कल की बेहतरी के लिए आज अपने आप को बदलो- डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्रीय दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि कल की बेहतरी के लिए आज हमें अपने आप को बदलना होगा
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज जो विद्यार्थी लगन व मेहनत से पढ़ते हैं वह आने वाले 20 साल के बाद के नए भारत का निर्माण करते हैं 
आज हम जिस सोच पर कार्य करेंगे भारत का निर्माण भविष्य में वैसा ही होगा इसलिए आज हमें अपनी सोच में परिवर्तन करना होगा
 यदि बेहतर भारत चाहते हो तो बेहतर चरित्र का निर्माण करना होगा तथा ईमानदारी व लगन के साथ अपनी टेक्निकल तथा रोजगार परक शिक्षा पर फोकस करना होगा
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जितने लोग भी सफल हुए हैं उन्होंने टीन एज में अथक प्रयास किए हैं 
जीव के स्वाद को त्यागा है 
जैसा समय पर मिल गया वैसा खा लिया जीने के लिए खाया है लेकिन खाने के लिए नहीं जिए हैं 
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अथक निरंतर प्रयास किया है
 24 घंटे में से 16 और 18 घंटे नियमित रूप से पढ़ते रहे माता पिता के साथ खरीदारी करने के लिए मॉल हाट बाजार नहीं गए हैं 
मनोरंजन के बारे में कभी सोचा ही नहीं पिक्चर हॉल पर पिक्चर देखना तो बहुत दूर की बात है
 नियमित और संयमित जीवन जिया है 
बड़ों का सम्मान किया है 
विद्वानों की पाठशाला में बैठे हैं
 अपने कर्म को ही पूजा समझा है
 डॉ एम सिंह का कहना है कि आज के विद्यार्थी लक्ष्य से भटक कर भौतिकवाद की चकाचौंध की दुनिया में लिप्त हो रहे हैं महंगी गाड़ियों में चलना बड़े होटलों में खाना खाना महंगे वस्त्र पहनना उनकी पहचान हो गई है
 बड़ों का सम्मान करना भूल चुके हैं 
बाहर का फास्ट फूड यानी चाऊमीन बर्गर पिज़्ज़ा मोमोज आदि खाकर अनेकों बीमारियों के शिकार हो चुके हैं 
काल्पनिक दुनिया में जी रहे हैं इसलिए किसी में भी कमी निकाल देते हैं किसी का अहित कर देते हैं और किसी पर भी दोषारोपण कर देते हैं
 स्वार्थी जीवन के चलते पैसे के लिए किसी को भी किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचा सकते हैं 
  अधिकतर अपना समय मोबाइल और लैपटॉप तथा सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं 
सलाह लेना उनको अच्छा नहीं लगता
 कुछ विद्यार्थियों को अपने माता पिता की प्रॉपर्टी तथा उद्योग दिखाई देता है इसलिए वह सफलता के लिए अधिक मेहनत नहीं करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हमें विरासत में सब कुछ मिल जाएगा इसीलिए गलत संगति का शिकार हो जाते हैं और अहम बहम तथा आवेश मैं रहते हैं 
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आजकल के विद्यार्थी नैतिकता तथा बोलने चलने और रहने सहने की तहजीब भूल चुके हैं 
आज उन्हें उचित अनुचित तथा सत्य असत्य में अंतर नजर नहीं आ रहा है इसीलिए असभ्यता अश्लीलता तथा अपराध का प्रतीक बनते जा रहे हैं जिसके लिए अधिकतर माता पिता दुखी है  
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जो विद्यार्थी उक्त बातों पर गौर कर लेते हैं वह इतिहास के पन्नों में अमर हो जाते हैं उनका सभी लोग मान सम्मान करते हैं वह प्रेरणा के स्रोत होते हैं और सारे अवार्ड उनका इंतजार कर रहे होते हैं उक्त विचार लेखक अपने स्वतंत्र विचार हैं इसलिए कट पेस्ट से बचें यदि मन को अच्छा लगता है तो लाइक और शेयर करें 

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