीं तो कल हमें भुगतने ही पड़ेंगे इसलिए अहम और वहम में नहीं रहना चाहिए कुर्सी पर कितने आए और कितने चले गए, पद और प्रतिष्ठा ना किसी की रही है और ना ही भविष्य में रहेगी इसलिए सच्चे और अच्छे आदमी का उपहास मत बनाओ, गलत रास्ते पर लाने के लिए ,गलत लिखने तथा गलत बोलने के लिए मजबूर मत करो कलमकार और साहित्यकार लेखक और दार्शनिक का आकलन कम मत करो, पता नहीं कब कौन सा शब्द उनकी कलम से स्वर्ण अक्षरों में लिख जाए हमेशा दूसरों के दुख में सही सहानुभूति प्रकट करो और संभव हो सके तो यथा योग्य मदद करो दुख कभी भी किसी के पास भी किसी भी माध्यम से आ सकता है सुख ज्ञान में है अज्ञानता में नहीं, सुख भाव में है भय में नहीं ,सुख बड़ों के आशीर्वाद में है भ्रमित जिंदगी में नहीं, सुख प्यार में है नफरत में नहीं ,संयोग- वियोग ,सोने -जागने, अमीरी- गरीबी ,खाने-पीने आदि में सुख महसूस किया जा सकता है लेकिन दुख के साथ जो दर्द पैदा होता है और दर्द से जो बद दुआ निकलती है वह सब कुछ खत्म कर देता है 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सुख आता हुआ सभी को अच्छा लगता है लेकिन जाता हुआ किसी को अच्छा नहीं लगता है जब कि सुख और दुख दोनों इंसान को जीना सिखाते हैं  सुख देने पर सगुन व शांति मिलती है चोरी जारी छीना झपटी लूट - खसोट, हिंसा, मारपीट, गाली -गलौज, अश्लीलता -अभद्रता, मर्डर, फिरौती व रिश्वत लेना आदि क्षणिक सुख दे सकते हैं लेकिन इन के दुष्परिणाम क्या होंगे उसके बारे में कोई नहीं सोचता है प्रत्येक कार्य से किसी को सुख मिलता है तो किसी को दुख मिलता है हर कार्य सुख या दुख का वाहक है सोचना समझना हमारे ऊपर है हम क्या चाहते हैं 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि दर्द का पैसा दर्दनाक परिणाम देकर जाता है दर्दनाक मौत का भी वाहक बन जाता है इसलिए हमेशा सचेत रहना चाहिए और जनहित और राष्ट्रहित में जो बेहतर कार्य हैं उनको करना चाहिए सद पुरुषों की संगति करनी चाहिए ,सद वाणी बोलनी चाहिए ,सद विचार रखने चाहिए और सद कर्म करने चाहिए

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