134A. v/s चिराग शिक्षा पद्धति भारत को किसी अन्य दिशा में धकेल रही है - डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाप्रद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि सरकारी स्कूलों को संस्कृति मॉडल स्कूल बनाना उचित है लेकिन अधिकतम फीस लेना अनुचित है क्योंकि एससी एसटी ओबीसी दलित कुचले गरीब असहाय बेसहारा दिव्यांगों के बच्चे पैसे के अभाव में सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाते जाते हैं यदि उनके पास धन और दौलत होता तो वह भी प्राइवेट स्कूलों का रुख कर सकते थे 
डॉ एमपी सिंह का कहना है की चिराग पॉलिसी के तहत सरकारी स्कूलों में गांव मैं रहने वाले धोबी लोहार कुमार नाई सुनार आदि छठी से आठवीं तक के बच्चों को अपने अपने कार्य की शिक्षा देने के लिए जाएंगे जोकि उचित नहीं है यह शिक्षा भी प्रशिक्षित अध्यापकों के द्वारा ही देनी चाहिए यह काम तो गांव में बच्चा अपने माता पिता के साथ भी बेहतर सीख लेता है यदि वह अपना काम करना चाहे तो कर सकता है लेकिन स्कूल में कुछ बेहतर करने के लिए पढ़ने आता है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि शिक्षा पद्धति में पहले भी दो बार परिवर्तन आया है पहले प्राइवेट स्कूल नहीं हुआ करते थे एडिड स्कूल हुआ करते थे जिसको सरकार ऐड देती है लेकिन कुछ लोगों की सलाह से प्राइवेट स्कूल शुरू हो गए ताकि पैसे वाले लोगों के बच्चे उत्तम शिक्षा प्राप्त कर सकें और एडिट स्कूलों को खत्म कर दिया गया
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि यहां से आसमान शिक्षा का बंटवारा हो जाता है यदि ट्रेजरी से सैलरी प्राप्त करने वाले सभी अधिकारी और कर्मचारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने लगे और अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्य ना करने दिया जाए तो बहुत बेहतर शिक्षा हो सकती है और भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज विद्यार्थियों को स्कूल में पढ़ने नहीं दिया जाता है आज राजनीतिक भीड़ इकट्ठी करने के लिए रैली निकालने के लिए प्रदर्शन करने के लिए सरकारी स्कूलों के बच्चों और अध्यापकों को भी बुलाया जाता है प्राइवेट स्कूल के बच्चे और अध्यापक शामिल नहीं होते हैं इस पर भी गौर करने की जरूरत है
 उक्त विचार डॉ एमपी सिंह के अपने स्वतंत्र विचार हैं जनहित और राष्ट्रहित में इसलिए जारी किए जा रहे हैं कि यदि सरकारी स्कूलों को खत्म कर दिया गया तो एचटेट और सीटेट पास करने वाले ढाई लाख अध्यापकों को रोजगार नहीं मिल पाएगा और गरीबों के बच्चे भी अनपढ़ रह जाएंगे  
मैंने अपने विचारों को संक्षेप में कहने की कोशिश की है विस्तार पूर्वक तो बहुत लंबी चौड़ी बातें हैं जिनको आज नहीं समझे तो कल का भारत कैसा होगा यह है आप कल्पना नहीं कर सकते हैं 
आज भारत में शिक्षा पर बहुत काम करने की जरूरत है यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर भारतवासी को मिल जाए तो फिर किसी विषय पर काम करने की जरूरत नहीं रह जाएगी

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