संकल्प लेने से इंसान संत की श्रेणी में आ सकता है जैसे अंगुलिमाल - एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने जनहित और राष्ट्रहित में यह आर्टिकल प्रकाशित किया है
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि एक बार अंगुलिमाल ने भगवान बुद्ध से पूछा कि मुझे सुख और शांति नहीं मिलती है बहुत बेचैन रहता हूं मन चलाएंमान रहता है जबकि सभी लोग मेरे नाम से डरते हैं
तब भगवान बुद्ध ने कहा कि बुद्ध की शरण में चले जाओ और मारकाट को छोड़ दो तथा योग करो
अंगुलिमाल यह सब कैसे संभव है
महात्मा बुद्ध सत्य को अपनाओ क्रोध मत करो अधिकतम सुनने की कोशिश करो ज्ञान प्राप्त करो रक्षक व सहायक बनो तथा आश्रम में जीवन यापन करो
अंगुलिमाल ने ऐसा ही किया तब एक दिन महात्मा बुद्ध ने कहा कि 5 घर से भिक्षा मांग कर लाओ
अंगुलिमाल -लोग मुझे मार डालेंगे
महात्मा बुद्ध -कोई बात नहीं पिट लेना
ऐसा ही हुआ जब अंगुलिमाल संत के चोले में भिक्षा मांग रहे थे तो लोग भ्रम में पड़े हुए थे और समझ नहीं पा रहे थे इसलिए वे सभी एकजुट हो गए और उन्होंने उस पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए जिससे वह लहूलुहान हो गया
लेकिन अंगुलिमाल कुछ नहीं बोला वह शांत रहे और मार खाते रहे
अंत में एक समझदार व्यक्ति आया और उसने कहा कि अब यह सुधर गया है तो आप बिगड़ गए हो जब यह बिगड़ा हुआ था तब आप सुधरे किए थे
अब आपको समझ आ जानी चाहिए कि अब यह संत के चोले में है और गुरु के आदेशानुसार भिक्षा लेने आया है तो आपको भिक्षा सम्मान के साथ दे देनी चाहिए
तब सभी की समझ में आ गया
जब महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा तो महात्मा बुद्ध ने कहा कैसा अनुभव हो रहा है
तब अंगुलिमाल ने कहा कि मुझे अपने पिछले कर्मों का प्रायश्चित हो रहा है और जो हुआ है वह मेरे साथ ठीक हुआ है अब मुझे समझ आ गया है कि पिछला जीवन ठीक नहीं था
महात्मा बुद्ध ने कहा कि पंखा से हवा करो
तब कुछ राजा महाराजा महात्मा बुद्ध से मिलना चाहते थे
जब उनको पता चला कि अंगुली मान अंदर बैठा है तो उनकी हिम्मत अंदर जाने की नहीं हुई लेकिन एक राजा ने हिम्मत जुटाई और अपनी तलवार को म्यान से निकालकर आगे बढ़ा तब उसने देखा कि अंगुलिमाल महात्मा बुद्ध की हवा कर रहे हैं और वास्तव में संत बन चुके हैं
तब उन्होंने बाहर आकर सभी को बताया कि अंगुलिमाल अब वह अंगुलिमाल नहीं है वह महान संत की श्रेणी में आ चुके हैं इसलिए अब उन से डरने की जरूरत नहीं है
डॉ एमपी सिंह इस आर्टिकल के माध्यम से सभी को सीख देना चाहते हैं कि जब कोई प्रायश्चित कर लेता है यानी अपनी गलती को मान लेता है तब उस पर जुर्म नहीं करना चाहिए और उसको सुधरने का मौका देना चाहिए
लेकिन आज का कानून प्रायश्चित का मौका नहीं देता है और सीधा जेल भेज देता है जोकि सही नहीं है
गलत तो अधिकतर सभी है लेकिन कुछ लोग सुधरने के लिए तैयार होते हैं उनको सुधरने में हमें सहायता करनी चाहिए
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