जलभराव हो सकता है जानलेवा सिद्ध-- डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है की जल संकट के प्रति सार्वजनिक चेतना जागृत करना मेरा परम धर्म है क्योंकि जल मानव जीवन ही नहीं बल्कि जलचर थलचर नभचर सभी के लिए अति आवश्यक है

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि अधिक बरसात हो जाने पर या बाढ़ आने पर जगह-जगह जल भर जाता है जिसके कारण उसमें मक्खी और मच्छर पनपने लगते हैं जिसकी वजह से मलेरिया और डेंगू जैसी भयंकर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढ़ जाती हैं यह फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है जलभराव से भूमि में वायु का संचार नहीं होता है जिसकी वजह से भूमि दलदल में तब्दील हो जाती है जिसमें अधिकतर पशु और वाहन फस जाते हैं 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जल निकासी ना होने के कारण गंदा पानी नालियों में भरा रहता है और निचले घरों में भी भर जाता है जिसके कारण पैदल यात्री नहीं निकल पाते हैं और चारों तरफ गंदगी फैल जाती है कुछ समय के बाद पानी से बदबू आने लगती है क्योंकि घरों के लैट्रिन बाथरूम का पानी भी इसमें मिल जाता है डेरियो मैं पालतू पशुओं का मल मूत्र भी इसी में मिल जाता है जिसके कारण जल जनित बीमारियां फैल जाती हैं 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि स्कूल जाने वाले विद्यार्थी भी स्कूल नहीं जा पाते हैं यदि कहीं गहरा गड्ढा या खाई हो तो उसमें कोई भी गिर सकता है और शारीरिक चोट आ सकती हैं
 यदि कहीं पर मेनहोल का ढक्कन खुला हुआ है तो उसमें गिरकर किसी की जान भी जा सकती है इसलिए जल निकासी का कार्य बरसात के आने से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए ताकि संभावित नुकसान से बचा जा सके

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि अधिक बरसात में गंदे नालों का पानी भी ऊपर से वहकर चलने लगता है और उद्योग धंधों से निष्कासित पानी भी इसी में मिल जाता है प्रदूषित जल समस्त जीवो के लिए हानिकारक होता है और जल प्रदूषण पर्यावरणीय समस्या भी बन जाता है जल प्रदूषण के कारण जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है जिससे जलीय जीवो का जीवन खतरे में पड़ जाता है और कुछ जलीय जीव मरने लग जाते हैं 

जल संकट से मुक्ति के टिप्स और नागरिक दायित्व 

1-बरसात के दिनों में मल त्याग के लिए नाले व नालियों पर लोगों को नहीं बैठना चाहिए तथा छोटे बच्चों को भी नहीं बिठाना चाहिए
2- खुले शौचालय का जल जलाशयों में नहीं डालना चाहिए
 3-पशुओं को जलाशयों नदियों तालाबों में स्नान ना कराएं 
4-जल संसाधनों का उपयोग नहाने कपड़े धोने मवेशियों को नहलाने सीमेंट के कट्टों को धोने के लिए ना करें 
5-घर का कूड़ा करकट बरसात के पानी में ना डालें
 6-घर के आस-पास इकट्ठे पानी में मिट्टी का तेल डाल दें
 7-पानी की टंकी में क्लोरीन डाल दें
 8-टंकी की साप्ताहिक सफाई करें 
9-पीने वाले पानी में लाल दवा पोटाश या फिटकरी डाल दें
 10-जन जागरण के लिए अभियान चलाएं
 11-जनमानस को जागृत करें 
12-शहर के भीतर पोखर तालाब पर कपड़े इत्यादि नहीं धोने चाहिए तथा जीव जंतुओं और पशुओं को नहीं नहलाना चाहिए 
13-कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें 
14-औद्योगिक संस्थानों का कचरा पानी में प्रवाहित ना करें
 15-जल आपूर्ति हेतु डाली गई पाइप लाइनों को क्षति ना पहुंचाएं
 16-उनके ऊपर से भारी वाहन चलाकर ना ले जाएं
 17-जल निकासी हेतु पक्की नालियों का निर्माण करें
 18-बरसात के पानी को नदियों व तालाबों से जोड़ें
 19-पेयजल को दूषित होने से बचाएं
 20-दूर संचार माध्यम या प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जल संकट की समस्या को जन-जन तक पहुंचाएं ताकि सभी सचेत हो सके 
21-उद्योगों द्वारा निष्कासित प्रदूषित जल पर नियंत्रण करें
 22-वर्षा के जल को एकत्रित करके उपयोग में लाएं
 23-पूजा का सामान जैसे फूल माला दूध दही नारियल मिष्ठान धूप दीप आदि नदी और नालों में ना डालें 
24-पार्थिव शरीर को को मोक्ष प्राप्ति की भावना से नदी में ना डालें 
25-दाह संस्कार के बाद राख तथा अस्थियों को नदियों में ना प्रवाहित करें

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